मकर संक्रान्तिके मंगल दिन पर,
अम्बरमे उदित अरुण प्रभात।
घर-घर हलचल पावनि उत्सव,
मंगलमय मंगलक छल प्रात ॥१
नर-नारी ठण्डीसँ ठिठुरत,
हरित तृण शितक वर्षात।
प्रकृति सता रहल जन जीवन,
चमकए मोती धासक पात ॥२
सब परिवार जुटला पावनिमे,
घर-घर पूजा विविध विधान,
विप्र दान कए भोजन पावथि,
खिचड़ी दही सुगन्धी पकवान॥३
मुरही, चुड़ा तीलक लाई,
विविध पाक पावन परिधान,
नदी स्नान कए देवक पूजा,
मठ-मन्दिरमे दर्शन ध्यान।।४
माता मञ्जुल मनसँ वाँटथि
लऽ कऽ मंगल आशा अरमान,
तीन चाउर सङ्ग घरमे चढएलथि,
मुरही चूड़ा, खिच्चरि सङ्ग दान।।५
सब किछु अर्पण धरक गोसाउनी,
तखन प्रसाद सङ्ग लेल पकवान ॥
मकर संक्रान्तिके मंगल दिन पर,
अम्बरमे उदित अरुण प्रभात।।६
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‘श्रद्धासुमन’ विपिनके माली
– चन्द्रशेखर राय ‘चमन’
खोजू कतऽ अहाँके, आशन देखेखी खाली,
प्रतिष्ठानके प्रवर्तक, वौद्धिक विपिन माली।।
चर्चित पुरुष अहाँ स्वतन्त्रता सेनानी,
साहित्यक शौर्येत प्रतिभा, पत्रकारिकता निशानी।
विरझल विपिन अहाँके गेलौँ कतऽ नेपाली।।
आदित्य पुञ्ज नेपाली, साहित्य सुमन सजैलै,
सभाक मञ्च उपर मंचस्त मान पैलौँ।।
किनका भाषण पर हम सब, बजायव आब ताली,
खोजू कतऽ अहाँके, आशन देखेखी खाली,
प्रतिष्ठानके प्रवर्तक, वौद्धिक विपिन माली।।
प्रतिकार कए शासनके, सग्राम सभ सजएलौँ,
सहि जेल, नेल, यातना, गणतन्त्र वतनमे लएलहुं,
दुर्लभ आई दर्शन मनाओत के दिवाली।।
खोजू कतऽ अहाँके, आशन देखेखी खाली,
प्रतिष्ठानके प्रवर्तक, वौद्धिक विपिन माली।।
गूगलमैन नेपाली, स्मृति कोष तारा,
मिथिलाक पुत्र नेपाली, नेपालके सितारा,
आब देत के ‘चमन’ के साहित्य सुधाक प्याली।।
खोजू कतऽ अहाँके, आशन देखैछी खाली,
प्रतिष्ठानके प्रवर्तक, वौद्धिक विपिन माली।।
निर्भिक, कर्मठ सेनानी, तलवार हुनकर वाणी,
रक्षा कवच हिमाल, शहीद के कहानी,
करुणा भरल सफरसँ, उवारु आबि नेपाली।।
खोजू कतऽ अहाँके, आशन देखैछी खाली,
प्रतिष्ठानके प्रवर्तक, वौद्धिक विपिन माली।।
श्रद्धान्जलि सभामे श्रद्धा सुमन स्वीकारू,
अनुरागी विज्ञजनके भावक विनय स्वीकारु,
नमन स्वीकारू ‘चमन’क श्रद्धा सुमन नेपाली।।
खोजू कतऽ अहाँके, आशन देखैछी खाली,
प्रतिष्ठानके प्रवर्तक, वौद्धिक विपिन माली।।
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देश नेपाल
– चन्द्रशेखर राय ‘चमन’
जिनकर रक्षक शिषर हिमालय,
मंजुल विपिन हरित विशाल,
रम्य हमर अछि सुन्दर वाटिका,
पावन पुण्य अछि देश नेपाल ॥१॥
समतनल सरस सुहावन भूमि,
उर्वर पावन मधेश विशाल,
विमल मनोहर मण्डित मिथिला,
जिनकर पूज्य जनक महिपाल ॥२॥
शितल सरिता चलय निरन्तर,
हीम शिषरसँ सिन्धु किनार,
कोशी गण्डकी त्रिशूली, नारायणी,
कमला बागमति दुधमती धार ॥३॥
शश्य श्याम तरुवर बन्य जन्तु,
दुर्लभ खनिज जडीबुटी कमाल,
मेचीसँ महाकाली तक पसरल,
नक्सा जेना मणिमय माल ॥४।।
तपोभूमि जग ज्योति बसुन्धरा,
पशुपति बुद्ध सीताके गाम,
मुक्तिनाथ विराटसन वैभव,
राजा सलहेश जनकपुरधाम ॥५।।
विश्व पटल पर शान्ति उपदेशक,
भूमिसँ प्रकट सीता पुण्य धाम,
सुमनसँ सज्जित “चमन’ रमणमय,
राष्ट्र भक्त नेपाली, प्रणाम ॥६।।
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