अलङ्कार ३: मैथिली कथा साहित्यपर विमर्श
मातृभाषाके संरक्षण स्थिति नेपालमे सकारात्मक अछि: कथाकार प्रदीप

भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मानित कथाकार प्रदीप बिहारी आइ संस्कार मिथिलाद्वारा काठमाण्डूमे आयोजित अलङ्कार ३ कार्यक्रममे कथा साहित्यपर बाजैत नेपालमे मातृभाषाके अपनत्वके स्थिति भारतके मैथिली क्षेत्रके तुलनात्मक रूपसँ सकारात्मक रहल बताैलनि अछि।
संस्कार मिथिलाद्वारा पाठशाला बानेश्वरमे आयोजित कार्यक्रममे प्रदिप बिहारी भारतमे मैथिली भाषाप्रति संस्थागत प्रयाससभ भेलोपर जनताके बीचसँ अपन मातृभाषाप्रतिके दायित्व आ रुचि दोसर भाषामे प्रति आकर्षित भ रहल समय नेपालमे तँ एखन सेहो मातृभाषाप्रतिके अपनत्व, संरक्षण आ दायित्व बोधके स्थिति सकारात्मक रहल बताैलनि।
ओ कहलनि “भाषाके लेल सरकारद्वारा कतबो प्रयास कएलोपर जनता अपन मातृभाषा नइँ बाजत तँ सब प्रयास व्यर्थ भ जाएत, मुदा नेपालमे एहन स्थिति नइँ देखलौँ । हमर कथा लेखनके प्रारम्भ नेपालेक भूमिमे भेलासँ हमरा अइ प्रति एखनो गाैरवबोध होइत अछि।”
कार्यक्रममे उपस्थित राजनितिक विष्लेश्क सीके लाल कथाजगतमे यथार्थवादी कथासभके अलगे विशिष्टता भेल आ पाठककेँ सदैव समकालिन प्रतित भेलासँ अइ दिशामे कलम चलेबाक बातपर जोड़ देलनि।
उक्त कार्यक्रममे मैथिली साहित्यके लघुकथा विघामे केन्द्रित भ कथाकार मेनका मल्लिक आ प्रदिप बिहारीसङे साहित्यकार धीरेन्द्र प्रेमर्षि आ विकास वत्सनाभ अन्तरक्रिया कएने छल।
कार्यक्रममे डा. रामदयाल राकेश, मधेश प्रदेशसभा सदस्य मनिष सुमन, साहित्यकार विभा झा, रूपा झा, गजेन्द्र गजुर, अमरेन्द्र यादवसहित सहभागी छलथि।
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