
मैथिलीकेँ नहि बान्हियौ,
आशा, उषा आ निशाक दुपट्टामे
एकरा जाए दिऔ घसछिलनीक छिट्टामे
आ भिखमंगनीक बट्टामे
नइँ ! जँ एना कंठ मोकिक’ राखबै
मैथिलीकेँ झा जीकेर पानपर
मिसर जीक दलानपर
पाठक जीक मचानपर
आ चौधरी जीक खरिहानपर
तँ छिछियाक’ मैथिली
पड़ेतीह लहठा बथानपर
बगलेमे बहैत छथिन कोसी
ओहिमे फांगिक’ आत्महत्या क’ लेतीह !
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तेँ कहैत छी जे
मैथिलीकेँ जाए दिऔ
लोहारक भट्ठी आ पासवान जीक मचानपर
कामत जीक ओसरा आ महतो जीक मचानपर
मौलवी साहेबक टोपी आ यादव जीक बथान पर
सीतामढ़ीक आंगन आ कटिहारक दलानपर.
भाषाक पानि जखन जड़िमे ढरेतै !
तखन मैथिलीक झण्डा अकासमे फहरेतै !
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स्मृतिशेष डॉ. मनोरंजन झाक ई कवितांश हमर प्रिय रहल अछि, जे एखनहुँ सम्पपूर्णतामे प्रासांगिक अछि ।