१. हम कठोर
हम एकटा उपाइ पता लगेने छी
अइ भीड़सँ भाग’ लेल
जखन हम घरसँ बाहर निकलैत छी
हम छोड़ि दै छियै
अपना भीतरक किछु अवशेषकेँ
केवाड़ीक दोगमे
जखन हम लोककेँ देखै छियै
कारक भीतरसँ
कोनो महत्त्वपूर्ण विषयपर
वार्तालाप करैतजकाँ
हम अकान’ नइ चाहैत छी
उँचगर पुलपर
जखन कियो
आत्महत्या कर’ लेल उद्यत देखल जाइत अछि
तैयो हम सहजहिँ
ओकर परवाह नइ कर’ सिखि गेल छी
हम कनिको
पश्चाताप करबाक मनस्थितिमे नइ छी
ने अपना लेल
आ ने अनका कारण !
हम दिन-प्रतिदिन चलाक भ’ रहल छी
सङहि कठोर सेहो !
२. नजर अन्दाज
अन्तिम साँस जीबि रहल
एक साँझ हम
क्रमबद्ध रूपेँ
हमर
हृदय भीतरक
सादा कागजपर
अपन सम्पूर्ण इच्छासभ
एक-एक क’ लिखैत छलहुँ
मृत इच्छासभकेँ दफना देलियै
कलमसँ
निर्ममतापूर्वक ठामहि काटिक’
आ जीबैतसभकेँ नजरअन्दाज !
३. अन्हरिया राति
अलसाएल साँझक
अइ अन्तिम पहरमे
आबि रहल अछि
एगो अदृश्य चित्र
एकटा अपूर सपनाक
हमर सोझा
टूटल कुर्सीपर बैसिक’
घुमि रहल अछि हमरा लग
भोरेसँ
हमर पाछाँ
पसरल गाछक सोझामे,
अन्हरिया रातिजकाँ
सृष्टिक सभ अस्तित्व
नुका लेने छी
अपन कारी आँचरमे
आ, हम
एगो कातमे
अपन निरीह देह ल’क’
ताकि रहल छी सामने
ओकर मूँह ।
४. चिड़ै
गे चिड़ै … गे चिड़ै
किए ने बोलै छेँ ?
आइकाल्हि
हमरा तँ बात-बातपर
तोरे धियान आबैए
जेना ……
मधुर स्मृतिसँ सजल
हमर मन-मस्तिष्कमे आबैए तोहर याद
आ, मोन पड़ैए
तोरासंगे औँघाएल
बसन्तक इजोरिया राति
धियान आबैए तोहर हँसमुख गीत
उल्लासक ध्वनि
तोहर चञ्चल पाँखि
मृदु काया
तोहर आङनभरि लतरल
गाछक लत्ती
सभटा आबैए स्मरणमे बेर-बेर
अइबेरक वसन्त
किछु उदास छै
निर्जन डारिक पातसन
आँखिमे धँसल
एगो मृत युगसन
५. मृतकक अनुभूति
हमरा चटपट उठबाक अछि
अपन सारासँ
आ एक ट’क देखैत रहबाक मोन अछि
अइ मृत संसारकेँ एकबेर
पुन:
हमरा बाद
के-के लगले मरल ?
कतेक प्राणसभ शेष
अन्तिम साँस तानि रहल अछि !
ककरा लेल ?
बन्दोबस्त मिला रहल अछि श्मसानघाट परिसरमे
हमर समाप्तिक पश्चात !
ओइ सभटा
तथाकथित भागमन्तक मूँह
हम एकबेर निहार’ चाहैत छी
छाउर बनि
अन्तरिक्षदिस स्पष्ट भागि रहल
ई धूरा
ककर समाप्तिक दस्तावेज छियैक ?
रहू, हमरा एकाग्र भ’
कने तत्त्व-चिन्तन कर’ दिअ !
हमरा पहिचान करबाक अछि—
ओइ सभ कठिहारीक
जकरा-जकरा हमर अन्त्येष्टिक संग
सुखद क्षणक अनुभूति भेल होइक !
मृतक होएबाक नाते,
हमरा जीबैत लोकक प्रकृति बुझबाक अछि ।
© अहमद साहिल
ढल्केवर,धनुषा
हाल – टेक्सस, अमेरिका
लेखन भाषा : नेपाली, मैथिली, हिंदी, उर्दू, भोजपुरी, अवधी, अङरेजी ।
अहमद साहिलके विषयमे धीरेन्द्र प्रमेर्षिक किछु उल्लेखनिय बात :
अहमद साहिलक रचनासभ करीब ५ वर्षसँ हमरा अपनादिस खिचैत रहल अछि। ई नेपाली कविता/गजलक माध्यमेँ प्रस्तुत होइत रहैत छलाह। जखन पता चलल जे ई धनुषा जिल्लाक ढल्केवर रहनिहार छथि तँ हम हिनकासँ मैथिलीमे सेहो लिखबाक आग्रह कएने रहियनि।
सामाजिक सञ्जालमे प्रायः ई काव्यचेतक उत्कर्ष परसैत रहैत छथि— नेपाली, उर्दू, अङरेजी आदि भाषाक माध्यमेँ। शब्दजालमे बेसी नहि ओझरा सहज रूपेँ अनछुअल प्रकृतिक बिम्ब प्रयोग करबाक बेछप अन्दाज अधिकांशमे हमरा देखाइत रहल। कतबाधरि जे कोनो दू टप्पी मात्र लिखने रहै छथि, सेहो काव्यत्मकतासँ ओतप्रोत रहैत अछि।
मैथिली लिखबामे शायद धखाइत छलाह। तेँ छिटफुट रूपमे भलहि एक-आधटा कहियो काल लिखैत छलाह, अहगर कऽ भरिमोन होएबाक हिसाबेँ हिनक कविता मैथिलीमे आइ लभ मिथिलेमे परसाएल छनि। ई देखलापर लगैत अछि जे सुस्वादु तथा पौष्टिक व्यञ्जन बनएबामे दक्ष लोकक लेल भाषा मात्र थारीटा बनिकऽ रहि जाइत अछि, जाहिमे परसिकऽ लोककेँ खुआएल जाए। हँ, ई अवश्य होइत छैक जे कतेको सन्दर्भमे भोजनपात्र सेहो व्यञ्जनक साँठ, विन्यास आ सुआदकेँ विशिष्ट बना दैत छैक। से बात मैथिलीक पात्रमे परसाएल ई पाँचटा सुस्वादु व्यञ्जनक सन्दर्भमे सेहो लागू होइत अछि।
हिनका कवितामे मौलिक प्रकृतिक बिम्ब, प्रतीकक एहि तरहेँ पथार भेटैत अछि जे सहजहिँ मोन पड़ि जाइत छथि कवि स्व. भुवनेश्वर पाथेय। अहमदक एकटा अतिरिक्त विशेषता ई छनि जे शब्द-वाक्य आदि अत्यन्त सहज प्रयोग करितो भाव गम्भीर आ विशिष्ट परसैत छथि। अहमदकेँ काव्याकाशमे अखन आओर बहुत दूरधरिक यात्रा तय करबाक छनि। तेँ हिनक कवित्वक समग्र आकलन बादमे होएबे करतनि। मुदा अखन अइ पाँचटा कविताक अएनामे मात्र देखल जाए तैयो ई कहि सकैत छी हिनक कविता भाव आ शैलीक हिसाबेँ मैथिली कवितामे एकटा नव मानदण्ड स्थापित कऽ सकैत अछि। हम अहमदकेँ हुनक अपन काव्य-काननमे, मैथिलीक आङनमे हार्दिक स्वागत करैत छियनि।
— धीरेन्द्र प्रेमर्षि