
प्रस्तुत अछि दीप नारायण के Maithili Ghazal
5. नैतिकता केर मान दीपक: Maithili Ghazal
सुरूज आओर चान दीपक
नैतिकता केर मान दीपक
अमवसियाक सङ्ग मिलल
चान केर अरमान दीपक
बहरा तोँ कतए तकै छह
भितरे छह शैतान दीपक
रिश्ता वएहटा रिश्ता अछि,बाउ
जाहि रिश्तामे सम्मान दीपक
मतलब केर रिश्तेदारीमे
कथी करू पहिचान दीपक
कतेको जानके जान दीपक
फूल सनक मुस्कान दीपक
4.ओकरा सोझामे बइसा क कानू: Maithili Ghazal
कनबाक अछि तँ कना क’ कानू
ओकरा सोझामे बइसा क कानू
कानबहुँमे तँ अपूर्व मजा छै
याै भाइ करेजामे नुका क’ कानू
दु:ख केर थाह लगा लेत कहूँ
दुनियाँसँ नजरि बचा क’ कानू
सब कलुष दहि जाएत मीत
नोरकेँ गंगाजल बना क’ कानू
दोसराक दु:खमे हँसैछ लोक
तेँ रातिमे दिपक मिझा क’ कानू
3.किन्नहुँ नइँ हम हारिक’ छोड़बै: Maithili Ghazal
मरबै आ नइँ त मारिक’ छोड़बै
किन्नहुँ नइँ हम हारिक’ छोड़बै
प्रेमक भाखा ओ नइँ बुझलकए
आब सोझे-साझ रेबारिक’ छोड़बै
बइमानीक एगो सीमा होइत छै
अइ नाड ।ठर्के उघारिक’ छोड़बै
भाइ कलम नइँ दिय’ तलवार
गरदनि आब उतारिक’ छोड़बै
जागू मैथिल जागू हेंज बान्हि आबू
सीमा पर नकारि गारिक’ छोड़बै
आउ सभ केओ मिथिला राज्य केर
चहुँमुक्खी ‘दीपक बारिक’ छोड़बै
2.हम कतेक अनजान छलहुँ: Maithili Ghazal
हुनका लेल हम आन छलहुँ
हम कतेक अनजान छलहुँ
जाहि घरके अपन बुझलहुँ,
ओहि घरमे मेहमान छलहुँ
हम साँच में साँच कहलियनि
हम कतेक बिरवान छलहुँ
हम हुनक छी जानके दुश्मन
जनिकर कहियो जान छलहुँ
देखने रहियनि एहि आँखिमे
हम पूर्णमासिक चान छलहुँ
1.अहिँक सवालक जवाब कहैत छी: Maithili Ghazal
निज मनके पिहानी आब कहैत छौ
अहिँक सवालक जवाब कहैत छी
दुःख दर्द, करूणा अनुभव, अहलाद
जे कहि नै सकलहुँ आब कहैत छी
हमरा हृदयमे काँट गरल अछि
हम जिनगीक तें गुलाब कहैत छी
कहब की वेदना संब विहित अछि
कय बेर कनलौं हिसाब कहैत छी
पिबि पिबि कए पियास नइँ मेटल –
एहि नोरङ हम शराब कहैत छी
हम बेजायके बेजाय कहलियनि
अहाँ तैं ने हमरा खराब कहैत छी
रचनाकार परिचय (Deep Narayan )

दीप नारायण विद्यार्थी
गजल पर साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार पओनिहार मैथिलीक पहिल लेखक छथि। ई गजलक संगहि कविता, गीत, लघुकथा, आलेख, यात्रा-संस्मरण आदिमे सेहो निरन्तर कलम चलबैत आएल छथि।
लोक आ समाजसँ गहींर सम्बन्ध रखनिहार युवा कवि/गजलकार दीप नारायण मैथिली कविताक प्रगतिशील धाराक प्रमुख युवा कवि छथि। हिनक विषय-विविधता आ दृष्टि-परिधिक सिमान बहुत अइल-फइल छनि। दीप नारायण जीक कविता/गजल संवाद करैत/ बतियाइत अछि अपन पाठकसँ। एहि विशिष्टताक कारणे हिनक रचना बेसी आत्मीय होइत छनि। हिन्दी साहित्य मे स्नातकोत्तर दीप नारायण जीकेँ साहित्यक संग-संग चित्रकलोमे विशेष अभिरुचि छनि। हिनक माय श्रीमती धनेश्वरी देवी मिथिला चित्रकला आ सिक्की-मौनीक सिद्धहस्त कलाकार छथि।
एहि तरहेँ कहि सकैत छी जे सृजनशीलता हिनक सोनितमे समाहित छनि। दीप नारायणक रचना सभ नियमित रूपसँ मैथिलीक विभिन्न पत्र-पत्रिकादि मे प्रकाशित होइत रहल छनि। 2014 मे हिनक पहिल पोथी ‘जे कहि नञि सकलहुँ’ (मैथिली गजल संग्रह) प्रकाशित भेलनि आ बेस चर्चित सेहो भेलनि। वर्ष 2015 मे एहि पोथी पर चेतना समिति पटनासँ डॉ. माहेश्वरी सिंह ‘महेश’ ग्रंथ पुरस्कार आ साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार (2016) प्राप्त भेलनि।
हिनक एहि पुरस्कारसँ मैथिली गजलक ख्याति आओरो बढ़लैक अछि। दोसर कविता संग्रह ‘आब कतेक चुप रहु’ प्रकाशनमे छनि। ई ‘अनुप्रास’ नामक सहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाक संस्थापक, समकालीन मैथिली साहित्यक छमाही पत्रिका ‘अनुप्रास’क मुख्य सम्पादक एवं द्वैमासिक ‘पकठोस’क उप-सम्पादक छथि। जिला प्रशासन मधुबनीक स्मारिका ‘वाचस्पति दर्पण’क सम्पादक मंडलमे रहि ई प्रमुख भूमिकाक निर्वहन कयल अछि। देशक कएक जगह पर भारतीय भाषा-साहित्यक संगोष्ठीमे मैथिलीक प्रतिनिधित्व क’ चुकल दीप नारायण बिहार सरकारक शिक्षा विभाग मे प्र. प्रधानाध्यापकक रूपमे कार्यरत छथि।
मधुबनीकेँ साधना स्थल बना क्रियाशील श्री दीप नारायण कवितामे डूबल रहैत छथि आ कविता हिनकामे। रचनाशीलतासँ उबडूब दीप नारायणक कलमसँ अनुखन साहित्य फुटैत रहैत अछि जेना कोनो बीया धरती फाड़ि क’ बहराइत अछि।
सम्पर्क : [email protected]