(राजनाथ मिश्र, लेखक) ‘ट्रम्प’ शब्द निश्चित रूपेँ एक अत्याधुनिक शब्द छै। जकरा अर्थ छै धूर्त-लफंगा। एकरा शीघ्रातिशीघ्र डिक्शनरीमे सम्मिलित कऽ लेल जएबाक चाही।
एहन कोनो पहिल बेर नइँ होएतै जे कोनो व्यक्तिवाचक संज्ञा विशेषण बनि जाए। शब्द- भंडार एहन उदाहरणसँ भरल परल अछि। उदाहरणार्थ स्मरण करबैत छी— भगीरथ, कौटिल्य, विभीषण, हरक्युलस आदि आदि।
अमरीकी काँग्रेसक अत्यन्त टटका घटना क्रमसँ प्रथम दृष्टया ई भान भेल रहय जे जे अमेरिका अपना के महानतम गणतंत्र घोषित करैत अघाइत नइँ अछि तकरा भारतीय गणतंत्रसँ बहुत किछु सिखबाक छै। ई गप काल्हि जखन गुरू कक्का भेटलाह तँ हम हुनका सुनौने रहियनि।
मुदा गुरूकक्काक तँ सभ दिन जकाँ अपन चिन्तनक उपरान्त एक अत्यन्त अभिनव गप रखलनि। गुरू कक्का हमरा सुझौलनि कतहु एहनतँ नइँ जे ट्रम्प अपन लफंगईक मूल तत्व भारतीय नेतालोकनहिसँ सिखिकऽ ओकर प्रयोग कऽ रहल अछि?
हमर अकचकयबाक बाजी छल। हम पुछलियनि अपना भारतसँ?
गुरू कक्का हमरा घुड़की दैत डँपटलनि– हँ हौ अपना भारत सँ, भारतीय नेतासँ।तों मुह की बबै छऽ।
हमर तँ गुरुकक्काक गुरकिल्लीसँ अकिले गुम्म भऽ गेल रहय। पुछि बैसलियनि — से कोना कक्का?
प्रश्न सुनतहिु गुरू कक्का पिनकि गेला। दाँत किचैत बजलनि— ईह काबिल नहितन बुद्धिक घासतँ घोड़ा चरिगेल अछि तँ बुझबै की बंगौरा। तोरा ई देखाइत नइँ छऽ जे अपनादेशमे किछु कठपिंगल लफंगा सभ अछि जे सभ निर्वाचनमे भारतीय जनताक प्रजातांत्रिक फैसलाक पछाति संवैधानिक संस्थान एलेक्शन कमीसनक घोषणाके मानयमे आनाकानी करऽ लगैत छै ? से चाहे जमाना इन्दिरागांधीक होइक वा आजुक अद्यतन चुनाव। अपना भारतमे किछु परजीवी नेतालोकनि रहल करैत आयल अछि, आ अखनतँ कने बेसिये संख्यामे अछि जे अपन माफिक फैसला जँ देशक उच्चतम न्यायालय सँ नइँ भेटैत छै तँ न्यायालयक न्यायाधीशके गरिअयबामे दत्तचित्त सँ तल्लीन भऽ जायल करै छै।
एँ हौ तोरा देखाइ नइँ छऽ जे ई नानीगामवला छौड़ा कोना संसदमे जखन बजबाक अवसर रहतै तँ ओतऽ चुप रहल करत आ घर पर आबि मायक आँचर तर बैसि टीट करतऽ। जे प्रजातंत्रक हत्या भऽ गेल।
कक्काक उग्ररूप देखि नहूस्वरेँ टोकलियनि कक्का टीट नइँ ट्वीट । ओना अर्थक अनर्थ भऽ जायत।
गरजला कक्का— हम तोहरालोकनिक गिटपिट नइँ बुझै छियऽ । हम एतबहि मानै छी ई जे ट्रम्पबा गुण्डई कऽ रहल छै तकर मौलिक शिक्षा ओकारा भारतक कतिपय नेतासँ सिखलक अछि। ने तँ देशभरिक संसदसँ बनाएल कानूनक प्रति कतहु एना सड़कपर ट्रैक्टरबाजीक खेल होइ ? ‘बाग’मे कतहु प्रजातांत्रिक अधिकारक नाम पर राजधानीमे आतंकक ताण्डव होइ?
देशक कैबिनेटक पारित प्रस्ताव जखन राष्ट्रपतिक हस्ताक्षरार्थ लंबित होP तँ एक लफंगा ओकरा प्रेस सम्मेलम कऽ फारिचिरि कऽ फेकि दै ?
कक्का अतेक अधिक उत्तेजित भऽ गेल रहथि जे नाक फड़कऽ लागल रहनि। हम पानिक गिलास देलियनि। गटागट पीबि गेलाह। आ फेर बाजय लगलाह— हौ अमरिकेमे किए, घानाक संसदक हाल नइँ सुनलह।
ई जे कुर्सी पर बैसल गुण्डाक प्रतिएँ जखनहि जनता-जनार्दन अपन प्रजातांत्रिक अधिकारक प्रयोग करैत ओकर कुर्सी छिनबाक आदेश दैत छै ई गुण्डा तत्व जनताक आदेशके नइँ मानबालए अपन सभ समर्थक छोटकू नेता सभ का खुलल गुण्डागर्दी करबालए उकसा देल करै छै।
हम सहमले स्वरमे कहलियनि गुरू कक्का हमरा आहाँक मूलगप मानबासँ कोनो विरोध नइँ अछि। मुदा ई जे कहै छियै जे ट्रम्प वा घानाक पराजित नेता एना कऽ रहल अछि तकर प्रेरणा ओकरालोकनि के भारतीय नेता सभसँ लेलक तकर हम प्रतिवाद करै छी
कक्का तँ बमकऽ लगलथिन—- ईह काबिलक फचाक नहितन। हौ तोरा ई मानवाक अधिकार छऽ आ हमरा लग विचार अभिव्यक्त करबाक अधिकार नइँ अछि, सएह ने? किएकतँ हमरा लग अलेलक धन नइँ अछि जे समाचारपत्र छापी, टी. भी. चैनल चलाबी सएह ने?
हौ अकिलक पटपट, हम तँ शुरुअहि सँ देखैत आबि रहल छी जे जखन -जखन देशक जनता दिल्लीमे मजगूत सरकार बनयबाक प्रयास कयलक तखन तखन हुल्लरबाज नेता अनर्गल प्रलाप शुरू कऽ देलक।
देखलियै जे इन्दिरा गांधीक ओ सरकार अमरिकी सरकारहु के औँठा देखबैत अपन दुश्मन के दू फाँक कऽ देलक; एकलाख दुश्मन सैनिकके बन्दी बनयबामे सफल रहल। किछु हुल्लरबाज लफंगा नेतबाके ई पसिन्न नइँ पड़ल रहैक जे दैश मजगूत बनय। दिल्लीक रामलीला मैदानमे नरयनमा तेहन ने रमलिल्ला शुरू कयलक जे देशक लौह महिला धरि परेशान-परेशान भऽ गेलि। जखन कि नरयनमा लगमे एतेक विशाल देशक भविष्यक राजनीतिक प्रतिएँ कोनहु विकल्पीय विचार नइँ रहै। राजनीतिक अभिव्यक्तिक नाम पर अव्यवस्थाक से वातावरण बनलै जे मजबूर भऽ देशक मुखिया के संविधानक धाराक प्रयोग करैत ‘आपात्-काल’ कहऽ पड़लै। ई दोसर गप जे ओहि नेतासँ परिस्थितिपर नियंत्रण स्थापित कएल नइँ भेलै।
सन् चौहत्तरिक ओहि अनर्गल राजनीतिक प्रयोगक प्रतिफल भेलैक जे देशमे सभ तर स्थानीय गुण्डासभ शासनके कबजिया लैत गेल। हौ तकरे चरम परिलक्षित होएतह जखन देखबह जे ताहिकाल खण्डक दू दू गोट मुख्यमंत्री आइ जेहलक हवा खा रहल छै।
कनेक ठहरि’ कनेक शान्त स्वरमे हमरा बुझबैत सनक क्रम मे गुरू कक्का कहलनि — हौ तहियाक बाद अखने देखैत छियै जे अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर देशक नामक ग्राफ ऊपर . . .आओर ऊपर जा रहल छै।
किछु परजीवित आदतिसँ नचार नेतालोकनिके ‘कुर्सी-विहीनता’क परिस्थिति बर्दाश्त नइँ भऽ रहल छै। बस कि वैह पुरना फॉर्मूला — संविधानक नाम पर हुल्लरबाजी। ई. वी. एम के नइँ मानब, जनताक निर्णय नइँ मानब. . संसदसँ पारित कानून नइँ मानब . . . न्यायालयक आदेश नइँ मानब . . . । हम किछु नइँ मानबौ तोँ हमरा मान. . .
बस तैँ कहलियऽ अमेरिकाक वाशिंग्टन डी सी होइक वा घानाक अक्रा सभठामक ‘लफंगा’ नेता अपनहि भारतसँ सिखैत छथि।
गुरूब कक्काक तर्क सभ सुनि हम अवाक् छी मुदा अपन विचार पर स्थिर छी जे शब्दकोश के एक नब शब्द अवश्यहि भेट गेलै अछि ‘ ट्रम्प’ जकर अपनालोकनिक मातृभाषाक शब्दकोशमे माने लिखल जेतै — ‘नकडुब्बा’ ।
Note: ilovemithila.com के भाषा शैली नियम अनुसार लेखकेँ सम्पादन कएल गेल अछि।