आइ लभ मिथिला
जनकपुरधाम।
मधेश प्रदेशक राजधानी जनकपुरधाममे साङ्गीतिक पर्यटन प्रवर्द्धनमे योगदान पहुँचेबाक उद्येश्यसँ पहिल बेर ‘भूमि लोक महोत्सव २०८०’ क आयोजना भऽ रहल अछि।
‘भूमि लोक महोत्सव’ कार्तिक १७ गते (३ नवम्बर) शुक्र दिन बेरु पहर २ बजेसँ जनकपुरधामक तिरुहुतिया गाछीमे होबए लागल अछि। एहि सांस्कृतिक-साङ्गीतिक महोत्सवक मुख्य उद्देश्य मिथिला-मधेश लगायत नेपालक विभिन्न लोक गीत-संगीत, लोक नाच, लोक बाजा, एवं लोक संस्कृतिकेँ प्रवर्द्धन करब एवं बढ़ावा देब अछि। सङ्गहि नेपाल-भारतक कलाकारसभक बीच समन्वय एवं सहकार्यक लेल सौहार्दपूर्ण वातावरण एहि महोत्सव-मञ्चद्वारा कायम हएबाक आश कएल जा रहल अछि।
नेपालक युवा कलाकार ओ सामाजिक कार्यकर्ताक नेतृत्वमे आयोजित ई महोत्सवकेँ उद्देश्य ऐतिहासिक ओ सांस्कृतिक रूपसँ समृद्ध शहर जनकपुरधाममे कला ओ सङ्गीतक समिश्रणकेँ परिचय देब अछि। ई एक दिवसीय आयोजनकेँ सांस्कृतिक समागम बनाबए लेल लोक, शास्त्रीय, पारम्परिक, आओर समकालीन गीत-सङ्गीतकेँ युवा-युवती सभकेँ बीच प्रस्तुत क’ एकरा समृद्ध बनेबाक लेल बढ़ावा देल जएबाक छै, सङ्गहि एहि अमुल्य कला ओ संस्कृतिकेँ युवा-युवतीसभ बीच परिचय ओ संरक्षण लेल युवा पीढ़ी सभमे सुनिश्चित करब अछि।
नेपाल-भारत दूनू देशसँ आमन्त्रित पचासटासँ बेसी कलाकार सभकेँ प्रदान एहि साङ्गीतिक ओ सांस्कृतिक मञ्च ओ महोत्सवमे सात-आठ हजारसँ बेसी युवा-युवती ओ स्थानीय संगीत-पर्यटक सभक उपस्थितिक अनुमान आयोजन पक्ष कऽ रहल छथि। एहि आयोजनद्वारा मधेश प्रदेशक राजधानीसँ सङ्गीत-पर्यटनकेँ बढ़ावा देल जाएत। साङ्गीतिक ओ सांस्कृतिक मनमोहक प्रस्तुतिक संङ्ग एहि महोत्सवमे स्थानीय खाद्य परिकार स्टल, जीवंत मिथिला कला प्रदर्शनी, थारु गहनाक प्रदर्शन स्टैंड, स्थानीय शिल्प ओ कला विक्रेता, आ पारम्परिक गोदना स्टल सभक निक व्यवस्था रहत से कहल जा रहल अछि।
ई विशिष्ट सांस्कृतिक-सांगीतिक महोत्सवकेँ आयोजकद्वय मुख्य रुपेँ रंजन झा ओ तृष्णा सिंह भण्डारी छथि। हिनका सभक आयोजन, सक्रियता ओ निर्देशनमे ई कार्यक्रम होबए लागल अछि –
■ रंजन झा (Ranzen) :
मौलिक गीत-सङ्गीतक क्षेत्रमे विगत २५ वर्षसँ अपन पृथक पहिचान बनौने रंजन झा फिल्म, टेलिभिजन तथा विज्ञापन क्षेत्रमे सेहो सक्रिय एवं कार्यरत छथि। नेपाली लेखक तथा निर्देशक अविनाश विक्रम शाहक छोट मैथिली फिल्म ‘लोरी: मेलान्कोली अफ माइ मदर्स लोरी’ केँ ७५ म कान्स फिल्म फेस्टिभल संस्करणमे निर्णायक सभकद्वारा विशेष अवार्ड देल गेल छल। जाहि फिल्मक सङ्गीत रंजन झा तयार कएने छथि। शिवानी भगतसँ स्वरसँ सजल आ अशोक दत्तक लिखल ‘निश्छल झरना’ मे हिनक सङ्गीत रहल अछि। हिनकें आयोजन ओ निर्देशनमे एहि विशिष्ट सांगीतिक ओ सांस्कृतिक महोत्सव ‘भूमि लोक उत्सव’केँ आयोजन कएल जा रहल अछि।
रंजन झाक अनुसार एहि लोक महोत्सवमे ख्यातिप्राप्त सङ्गीत साधकसभक जनकपुरधाममे जमघट समेत कराओल जा रहल अछि। महोत्सव अवधिभरि मिथिला-मधेश-नेपालकेँ झलकाववला विविधरास लोक झाँकीक प्रदर्शन समेत कएल जाएत।
■ तृष्णा सिंह भण्डारी :
इभेन्ट म्यानेजमेन्टमे एक दशकसँ सक्रिय तृष्णा सिंह भण्डारीक पहलकदमी ओ सक्रियतामे आयोजन होबए लागल ‘भूमि लोक महोत्सव’ विशिष्ट होएत से आसा कएल जा रहल अछि। एहि महोत्सवमे ख्यातीप्राप्त सङ्गीत साधकसभक विशेष प्रस्तुतिक लेल जनकपुरमे विषेश जमघट कराओल जा रहल अछि। एहि २५ नवम्बरकेँ भारतीय सुप्रसिद्ध गायक अरिजित सिंहक नेपालमे होबएवला कार्यक्रमक आयोजकसभमेसँ भण्डारी एकटा चर्चित व्यक्तिव छथि।
ई महोत्सव उद्यमशील कलाकार, समाजसेवी ओ कार्यकर्ता, एवं उत्साहीसभक लेल सेहो एकटा मञ्चक रुपमे सेहो आयोजन भऽ रहल अछि। एहि साल एहि प्रथम संस्करणमे जे कलाकार सभ छथि, ओ सभ छथि – कल्पना पटवरी, सोधा यादव एंड फ्रेंड्स, सौगात हमाल, श्री तारा बैंड, त्रिशाला एंड द बैंड, देवानी लाइव, ललित कामत एंड फ्रेंड्स, थारु नृत्य, झिझिया नाच, मानिया, एवं नेवारी काल भैरब चर्या नृत्य जेहन प्रस्तुतीसभ अछि–
■ कल्पना पटवारी :
हिनकर मातृभाषा आसामी रहितोमें भोजपुरी आ मैथिली लोक संगीतके साधनासँ एहि क्षेत्रके विशिष्ट साँस्कृतिक विरासतके संरक्षण आ विकासमें अद्वितीय योगदान देनिहार सुप्रसिद्ध गायिका कल्पना पटोवारीक संगीत सीमाके दुनु तरफके लोकके जीवन संस्कृति आ आकांक्षा के बात करैत छै। एहि क्षेत्रक महापर्व छठिमे लाखो लोककेँ पूजा एवं अनुष्ठानक साक्षी रहवला कालजयी गीत सभक गायिका कल्पना आमन्त्रित छथिन्ह। हिनकर सांगीतिक प्रस्तुतीक लेल ‘भूमि लोक उत्सव’ ओ दर्शकसभ बहुत उत्साहित अछि।
■ सोधा यादव एंड फ्रेंड्स :
भोजपुरी लोक गीतक इतिहासकेँ एकटा बड़का हिस्साकेँ दस्तावेजीकरण करवला एकटा सतत माध्यम रहल अछि सोधा यादव। जेकर सौंदर्यशास्त्र एकर सरलतामें बैसल छै। करोड़ो लोककेँ अन्तरात्माकेँ मौलिकताकेँ संवाहक ई लोक संगीतके प्रस्तुति सोधा यादव आ हिनकर समूह करताह जेकर अनुभव कर’ लेल ई उत्सव प्रतीक्षारत अछि।
■ सौगात हमाल :
काठमांडू विश्वविद्यालयसँ सङ्गीतमे स्नातक कऽ रहल छात्र सौगात हमाल एकटा प्रखर एवं बहुमुखी संगीतकारक रूपमे उभैर रहल छथि। सौगात हालेमे ‘माया आर्ट फाउंडेशन’केँ म्यूजिक रेजिडेंसी लेल चुनल गेलथि, जतए ओ किछु उल्लेखनीय संगीत सामग्री निर्माणमे अपन भूमिका निर्वाह कऽ रहल छथि। सुदूरपश्चिम प्रदेशकेँ धनगढ़ी निवासी सौगात एहि ‘भूमि लोक महोत्सव’मे अपन किछु मौलिक रचनाक प्रस्तुति करताह।
■ श्री तारा बैंड :
श्री तारा बैंड एकटा सर्वमहिला संगीत समूह अछि। ई सांगीतिक समूह पारंपरिक वाद्ययंत्र सभक प्रयोगसँ लोक संगीतकेँ संरक्षण आ प्रवर्द्धनकेँ काज करैत आयल अछि। शारदा डंगोलकेँ नेतृत्वमे फ्यूज़न संगीत आ ओहिमे आशुरचना करवला ई समूह संगीतक मादे महिला सशक्तीकरणकेँ वकालत सेहो करैत अछि। समतामूलक ढ़ंगसँ विविधताके अपनाबकेँ मनसाय सहितसँ ‘भूमि लोक महोत्सव’मे आमन्त्रित श्रीतारा संगीत समूहक विशिष्ट प्रस्तुती आह्लादित करत।
■ त्रिशला गुरुङ :
अपन विवध ओ उत्कृष्ट रचनासभक माध्यमसँ आधुनिक नेपाली युवा पीढ़ीक भावनाकेँ मुखरित कयनिहार डाक्टर त्रिशला गुरुङक संगीतकेँ प्रसिद्धि मूलधार आ सामाजिक सञ्जाल पर सहजे महसूस कयल जा सकैत अछि। मेडिकल डाक्टरकेँ रूपमे प्रशिक्षित त्रिशला ‘भूमि लोक उत्सव’केँ मञ्चसँ अपन सांगीतिक प्रतिभाकेँ विविध आयामसँ दर्शक-श्रोता प्रस्तुत करतीह।
■ ललित कामत एंड फ्रेंड्स :
जनकपुरधामक लोककेँ अपन आराध्या जानकीकेँ प्रति रहल प्रेमकेँ एहि क्षेत्रक हरेक कोण ओ कणसभमे महशूस कएल जाइछ। ओहि प्रेमकेँ अपन मधुरगर गायनक माध्यमसँ साक्षात्कार करबएवला संगीत साधक छथि ललित कामत। हिनकर सांगीतिक प्रस्तुति हमरा सबकेँ ओई सीमांत स्थानपर पहुँचा दैत अछि, जतए जानकीक प्रेम आ करुणाक साधारणता ओ दिव्यता दुनूक अनुभव होइत अछि। कामतक गीत ‘नारीये कोखिसँ, रुकियौ कने बारि दिय, जिनगी धुवाँ धुवाँ, हिलमिल खेल’ हौ परेमी’ आदि अनेकानेक गीत चर्चित रहल अछि। एहि ‘भूमि लोक उत्सव’मे ललित आ हिनकर सांगीतिक समूहक सहभागिता ओ प्रस्तुती बहुत महत्वपूर्ण ओ हर्षक विषय अछि।
■ देवानी लाइव :
जीवनमे सङ्गीत साधनाकेँ अपन प्राथमिक कर्म बनावकेँ हिम्मत गिनले-चुनल लोकमे होइत छै। एहन यथास्थितिवादी समाजमे ई अटपटा पर सृजनशील रस्ता चुईंन कऽ अपन लक्ष्यके हाँसिल कयनिहार शिवानी आ हुनकर संगीतकार सहकर्मी देवकेँ युगल प्रयासक नाम छै– ‘देवानी लाइव’। शिवानी आ देवक गोरी, झिझिया , मिथिलामे होरी, आदि गीत चर्चित रहल अछि। हिनकर सबहक प्रस्तुति एहि ‘भूमि लोक उत्सव’केँ समृद्ध करऽमे सहयोगी रहत।
■ थारु नृत्य :
तराईकेँ थारू समुदायकेँ लोक परम्परा थारु नृत्य एकटा मंत्रमुग्ध करऽवला सांस्कृतिक अभिव्यक्ति अछि, जे हमरा सबकेँ मौलिक-माटिसँ जोड़ैत अछि। ढोलककेँ लयबद्ध थाप आ लाठीक ऊर्जावान गतिक संग मंत्रमुग्ध करऽवला ई मौलिक लोक कला स्वयंमे अद्वितीय अछि। ई प्रस्तुति एहि ‘भूमि लोक उत्सव’मे बहुआयामिकताक एकटा महत्वपूर्ण हिस्सा रहत।
■ झिझिया नाच :
मौलिक ओ प्रमुख रुपसँ मिथिला, थरुहट आ भोजपुरा क्षेत्रक महिलासभ द्वारा दशमीक कालमे प्रदर्शन कयल जायवला झिझिया लोक संगीत कलाकेँ एकटा अत्यंत मौलिक ओ मनमोहक प्रकार अछि। माटिक पाकल घैलमे बहुत रास भूंर वा पुरा घैलमे भूंरसँ सजल घैलमे जरैत दीप स्थापित कैल जाइछ, तेकर पश्चात माथ पर राखि कऽ संतुलन बनबैत आ मैथिली लोक गीतक सङ्ग नृत्य कयल जाइत अछि। पावैन तिहारक अवसरमे ई स्मृतियोग्य कला प्रदर्शन हमरा सभक हृदय ओ समाजमे उत्सवक आनन्ददायक भाव भरैत अछि जे ‘भूमि लोक उत्सव’क नामकेँ सार्थकता देबऽमे सहायक ओ महत्वपूर्ण सिद्ध होयत।
■ काल भैरब चर्या नृत्य ओ सुदन मुनिकार :
‘काल भैरब चर्या नृत्य’मे सुन्दर, भयावह ओ सर्वोच्च देवता काल-भैरवक मनमोहक प्रस्तुती कैल जाइछ, ओ परम देवता काल-भैरव जे जन्म-जीवन एवं संहारक लेल सामर्थ्यवान छथि एहि पृथ्वी ओ ब्रह्माण्डमे। ई विस्मयकारी अवतार स्वयं भगवान शिवकेँ अंश ओ अवतार छथि, जे काल आ मृत्युक स्वामीक रूपेँ ख्याति-विख्यात छथि, ओ हिन्दू एवं बौद्धक पूज्य छथि। सुदन मुनिकार द्वारा प्रस्तुत एहि ‘काल भैरव चर्या नृत्य’क मादे काल-भैरव देवताक भयावह एवं मनमोहक चित्रण एवं प्रदर्शन कैल जाइछ। अंहकारक मृत शरीर पर ठाढ़ भयावह ओ मनमोहक भैरवकेँ हाथमे अंहकारक काटल सिर रहैछ। शालीनतापूर्ण रुपेँ ध्यानमग्न काल भैरव जीवनक तीनो चरण: सृजन ओ सृष्टि, संचालन ओ निरन्तरता आ संहार ओ विघटनक परम शक्तिकेँ एहि नृत्य मादे दर्शक लोकनिकेँ मंत्रमुग्धतामें आकर्षक रुपेँ लीन करैत अछि। ‘भूमि लोक उत्सव’मे ई प्रस्तुती विषेश रहत।
■ मानिया (Maniya) :
“एक मुट्ठी चाउर दे, घुर्मी नचा दे”
“हमर गैंग पूरा हाई फाई” आदि
अपन सांगीतिक रचनामे स्वतंत्र, निर्भिक ओ मिथिलाक मौलिक लोक-शव्द ओ गीतक प्रयोगसँ मिथिला-मधेशकेँ धिया-पुता ओ युवा-युवतीक मुँहपर अपन गीत-संगीतक बेजोड़ असर आनहिवला नवोदित ओ बहुप्रतिभाशाली कलाकार छथि मानिया। मिथिला-मधेश-देशक एवं सामाजिक ज्वलंत मुद्दा सभकेँ क्रांतिकारी रुपेँ उठान करहिवला हिनकर गीत-संगीत मैथिल-मधेशी युवासभकेँ गहिंरगर एवं मौलिक ढंगसँ प्रभावित करऽमे बहुत सफल भऽ रहल छन्हि, संङ्गहि हिनकर सांगीतिक रचनामे मिथिलाक सांस्कृतिक जड़ि सेहो समाहित देखल जाइछ। एकर कारण इयह कहल जा सकैयए, जे यदि सामग्री मौलिक ओ मजगूत होय, तऽ ओकर सफलताकेँ नहि रोकल जा सकै छै। एकर जोरदार उदाहरण छथि मानिया।
‘भूमि लोक उत्सव’मे आमन्त्रित ओ मञ्च पर हिनकर उपस्थिति एवं सांगीतिक प्रस्तुती युवा-युवतीसभ एवं दर्शकसभकेँ झुमऽ लेल बाध्य करबे करत, एहिमे कोनो दू-मत नहि।
■ उद्घोषकद्वय: घनश्याम एवं मिताली
अपन निरंतर मेहनति आ कला कौशलतासँ उद्घोषण एवं कार्यक्रम संचालन क्षेत्रमे सेहो सफल एवं प्रतिभावान घनश्याम आ सृजनशीलताक पथपर निकलल एकटा नव ओ प्रतिबद्ध आवाज मिताली सङ्गे ‘भूमि सङ्गीत उत्सव’मे ई सभ कार्यक्रम संचालन करताह।
एहि महोत्सवमे विभिन्न स्टलसभ समेत राखल जाएत से आयोजक पक्ष जनतब देलनि। एहि महोत्सवमे अन्तर्राष्ट्रीयस्तरके साङ्गीतिक प्रस्तुति हएत संस्थापक निर्देशक झाक कहब अछि।
तेँ अपने दर्शक एवं युवा-युवतीसभसँ विशेष अनुरोध, जे जनकपुरधाममे भऽ रहल एहि सांस्कृतिक-सांगीतिक उत्सव-महोत्सवमे अवश्य सहभागी होउ। एहन तरहक कार्यक्रममे प्रत्यक्ष रुपेँ सहभागिता एवं उपस्थितिसँ बहुत किछु जनबाक-बुझबाक नीक अवसर भेटैत छै।
■ लेखन एवं सम्पादन :
कैलाश कुमार ठाकुर
● मुख्य सन्दर्भ श्रोत: रंजन झा एवं सामाजिक संजाल