युवा गजलकार प्रियँका झाक पाँचटा मैथिली गजल प्रस्तुत अछि
पहिल मैथिली गजल
सत्य बाज’ लेल हमरा आब राेकत के
सत्य लिख’ लेल हमरा आब टाेकत के
लक’ चलल छी तरहत्थीपर चिनगी
हमरा आब आगिमे झोकत के
नेपालक राजनीति ओहिना छै गन्दा
बेर-बेर ओइके जा’क आब घोकत के
अपने मातृभाषासँ करैए जे बैमानी
ओकर छातीमे गोली आब ठोकत के
चलि पड़ल छी जखन न्यायक बाटपर
तखन पीठपर खन्जर आब भोकत के
View Also:युवा गजलकार रामसोगारथ यादवक पाँचटा गजल
दोसर मैथिली गजल
बहुत किछु जीवनमे पढ़बाक मूड अछि
बहुत किछु जीवनमे लिखबाक मूड अछि
मोनक बखारीमे सैँतल अछि बातसब
मोनभरि अहाँके कहबाक मूड अछि
नहाइत रहलहुँ जिनगीभरि नोरक सागरमे
आबो कनिक अहाँसंगे हसबाक मूड अछि
जाएसँ पहिने भेट कऽ लेब से आग्रह
नयनभरि अहाँके देखबाक मूड अछि
धीरे धीरे अहाँक आँखिमे आँखि मिलाक’
बस एकबेर आइ लभ यू सुनबाक मूड अछि
View Also:मुख्यमन्त्री राउत सब प्रति आक्रामक किए ?
तेसर मैथिली गजल
कऽ लिय न नैनसँ नैनके स्पर्श
जीवन तँ होइते छै सबके संघर्ष
देखैत छी दूरोसँ अहाँके जखन
मोनमे उपजैत अछि एकदमसँ हर्ष
कतौ रही अहाँ चाहे कतौ रही हम
होइत रहे अहिना सदिखन विमर्श
रहल नइँ जाइए अहाँ विनु प्रिय
चढ़ल जाइए आब प्रेमक उत्कर्ष
अहीँक संग जीयब-मरब सबदिन
इएह अछि हमर अन्तिम निष्कर्ष
View Also:हमर पार्बतीकेँ देखलहुँ ? [संस्मरण कथा]
चारिम मैथिली गजल
स्वार्थसँ भरल दुनियाँ छै लालचमे नइँ घेराउ अहाँ
दोसरके देल धमकीसँ अपन कर्तव्यसँ नइँ डेराउ अहाँ
उठल अछि डेग अन्यायसँ लडबाक लेल
बरकैत शोणितके एना नइँ सेराउ अहाँ
अपनासँ बेसी अछि तँ गरीब दुखियामे बाटि दियौ
राति दिन अन्नके विनासैतीमे नइँ नेराउ अहाँ
झुठ्ठा अभियानी सभके कुचक्रमे परिक’
इमान्दार अभियानी सब एना नइँ पेराउ अहाँ
हमसभ मैथिल छी अन्तिम साँस धरि मैथिले रहब
दाेसरके देखाउसमे अपन अस्तित्व नइँ हेराउ अहाँ
View Also:राम मन्दिरके भूमि पूजनपर पूनम मिश्रा
पाँचम मैथिली गजल
हे रौ एना मनमानी कते करबे ताें आब
हे रौ एना फिरसानी कते करबे ताें आब
मैथिली मिथिलाके खेलाैना बनाक’
हे रौ एना बैमानी कते करबे तों आब
जनताक खुशी देखल नइँ जाइ छौ तोरा
फोकटमे सैतानी कते करबे तों आब
गरीब दुखियाके नाेरेझोरे कनाक’
अपनामे लगानी कते करबे तों आब
पर्दाफास भेलहुँ आब तोरो कुकरमसब
झुठफुसके कहानी कते करबे तों आब
View Also:कोरोनोकेँ पराजीत कएक सांसद प्रदीप यादव
© लेखिका
♥ प्रियँका झा
⇒प्रियँका जी,मैथिली गजल लेखनमे नव प्रवेशिका छथि। हिनक रचना समाजवाद तथा आत्म केन्द्रित देखल जाइत अछि। ‘बहुत किछु जीवनमे पढ़बाक मूड अछि’ एहिसँ थाह लागैछ जेना लेखिकाकेँ खोजमे बहुत रूचि अछि। प्रियँका जी,मुलत: नाटकके लेल चिन्हल जाइत छथि। रेडियो नाटक ‘सङोर’,’बाह्र मसला तेह्र सुआद’ तहिना विभिन्न मञ्चिय नाटक कएने छथि। हाल सेहो करिते छथि।