साहित्य विधाके प्रिय विधामध्य अछि ग़ज़ल [Maithili Ghazal], अब्दुल रज्जाक जीके २ टा मैथिली ग़ज़ल प्रस्तुत अछि।
[लिखल विदेश छै जिन्दगीकेँ कि कहू ? Maithili Ghazal:1]
बढै़त कुहेश छै जिन्दगीकेँ कि कहू,
लिखल विदेश छै, जिन्दगीकेँ कि कहू ?
पढै़त लिखैत बित गेलै बच्पन जवानी,
बेरोजगारी सनेश छै, जिन्दगीकेँ कि कहू ?
लड़ब आ झगड़ब घरक नुन-तेल लेल,
अबैत नरेश छै, जिन्दगीकेँ कि कहू ?
ई करब उ करब सपना छ्ल हजारटा
छोट-छोट गदेल छै, जिन्दगीकेँ कि कहू ?
अब्दुलक भविष्य पऽ ग्रहण अछि लागल
हरदम दलेल छै जिन्दगीकेँ कि कहू ?
अब्दुल रज्जाक, [2024.01.08]
[आब सरकार ढहतै कि रहतै, नै कहब Maithili Ghazal:2]
आब सरकार ढहतै कि रहतै, नै कहब
कुर्सी ओ फेर छुटतै कि रहतै, नै कहब।।
तीन करोड़ जन्ता पऽ तीन नेता छै भारी
के-के आब डुबतै कि रहतै, नै कहब।।
विवाहक डोरी छै तन्नुक बनल केहन
कखन ई टन्नदऽ टुटतै की रहतै, नै कहब
सत्ताके खेलमे अते सोन छै आबि गेल
ओ कखन गल्तै की रहतै, नै कहब।।
सम्प्रदायिक हिंसा छै बैसल धर्मंक बिरोधमे
कुविचार कत भगतै कि रहतै, नै कहब।।
अब्दुलके बात पऽ ककरो चिन्ता नै होए
के कहीया मरतै कि रहतै, नै कहब।।
लेखक परिचय: अब्दुल रज्जाक राइन, (हरिपुर) धनुषाधाम नगरपालिका
अब्दुल रज्जाक राइन [Abdul Rajjak Rain] मैथिली साहित्य जगतमे युवा लेखक छथि। वैदेशिक रोजगारी आ देशक व्यथापर केन्द्रित हिनक रचना मन मष्तिस्कके झक झोरि दैत छथि। रज्जाक जी मैथिली आ नेपालीमे फुटकर साहित्यक सृजन सब करैत आबि रहल छथि। हिनकर कथा (नेपाली) कान्तिपुर दैनिकमे प्रकाशित भेल छनि, सङ्गहि किछु मैथिली गजलसभ प्रवासी नेपालीसभक ग़ज़ल संग्रह ‘श्वेत राग’मे प्रकाशित छनि। नोकरीके क्रममे कतारमे कार्यरत रज्जाक जीक रचना ‘नेपाली गजल संग्रह’ सभमे सेहो प्रकाशित अछि ।