मिथिला संस्कृति आ मिथिला चित्रकला क्षेत्रक सबसँ कल्पनाशील आ सृजनात्मक कलाकारसभमसँ एक छथि मिथिला चित्रकार अजीत कुमार साह। कलात्मक सृजनके दृष्टिसँ अजीत बहुत तरहक चित्र आ कलाकृति गढ़ि चुकल छथि।
देश मात्र नइ विदेशमे समेत विख्यात रहल नाम मिथिला कलाकार अजीत कुमार साहकेँ कला आ संस्कृतिक क्षेत्रमे उत्कृष्ट प्रदर्शनक लेल ‘डॉ. बीआर अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार २०२२’ सँ पुरस्कृत एवं सम्मानित कएल गेल अछि।
डॉ. बीआर अम्बेडकर जे बाबासाहेबके नामसँ सेहो जानल जाइत अछि। अम्बेडकर एक भारतीय न्यायविद, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, मानवशास्त्री, इतिहासकार आ अर्थशास्त्रीसन बहुआयामीक व्यक्तित्व जे भारतक पहिल कानून मन्त्री आ भारतीय संविधानक संस्थापक छलनि। तकरे स्मृतिमे अम्बेडकर पुरस्कार (राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय) विभिन्न क्षेत्रमे उत्कृष्टता प्रदर्शन कएनिहारसबकेँ पहिचान क’ सम्मान देबाक लेल स्थापना कएल गेल अछि।
पछिला वर्ष २०७८ मे ३७ वर्षसँ मिथिला चित्रकलामे समर्पित कलाकार अजीत साह नेपालक राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारीद्वारा ‘प्रबल जनसेवा श्री पदक’ सँ समेत सम्मानित भ’ चुकल छथि।
आइ-काइल अजीत अपन परिवारक सङ्ग न्यूयॉर्क शहरमे रहैत छथि। अपन कला आ विभिन्न रचनात्मक काजमे पूर्ण रूपसँ समर्पित छथि।
एकटा छोट गाममे जन्मल अजीतक माता-पिता किसान छलाह। अपन गामक चारूकातके शानदार नजारा आ प्राकृतिक सौन्दर्यसँ सदिखन प्रेरित आ मोहित रहैत छलाह। जखन कखनो कोनो कलाकृति देखैत रहैत छलाह कि हुनका इच्छा जागि जाइ छल जे एहने कलाकृति गढ़बाक हमरोमे क्षमता आबए।
अपन घरकेँ अपन गामक चारूकातक हरियर खेतजकाँ सुन्दर बनाब’ चाहैत छलाह। गाम, पाबनि-तिहार आ अन्य सामाजिक राज-काजमे अपन सङ्गी सभक खेलाइत चित्रण कर’ चाहैत छलाह। ओ अखनो अपन नेनपनक एकटा अनुभव मोन पाड़ैत छथि जखन ओ अपन कलाकृतिमे एकटा कलाकारकेँ हाथी चित्रण करैत देखलनि। ओ कलाकारसँ हाथी बनेबाक कारण पूछलथि। हुनका ई नइ बुझल छलनि जे कलाकारक जवाबसँ हुनका कलाक शक्तिके अनुभव भ’ जएत।
कला प्रति अजीतके एकटा अद्वितीय दृष्टि रहल अछि। हुनकर बुझाइ रहल अछि जे कला अभिव्यक्तिक माध्यम छियै। मुदा, कलात्मक अभिव्यक्ति जे दोसरकेँ प्रेरित करैत अछि, तइमे गहीर समझ आ ज्ञानक व्यापकता हेबाक आवश्यकता होइत छै। अस्तु, कला चित्रण करबासँ पहिने विषयक नीक जकाँ अध्ययन करैत छथि। विषय-वस्तुक गहन समझ हुनका कलाकृतिमे जटिल गूढ़ताके माध्यमसँ विभिन्न स्वरूपके चित्रण कर’ मे मदति करैत अछि।
कला प्रतिके चाँखिक कारण ओ अपन पढ़ाई पूरा नइ क’ सकलाह। ओना हुनका कोनो पश्चात्ताप नइ अछि। उत्साही खूनक देशभक्त हृदय अछि हुनकर। ओ आत्म-सन्तुष्ट छथि किएक त अइ कलासँ ‘मिथिला’ आ ‘नेपाल’ क प्रचार-प्रसार विश्वभरि करबामे योगदान मात्र नइ जन-जनमे चित्रकलाप्रति उत्साह, आकर्षण आ प्रेरणा सेहो परसलथि।