दीपिका झा – नवदुर्गा: प्रकीर्तिता (4)

आइ नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: के चारिम कड़ीमे हम जाहि स्त्री शक्तिक चर्चा क रहल छी, हुनक चर्चा मिथिलासँ मायानगरी मुंबई धरि होइत छनि। अखन धरि हुनक पांच टा पोथी प्रकाशित भ चुकल छनि, जाहिमे एकटा कवितासँग्रह अछि आ बाकी चारि टा कथासँग्रह। अहू चारि कथासँग्रहमेसँ दू टा बाल कथासँग्रह।
जी हम गप क रहल छी मधुबनी जिलाक पोखरौनीक धिया दीपिका झाके, जिनकर हालहिमे प्रकाशित कथासँग्रह अखन मैथिलीक कथाकार आ समालोचक वर्गक बीच बहसक विषय अछि। भरि बाटी दूध अखन प्रेसस्थ अछि, मुदा ओकरा प्रकाशिते मानि हम ऊपर परिगणित कएल अछि।
सुप्रसिद्ध कथाकार अशोक केर डैडीगामसँ प्रभावित भ कथा लिखब आरंभ कयनिहार दीपिका केर एतेक कम समय चारि टा कथासँग्रह प्रकाशित होयब एकटा सुखद आश्वस्ति प्रदान करैत अछि। पुरान आ नव पीढ़ीक रचनाकारक बीच इहो एकटा फर्क अछि, जे पुरना पीढ़ीक लोकक पोथी बहुत-बहुत दिन पर प्रकाशित होइत छलनि, मुदा नवका पीढ़ीक सुविधा ई अछि, जे प्रौद्योगिकीक विकासक कारणें आब पोथी प्रकाशन बहुत सहज-सुलभ भ गेल अछि।
खैर गप करैत रही युवा कथाकार दीपिकाके…व्यक्तिगत रूपसँ कोनो खास परिचय नइँ हेबाक कारणें हिनक पारिवारिक, सामाजिक विषयमे हम किछु बता सकबामे असमर्थ छी, मुदा पहिल बेर हिनक रचना देखबाक अवसर भेटल भारती मंडनके युवा विशेषांक लेल आएल रचनाक ढेरमे, तहिया कोनो खास ध्यान नइँ देने रहियै।
मुदा बादमे जखन सोशल मीडिया पर हिनक रचना सभ क्रमशः देखैत गेलाैँ, तँ बुझायल से अइ नव रचनाकारक रचना सभमे एकटा ताजगी आ त्वरा अछि, जे अपन सरल-सहज भाषा शैलीक कारणें पाठककें आकर्षित करैत अछि आ देर धरि अपना लग बिलमा लैत अछि।
हिनक बहुत रास पोथी सब तं नइँ पढ़ि सकल छी, मुदा मोजर नामक टटका कथासँग्रह अवश्य पढ़ने छी। अइसँ पहिने वयस्क पाठक लेल हिनक कथासँग्रह अंतिम स्त्री प्रकाशित भेल छल, जाहिमे 23 टा कथासँकलित छल। कोनो कथाकारक रचनात्मक विकासकें अकानय लेल ओकर प्रारंभिक रचनाकें पढ़ब-गुनब आवश्यक होइत छै, किएक तं ओहिमे ओकर गुणसूत्र रहैत छै, तथापि मोजर पढ़ैत लगैत अछि, जे अइ युवा कथाकार लग विषयक विविधता अछि, कथा कहबाक एकटा निजी सरल-सहज शैली अछि आ आधुनिक चेतना दृष्टि अछि।
कथाक शिल्पमे कतहु-कतहु अनगढ़ता अवश्य अछि, मुदा दृष्टि (विजन) फड़िच्छ अछि। कोनो रचनाकार लेल दृष्टि महत्वपूर्ण होइत छै, किएक तं वैह दृष्टि ओकर रचनाकें उत्कृष्टता आ तुच्छता दिस ल जाइत छै।
खुशीक गप अछि जे दीपिका रूढ़ि विचारसँ मुक्त छथि आ आधुनिक चेतनशील दृष्टिसँ अपन कथाकें निष्पत्ति धरि पहुंचबैत छथि। हुनक बोल्डनेसके प्रशंसा कएल जएबाक चाही, जे जाहि विषय सबकें आम मैथिल जन ककरहु लग चर्च करयसँ बचैत अछि, ओहि विषय सब पर ई कलम चलौनि अछि।
आश कएल जा सकैत अछि, जे दीपिका झा मैथिली कथाकें नव उच्चता प्रदान करतीह आ अपन कथाकें निष्पत्ति धरि पहुंचाबैत काल ओकर शिल्पगत ढांचा पर बिलमिकें विचार करतीह। हिनक रचनात्मक शक्ति आ क्षमता प्रभावित करैत अछि।