Poem

स्वस्थ नेतासभक सम्बोधनमे बेमार कविक भाषण : भूपी शेरचन

अहाँ,
जे राष्ट्रियता अहाँसँ दूर कतौ भागि ने जाए
तकर डरेँ
सुरवालक छोरींसँ राष्ट्रियताकेँ बान्हि लै छी।

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अहाँ,
जे राष्ट्रियता अहाँक मगजसँ उतरि ने जाए
अराष्ट्रिय विचार मगजमे ढुकि ने जाए
तकर डरेँ
अपन माथकेँ नित टोपीसँ झाँपि लै छी।

अहाँ,
जे राष्ट्रियताकेँ एकटा मीठ भाषणक
रङ्गीन बैलुन बनाकऽ
नेपाली आकासमे सबदिन उड़ा दै छी।

अहाँ,
जे आगु जते-जते उपर उठैत गेलौँ
ओते-ओते अपना उठल देशक माटि
आ ओतऽ उठल जनताकेँ
निचा देखैत रहलौँ।

अहाँ,
जे चाकरी-अवसरवादिता, स्वार्थ-छलकपटके
विभिन्न ट्याब्लेटसभ पिसिकऽ
राष्ट्रियताक चित्ताकर्षक क्याप्सुल भितर राखिकऽ
घुट घुट घोँटि सकै छी आ
स्वस्थ नजरि आबि सकै छी।

अहाँ,
जे राष्ट्रियताकेँ
व्यक्तिगत उन्नतिक चिड़ै बनाकऽ
सवर्ण माछ पकड़ऽ वाला बन्सीक भोकुवाँमे गाँथिकऽ
अवसरक धारमे डुबाबैत-उगाबैत
प्रतिक्षा कऽ सकै छी।

हम : एकटा कवि
निर्धक मुदा आत्मस्वाभिमानी
आर्थिक बजारमे नइ बिकैवाला
मुदा बौद्धिक जगतमे अपन अस्तित्व अछि कहऽ वाला अहंवादी,
अपन महत्वकाङ्क्षाक फलस्वरूप
हारियोकऽ
सबकिछु हराइयोकऽ
सभसँ अलग भऽ, भिन्न भऽ दुर्योधन
कमलक डंटी मुहमे कोचिकऽ
पोखरिमे नुकाकऽ
भीमसेनक गद्दासँ बचबाक प्रयास कएनाइ जकाँ
हम, जे अपने पीड़ा आ व्यथासभसँ बचबाक लेल
छरपटाकऽ दारूक बोतल भितर नुकाबऽ बाध्य होइ छी
मुदा बेरबेर बाहर निकलिकऽ
जीवनक ‘फाउल’ प्रहारसँ घाइल होइत
अस्पतालक शरण धरै छी
आ ‘ग्लुकोज ड्रिप्स’ क सिसाक नली भितर
टप टप चुबैत ठोपाकेँ देखैत

स्वंय ओ सेलाइन भितर बसिकऽ
आत्मासँ कानल आ पचताएल अनुभव करै छी।

यौ नेता जी ! माननीय जी ! सम्माननीय जी !
सायद अहाँसभक तरजुमे नापला बाद
हम राष्ट्रवादी नइ प्रमाणित भऽ सकब
सायद हम अहाँसभक नजरिमे
एकटा बेकार आ बेमार नागरिक छी अइ देशक।
हँ, ई सत्य छै जे हम बेमार छी
मुदा, हम एकटा बेमार देशक बेमार नागरिक छी
आ हमरा बुझल अछि
कि हम आ हमर देश बेमार हुअ कऽ कारण
अहीँसभ छी।
नइ सोचि लियौ जेँ
अहाँसभक उन्नतिक सङ्ग जरै छी
सायद ओहूक अहाँसभ योग्य नइ छी
जेँ अहाँसभसँ हम जरी
बरू, दयाक पात्र मात्र छी अहाँसभ।
अहाँसभ ओना सोचैत हएबै
अहाँसभके सङ्ग हमर कोनो बात अछि, कोनो ईच्छा अछि
हँ, एकटा त ईच्छा अछि
एकटा मजगुत ईच्छा।
कि कोनो दिन धरहराके टुप्पीपर छरपिकऽ
जोर-जोरसँ, चिचिया चिचियाकऽ पुछि सकी
अपनासँ आ अपने जकाँ हाल भेल आनसभसँ सेहो
कि ‘ यौ हम अहाँ कि छियै ?
जनता आ कि जन्तु ? “
तकरबाद अपनाकेँ आ अपने जकाँ दोसराकेँ सेहो
एकटा भद्दा मुदा अमर गारि पढ़ि सकी।

सायद हमर ओ प्रश्नमे
अहाँसभक सम्पूर्ण प्रश्नक उत्तर भेटि जाएत
सायद हमर ओ गारिमे
अहाँसभक सम्पूर्ण राष्ट्रप्रेमसँ बेसी ओजन रहत।

– अनुवाद : विद्यानन्द बेदर्दी

● मूल रचना : भूपी शेरचन ( रचना मिति : वि.सं. २०२७ पुस )

वर्तमानक समय देखी त कवि शेरचन अपना मात्र लोकप्रिय नइ भेलाह। अपन कविताकेँ सेहो ततबे लोकप्रिय बनेलाह। जे हुनक भाषाशैली आ प्रवृत्तिक देन छल। ओ नेपाली साहित्यमे कविताक उचाइकेँ सदासर्वदा अग्रस्थानमे रखलनि। सरल भाषाशैली आ गद्य रहितो लयात्मक प्रस्तुती हुनक विशेषता रहल छनि। हुनक कवितामे मानव जीवनके अनुभूतिक गहिराइ आ समकालीन युगबोधक भाषामे क्रान्ति चेतना भेटैत अछि।

काइल देशक दुर्रावस्थामे राणासभक अपन मौजमस्तीक लेल सर्वसाधारण जनतापर अपनाब’ वाला अनेक कर्तुतक गहिराइमे डुबल हुनक कविता गहिराइक मापन करैत समाजक प्रतिनिधित्व कएल भेटैत अछि तइँ भूपी विद्रोह, व्यङ्ग्य आ सहजनुभूतिका कालजयी कवि छथि।

एना हुनक चर्चा परिचर्चा आ गुनगान हेबाक कारण हमर-अहाँक लेखनमे समग्र देश, समाज आ माटिक आत्मा हएबाक चाही कहैटा पड़त। नेपाली साहित्यक वाङ्मय क्षेत्रमे अपनाकेँ वरिष्ठ लगनिहार-बुझनिहार भूपीक देखाएल बाट चलि सकथि से कामना सहित श्रद्धेय कविक जन्म जयन्ती (December 27, १९९२ पुस १२ गते) पर सिनेह-श्रद्धा भरल याद।

( सम्पादकीय )

विद्यानन्द बेदर्दी

Vidyanand Bedardi (Saptari, Rajbiraj) is Founder member of I Love Mithila Media & Music Maithili App, Secretary of MILAF Nepal. Beside it, He is Lyricist, Poet, Anchor & Cultural Activist & awarded by Bisitha Abhiyanta Samman 2017, Maithili Sewi Samman 2022 & National Inclusive Music Award 2023. Email : Vidyanand.bedardi96@gmail.com

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