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महानायक, सदाबहार अभिनेता देवानंदक अमर कहानी

(26 सितंबर, महानायक, सदाबहार अभिनेता देवानंदकेँ जन्म शताब्दी पर विशेष)

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आइ भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीक महानायक सदाबहार अभिनेता देवानंदक जन्म शताब्दी धूमधामसंँ मनाओल जा रहल अछि। देश भरिमे हुनकर करोड़ों प्रशंसक एखनो देवानंदक पुरान फिल्मक दीवाना छथिन्ह। देवानंद एकटा सदाबहार अभिनेता रहै जिनकर सम्पूर्ण जिनगी भारतीय फिल्म उद्योगकेँ समर्पित छल। ओ एकटा सफल अभिनेताक संग-संग एकटा सफल निर्माता, निर्देशक आ लेखक सेहो छलाह। फिल्मक प्रति हुनकर आकर्षण जीवनक अंतिम क्षण धरि चलैत रहल। जखन ओ फिल्म इंडस्ट्रीमे प्रवेश कयलनि, ओ समय भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीक शैशवास्था छल। फिल्म इंडस्ट्रीकेँ आकार देबयमे देवानंदक अहम भूमिका छनि। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री सदिखन देवानंदक अभिनयक ऋणी रहत।

जाहि युगमे पहिने लंबा आ रौबदार नायक होइत रहै, ओहि युगमे देवानंद अपन सरल व्यक्तित्वकसंग फिल्म जगतमे आबि गेलाह। दुब्बर-पातर बिल्ड छलनि। ओकर मुखरा आम लोकनि जकाँ रहै। हुनकर आवाज सेहो साधारण रहै। मुदा ओ अपनसंग एकटा दृढ़ संकल्प आ जिद्द लऽ कऽ फिल्म इंडस्ट्रीमे आबि गेलाह। इएह दृढ़ संकल्प आ जिद्द छल जे हुनका फर्श स गद्दी पर अनलक। एककेँ बाद एक हुनकऽ फिल्मसभकेँ आम दर्शकक बीच मजगूत सफलता भेटल। जेना-जेना ओ डेग आगू बढ़ैत गेलाह, ओ आगू बढ़ैत गेलाह। देवानन्द नेनपनसँ मृदुभाषी छलाह। पहिने लोककसंग सहयोग करैत छलाह। हुनक ई व्यवहार जीवन भरि चलैत रहल।

फिल्म जगतमे अएबासँ पहिने देवानंद आर्मीमे सेंसर ऑफिसमे काज कऽ रहल छलाह। ओ सेनाक सेंसर ऑफिसमे सिपाहीक चिट्ठी पढ़ैत रहै। मुदा एहि काजमे बेसी दिन नहि रहि सकलाह। मुदा हुनका किछ आओर करबाक रहै। तेँ ओ सेनासँ इस्तीफा दऽ किछु अलग करबाक निर्णय कएने छलाह। किछु अलग करबाक लेल निकलि गेलाह। एतेक धरि जे हुनका सेहो नहि बुझल छलनि जे की करबाक चाही। बिना सोचने-विचारने विदा भऽ गेलाह। मुदा एगो आशा रहै जे निश्चित रूपसँ किछु नीक होइ। एहि अनजान यात्रामे ओ पूना पहुँचलाह। एतय प्रभात पिक्चर्सकेँ फिल्म ‘हम एक हैं’ क माध्यमसँ अपन फिल्मी पारीक शुरुआत केलनि। अभिनयक प्रतिभा तँ नेनपनसँ कुटि-कुटिकऽ भरल रहनि। घरक काजमे डूबल रहबाक कारणेँ ओ अपन भीतर नुकायल अभिनयक गुणकेँ नहि बुझि सकलाह। पहिल बेर अभिनय केलनि आ ‘हम एक हैं’ क निर्देशक हुनकर अभिनयके बहुत प्रशंसा केलनि। तखने हुनका बुझा गेलनि जे ओ कलाकार बनि सकैत छथि। ई प्रशंसा हुनकऽ भविष्यक कैरियरके निर्माणमे एक सीढ़ी साबित होय गेलै।

हुनक एकटा बहुत रोचक गप्प अछि, जखन ओ छोट छलाह। स्कूलक विद्यार्थी छलाह। ओ गुरदासपुरसँ अमृतसर गेल छलाह मायक दवाइ आने लेल। ओतय स्वर्ण मंदिर लग हुनक कपार देखि शिकनजी बेचनिहार एक व्यक्ति अचानक कहलक जे अहाँक कपार पर सूर्यक प्रतीक अछि। अहाँ एक दिन महान लोक बनि जाएब, ई सब गप्प ओ पलंग पर पड़ल आपन माय के कहलखिन। ओकर माय अपन बच्चा देवानंदक कपार पर हाथ राखि पिताकेँ कहलखिन जे भगवान हिनकर बेटाकेँ आशीर्वाद देलखिन हैँ, जे एक दिन देवानंद महापुरुष बनि जेताह। शायद ई हुनकर भविष्यक घोषणा रहै। देवानंद बादमे सूर्य बनि पूरा फिल्म उद्योग पर हावी भ गेलाह। शिकनजी बेचनिहारक बात सत्य सिद्ध भेल।

जाहि कालमे देवानंद फिल्म इंडस्ट्रीसँ जुड़ल रहै, ओहि दौरान दूटा पैघ स्टार सेहो सामने आएल रहथि। ओ दूनू पैघ स्टार छलाह दिलीप कुमार आ राज कपूर। कमालकेँ गप्प ई रहै जे तीनू गोटे मिता सेहो रहै, एहि तीनूक एक दोसरासँ तुलना एकदम नहि करबाक चाही। कारण तीनूक अपन इजोत रहै। ई तीनू अभिनेता भारतीय फिल्म उद्योग लेल मीलक पाथर साबित भेलाह। एतय, ई लिखब जरूरी अछि जे एहि तीनू कलाकारमे मात्र देवानंद बाहरसँ आयल छलाह। देवानंदके भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीमे कोनो मजगूत बैकग्राउंड नै छल। ओ मात्र अपन अभिनयक बल पर अपन छाप छोड़लनि।

एक अभिनेताक रूपेँ देवानंद अपन पात्रकेँ बहुत बुद्धिमानीसँ चुनैत छलाह। 1951 ई. मे ओ फिल्म ‘बाजी’मे एकटा छोट समयक जुआरीके भूमिका निभैने छलाह। 1952 मे ओ फिल्म ‘जाल’मे तस्करक भूमिका निभैने छलाह। फेर, 1960 मे ‘कालाबाजार’ नामक फिल्ममे कारी रंगमे टिकट बेचय वाला व्यक्ति बनि गेलाह, साठिक दशकमे एहन पात्र चुनब साहसक काज छल। मुदा ओ अपन चरित्रमे निरंतर नव-नव प्रयोग करैत रहलाह। चमकैत तारा सभक बीच डिब्बासँ बाहर भऽ कऽ चुपचाप अपन निश्चित आ नमहर बाट प्रशस्त करबामे विश्वास करैत रहलनि।

देवानंदकेँ अपन कैरियरक प्रारंभिक चरणमे सुरैया सन अभिनेत्री के समर्थन भेटल छल। सुरैया ओहि समयक सबसँ सफल अभिनेत्री छलीह। देवानंदकेँ लागल जेना जीवनक बाटमे कोनो सच्चा संगी भेटि गेल होय। दैनिक बैसार, टेलीफोन पर गप्प-सप्प, सपना आ आकांक्षा। देव सुरैया के ‘नोजी’ कहैत छल, जखन कि सुरैया ओकरा ‘स्टीव’ कहैत छलीह।
देवानंद भारतीय फिल्ममे किछु नव देबय चाहैत छलाह। तेँ ओ अपन अभिनय कैरियर शुरू करय चाहैत छलाह आ फिल्म प्रोडक्शन कंपनी बनेबामे समय बिताबय चाहैत छलाह। अतः 1949 मे अपन पैघ भाई चेतन आनंदक संग नवकेतनक नींव रखलनि। बाद मे ई नवकेतन हिन्दी फिल्म जगतके एककेँ बाद एक हिट फिल्म देलकै। एहि प्रोडक्शन हाउसक पहिल फिल्म छल ‘अफशर’ जे पूरा देशमे सुपर हिट भेलै। नवकेतन बादमे ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘फंटूश’, ‘नौ दो ग्यारह’, ‘काला पानी’, ‘कालाबाजार’, ‘हम दोनो’, ‘गाइड’, ‘ज्वेल थिफ़’, ‘प्रेम पुजारी’, ‘हरे रामा हरे कृष्ण’, सन फिल्म बनौलनि।

आइ हुनक जन्म शताब्दी पर हमरा गर्व अछि जे हम ओ हजारीबागक व्यक्तित्व स्वर्गीय घनश्याम दुबेकेँ लिखैत छी जे हजारीबाग छोड़ि मुंबई चलि गेलाह जे भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीमे किछु करब। मुंबई पहुँचलाक बाद ओ सोझे नवकेतनमे पहुँचला। नवकेतन द्वारा निर्मित फिल्म निर्माणक हिस्सा बनि गेलाह। हम हुनका देवानंद आ चेतन आनंदक रोचक कथा कहैत छलहुँ। घनश्याम दुबे कहैत छलाह जे देवानंद एकटा कुशल अभिनेताक संग-संग बहुत कुशल निर्देशक छथि। कोनो विषय पर गंभीरतापूर्वक सोचैत छलाह आ आगू बढ़ैत छलाह। देवानंद अपन उत्पादनसँ जुड़ल छोट-छोट मजदूर कए सेहो बहुत सम्मान दैत छलाह। सब प्रोडक्शन कर्मचारीकेँ समय पर वेतन दैत छलाह। अपन कर्मचारीक स्थान पर छोट-छोट कार्यक्रममे सेहो भाग लेबयमे कोनो संकोच नहि करैत छलाह। जतेक पैघ कलाकार छलाह, ओतबे स्वाभाविक आ सरल छलाह। देवानंद कहियो हिन्दी सिनेमामे रोमांसके प्रतीक बनि गेल छलाह, जतय कतहु जाइत छलाह, पहिने हुनकासँ भेंट करय आ हुनका देखय लेल प्रशंसक सभक भीड़ रहैत छल। देवानंद देश भरिमे एकटा पैघ नायकक रूपमे जानल जाइत रहलाह। अपन फिल्म यात्रामे चारि पीढ़ीक नायिका सभक संग सफलतापूर्वक अभिनय कएने छलाह। अपन फिल्मी कैरियरक शुरुआत सुरैया, मधुबाला, गीता बाली संङ्ग शुरूआत करि कल्पना, कार्तिक, नूतन, मीना कुमारी, माला सिन्हा, साधना, आशा पारेख, वहीदा रहमान, वैजयंती माला, मुमताज, हेमा मालिनी सहित
बहुत रास छोट नायिकाक संग सेहो अभिनय कएलनि।

देवानंद जीकेँ वर्ष 2002 मे ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ भेटल छलनि। अपन सफल फिल्मी कैरियरकेँ देखैत हुनका ई पुरस्कार बहुत पहिने भेटबाक चाही। स्वर्गीय दादासाहेब फाल्के पुरस्कार पर ओ कहने छलाह जे जीवनमे जे किछ भेटल, भेटला पर भेटल आ माथ झुका कऽ स्वीकार कयलनि। अतीतसँ कोनो शिकायत नहि अछि। वर्तमान समयसँ नहि। बस आगू बढ़ैत रहय पड़त, जोशसँ जीबय पड़त। देवानंद साहेब अपन फिल्मी जीवनसँ कतेक संतुष्ट छलाह से देखाबैत छथि। हुनका ककरो विरुद्ध कोनो शिकायत नहि छलनि। बस! कम फिल्म कऽ कऽ रोजी-रोटी कमाबऽ चाहैत छलाह। अपन सम्पूर्ण जीवन एहि शैलीमे जीबैत रहलाह। आइ हुनक जन्म शताब्दी देश भरिमे मनाओल जा रहल अछि । हमर सौभाग्य अछि जे हुनकर अधिकांश फिल्म देखबाक मौका भेटल। आइयो हमरा हुनकर पुरान फिल्म देखब नीक लगैत अछि। हुनकर सब फिल्ममे ‘गाइड’ हमरा सबसँ नीक फिल्म लगैत अछि। ‘गाइड’ हुनकऽ अमर फिल्ममे सऽ एक के रूपमे जानल जाइछ।

विजय केसरी
(कथाकार / स्तंभकार)
पंच मंदिर चौक,
हजारी बाग – 825301.

कैलाश कुमार ठाकुर

कैलाश कुमार ठाकुर [Kailash Kumar Thakur] जी आइ लभ मिथिला डट कमके प्रधान सम्पादक छथि। म्यूजिक मैथिली एपके संस्थापक सदस्य सेहो छथि। Kailash Kumar Thakur is Chef Editor of ilovemithila.com email - Contact@ilovemithila.com, +9779827625706

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