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अभिलाषा – नवदुर्गा: प्रकीर्तिता (8)

हुनक स्त्री पात्र सभ कोनो एक वर्ग, जाति, धर्मसँ सँबद्ध नइँ अछि

आइसँ किछु बर्ष पूर्व मैथिली कथाक आकाशमे ललकी किरणिया जे ‘पह’ फाड़ि इजोत पसारने छल, ओ इजोत आब बेस भकरार भेल अछि आ मिथिलाक पुरुखाही समाजक अन्हार बन्न कोठरीक सबटा विद्रूपताकेँ उजागर क’ रहल अछि।

मैथिली कथाक ई नव स्वर नइँ मात्र घुरमुरिया कटैत मैथिली कथाकेँ नव बाट देखौलक, अपितु मैथिली पाठकके कथाक नव आस्वादसँ परिचित करबैत उच्च कोटिक कथा अपन भाषामे पढ़ैक अभिलाषा पूर्ण कएलक।

आइ नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:के आठम कड़ीमे हम गप क’ रहल छी जनकनंदिनी जानकीक जन्मभूमिक धिया अभिलाषा के, जे मैथिली कथा-धाराकेँ हिलकोरिकेँ राखि देने छथि आ मैथिली साहित्यमे एकटा नव सनसनी बनल छथि। अभिलाषा नइँ मात्र मैथिली कथाक चौहद्दीकेँ विस्तृत क’ रहल छथि, अपितु मैथिली कथाकेँ एहन-एहन चरित्र सबसँ परिचित करौलनि अछि, जकर किछु दशक पहने धरि कल्पनो नइँ कैल जा सकैत छल।

अभिलाषाक अधिकांश कथा स्त्री केँद्रित अछि, जाहिमे बदलल मैथिल स्त्रिगण विभिन्न तरहक केँद्रीय भूमिकामे देखाइत अछि, खाहे ओ अपन भाषाक बात हो, अथवा स्त्री-पुरुष सँबंधमे समानताक बात हो, यौन शोषणक खिलाफ चलल ‘मी टू’ आंदोलनक बात हो, अथवा अपन जिनगीक उल्लासकेँ जीबाक बात हो, अथवा प्रेममे धोखा खएलाक बाद स्वयं ठाढ़ हेबाक बात हो।

खुशीक बात ई अछि, जे हुनक स्त्री पात्र सभ कोनो एक वर्ग, जाति, धर्मसँ सँबद्ध नइँ अछि, अपितु सँपूर्ण मिथिला समाजक विभिन्न जाति, वर्गसँ अछि आ ओहूमे केओ निरक्षर अछि, तँ केओ किछु पढ़ल-लिखल, तँ केओ शिक्षित। एतने नइँ, अइमे विभिन्न आयु वर्गक स्त्री पात्र सभ अछि।

ओ स्त्री पात्र सभ मैथिल स्त्रीक रूढ़ छविकेँ तोड़-फोड़ि रहल अछि आ एकटा नव छवि गढ़ि रहल अछि, जे बेसी प्रगतिशील अछि आ खुदमुख्तार अछि। ओ अपन जिनगीक फैसला स्वयं करबामे सक्षम अछि। स्त्री विमर्शक नाम पर जे फार्मूलाबद्ध लेखन विभिन्न भाषा साहित्यमे चलि रहल अछि, ई कथा सभ ओहिसँ बेछप अछि।

कथा-लेखिका मैथिल स्त्रीक आगूसँ नैराश्यक धोन्हिकेँ छाँटि इजोतक नव बाट देखबैत अछि। अभिलाषाक स्त्री पात्र बोल्ड आ साहसी अछि आ अपन जिनगींकेँ अपने ढंगे आकार दैत आगू बढ़ैत अछि। हुनक कथाक पात्र सभक जीवनक प्रति अद्भुत विश्वास भरोस जगबैत अछि।
अभिलाषा मात्र कथ्यके स्तर टा पर नइँ, अपितु भाषाक स्तर पर सेहो मैथिलीकेँ विस्तार दैत अछि आ बज्जिकाक छौंकसँ बघारिके जे कथा प्रस्तुत करैत अछि, ओहिसँ पाठकीय आस्वादमे तँ अभिवृद्धि होइते अछि, सँपूर्ण मिथिलांचल समन्वय, सहकारक सुवाससँ महमह करय लगैत अछि।

मैथिली साहित्यक क्षेत्रमे अभिलाषाक उपलब्धि एहन अछि, जाहि पर केओ गर्व क’ सकैत अछि-दू टा समीक्षात्मक निबंधके पोथी (पोथी पाठ आ यथाप्रसँग) आ तीन टा कथा सँग्रह (पह, ओ छौंड़ी आ फुलभंगा) आ चारि टा पुरस्कार (ज्योत्सना सम्मान, डॉ.गणपति मिश्र साहित्य सम्मान, तिरहुत साहित्य सम्मान आ मैसाम सम्मान)।

एतबे नइँ ओ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय केर मैथिली विभागक सहायक प्राचार्य आ भारतीय भाषा सँवर्द्धन समिति (मैथिली) केर कोर कमिटीके सदस्य सेहो छथि। ई आईक्यूएसी (नैक)के विभागीय प्रभारी सेहो छथि।

नित्य निरंतर रचनात्मकताक नव बाटक सँधान करैत अभिलाषा अपन वास्तविक जीवनमे मितभाषी आ अत्यंत विनम्र छथि आ वैह विनम्रता हुनक सबसँ पैघ हथियार अछि। विरोधी लोकके धाराशायी करबाक लेल। एकर एकटा उदाहरण हालहिमे मैसाम सम्मानक समय उठल अनर्गल विवादक दौरान देखाएल।

किछु मैथिली विरोधी आ अभिलाषाक निजी सफलतासँ खुन्नस राखनिहार गिरोह हुनका मैसाम सम्मान देबाक विरोध क’ रहल छल, मुदा किछु मिनटके हुनक एकटा वीडियो सँदेशसभ विरोधीके धाराशायी क’ देलक आ जे आम लोक ओहि वीडियोकेँ देखलक, ओ हुनक मुरीद बनि गेल।

एतेक उपलब्धिक अछैतो हुनक विनम्रताक उदाहरण हुनकहि शब्द मे-“एखन तँ साहित्यक विद्यार्थी बनल पाठक जकाँ किछु-किछु कहि पएबाक लौल क रहल छी…(अग्रज/अग्रजा) कथाकार लोकनि पहाड़ जकाँ सोझाँमे चैलेंज बनल छथि। तें सहज नइँ अछि एतय समकक्षो भ ठाढ़ होयब…मुदा तें मुद्दा सभक बात, अभय भ क लिखबाक, कहबाक बदला अपना कलमकेँ पराजित मानि राखि दी, सेहो तँ सही नइँ लगैत अछि।

हमर अंदरक नारी एतेक दुर्बल सेहो नइँ अछि।”
ई अछि मैथिलीक नवका पीढ़ीक एकटा युवा कथाकारक अग्रज रचनाकारक प्रति विनम्रता आ वैचारिक दृढ़ता, जाहि कारणें ई मैथिल पाठकक सेहो ‘अभिलाषा’ बनल छथि।

हिनक रचनात्मकता, साहस, विनम्रता आ वैचारिक दृढ़ताकके नइँ सम्मान आ अभिनंदन करत। उम्मीद अछि अभिलाषा मैथिली साहित्यमे निरंतर नवता आ उत्कृष्टताक मानककेँ आगू बढ़बैत रहतीह आ आबय बला पीढ़ीक लेल मार्गदर्शक बनतीह।

रमण कुमार सिंह

रमण कुमार सिंह, बिसनपुर, सुपौल (बिहार) मैथिली एवम् हिन्दी भाषाक कवि, समिक्षक, साहित्यकार छथि। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकासभमे रचना लेखन, अनुवाद एवम् आलोचनामे महत्वपूर्ण योगदान देने छथि। Raman Kumar Singh, आइ लभ मिथिलाक अथिति लेखक।

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