दीपिका चन्द्रा – नवदुर्गा: प्रकीर्तिता (1)
पीड़ित जनकेँ स्नेहक स्नेहिल मरहम पट्टी करैत, गरीब-गुरबा, भुखल-दुखल भिखारी लोक लेल रोटीक इंतजाम करैत दीपिका कखनो खेलक मैदानमे युवा खिलाड़ीक उत्साहवर्धन करैत छथि

आइ-काल्हि शक्तिक विभिन्न स्वरूपक साधनाक दिन अछि। मान्यता अछि, जे नवरात्रिक नौ दिन धरि शक्तिक कठिन साधनासँ प्रसन्न भ’ क’ दुर्गा देवी मानव कल्याण लेल धरती पर अबैत छथि।
धार्मिक मान्यता चाहे जे किछु कहैत हो आ ओहिमे जतेक कल्पना, मिथक आ वास्तविकता हो, मुदा हमरा तँ लगैत अछि, जे अइ धरती पर हरेक स्त्रीक भीतर ओ शक्ति अछि, जे मानवक सृजन आ पोषण क’ सकैत अछि, आ जखन मानव दानव बनि जाइत अछि, तँ जरूरत पड़ला पर ओकर संहार करै के शक्ति आ सामर्थ्य सेहो रखैत छथि।
हमरासभक आसपास जे शक्तिस्वरूपा स्त्रीसब छथि, हुनको सबमे सृजन, पोषण आ संहारक शक्ति अछि, आ ओ सब माइ, बहिन, पत्नी, प्रेमिका, बेटी, पुतौह आदिक रूपमे प्रेम, वात्सल्य, ममता, करुणा आ दयाक सनेस बिलहैत छथि।
नौ दिन धरि चलैबला अइ लघु शृंखलामे हम नौ टा स्त्री रचनाकार आ हुनक टटका प्रकाशित पोथीक परिचय करेबाक प्रयास करब। अइ शृंखलाक पहिल कड़ी शुरू करैत छी सबसँ कम उम्रक रचनाकारसँ।
आउ, आइ परिचित करबैत छी अपने सबकेँ एकटा एहने शक्तिस्वरूपा सुपौलक धिया – दीपिका चंद्रा सँ, जिनकर पहिल काव्य-पोथी – “चौकठिसँ चान दिस”, हालहिमे किसुन संकल्प लोक, सुपौलसँ प्रकाशित भेल अछि।
दीपिका चन्द्रके कविता विरह व्यथित स्त्रीक कविता नइँ अछि, आ नइँ प्रेममे भेटल नोरसँ भीजल कविता अछि। अवैध व्यापार आ भ्रष्टाचारक विरुद्ध कलम चलाबयवाली दीपिका उत्साहक गीत लिखैत आ गबैत अछि। दीपिका चन्द्रक कविता जीवन-संघर्षक कविता अछि, मानवताक प्रति करुणराग आ अनुरागसँ भरल कविता अछि। अइ नव कवयित्रीक कविता प्रकृति संरक्षण, पर्यावरण संतुलन, स्त्री जीवनक त्याग, साहस आ सामर्थ्यक कविता अछि।
मुदा, कोसी आ मिथिलाक अइ धियाक परिचिति मात्र एतबे नइँ अछि। ओ बाढ़ि, अगिलग्गी, सड़क दुर्घटना आदिमे पीड़ित जनक सेवा लेल सदिखन तैयार रहैत छथि। पीड़ित जनकेँ स्नेहक स्नेहिल मरहम पट्टी करैत, गरीब-गुरबा, भुखल-दुखल भिखारी लोक लेल रोटीक इंतजाम करैत दीपिका कखनो खेलक मैदानमे युवा खिलाड़ीक उत्साहवर्धन करैत छथि, तऽ कखनो मन्च पर एङ्करिंग करैत छथि आ कखनो अपन सुमधुर स्वरसँ श्रोता-दर्शककेँ जीवन-रससँ आप्लावित करैत छथि। एकटा कवि लेल जे काव्यात्मक संवेदना आ करुणामय हृदय चाही, से दीपिकाक विशिष्टता अछि।
‘ब्लैक बेल्ट’ धारिणी अइ शक्ति स्वरूपा स्त्री शक्तिकेँ वास्तविक सम्मान तखने भ’ सकैत अछि, जखन हिनक संघर्षमय जीवनसँ उपजल कविताक हम सब आस्वाद ली आ हिनक सृजनात्मक क्षमताकेँ सराही आ ओकर काव्य प्रतिभाकेँ प्रोत्साहित करी।
कने हिनक पहिल कविताक किछु पाँति देखू, जाहिसँ हिनक काव्य प्रतिभाक आ काव्य दिशाक पता चलैत अछि –
“बजारक मकड़जालमे
आँखिपर तथाकथित विकासक
रंगबिरही चश्मा पहिरने
दौगल जा रहल अछि मनुक्ख
घुप्प अन्हार दिस।।
तखन हम कोना चुप रही
अपन माटि-पानि पर
पसरैत अइ अन्हरियाक विरुद्ध
रोशनाइ रूपी तेल
आखर रूपी टेमी लेने सृजनक दीप जरबैत छी।।”
एकटा आन कविताक पाँति देखू –
“बेटी छी तँ की भेलै
अपन भविष्य आब अपनइँ लिखब जरूरी छै
जीबाक उचित आ स्वतन्त्र
बाट पर स्वयं चलब
स्वतः सीखब जरूरी छै।।”
बहुत रास उदाहरण देबाक जरूरति हम एतय नइँ बुझैत छी, कियैक तँ, चाउरक दुइ-चारिटा दाना देखि ओकर गुणवत्ताकेँ चीन्हल जा सकैत अछि। सृजनक यात्रा पथ पर अनवरत चलबाक आश्वस्ति दयबाली अइ कवयित्रीक स्वागत मैथिली साहित्य जगतमे अवश्य होएत, से हमरा विश्वास अछि।