मैथिली कविता ‘गंगे’ : डा. शेफालिका वर्मा

हे गंगे..
केओ अपना लेल बान्हि सकल अहाँकेँ ?
की अहाँ कोनो एके गोटे लेल बहि रहल छी ?
अहाँ तँ सबहक छी
नइँ जानि कतेक पुजारी अछि अहाँकेँ ?
नइँ जानि कतेकक उद्धार अहाँ कयलौं
केकर-केकर स्मरण होयत अहाँकेँ ?
फेर किएक
पुण्यमती गंगे !!
हम अहाँकेँ बान्हबा लेल व्याकुल छी ?
हम अहाँक एतेक पैघ भक्त स्यात् नइँ छी जे
अहाँ हमरा मोन राखी
हम की करी माते ?
माय कहने छलीह
जखन
संसारक बाड़ीमे प्रथम स्वर
हमर बिहुंसल छल
हम अहाँ दिस आँगुर उठबैत
खुशीसँ किलकैत
बजने छलहुँ
‘‘गं गं गं गेऽऽ’’
ऋषिकेश
(15 .12 .2023)
■ लेखक परिचय
डा. शेफालिका वर्माक जन्म ०९ अगस्त, १९४३ मे भेल छनि। एम.ए. (M.A.) एवं पीएचडी (PhD) धरिके अध्ययन कएने डाक्टर वर्मा ‘कामायिनी और उर्वशी में नारी चित्रण’ विषय पर थेसिस लिखने छथि। बहुत रास मान-सम्मान एवं पुरस्कारसभसँ सम्मानित ई साहित्यकार एवं कवयित्री ‘साहित्य एकेडमी अवार्ड २०१२’ सँ सेहो सम्मानित छथिन्ह। शिकागो युनिवर्सिटीक प्राध्यापक आर.के. जाइड द्वारा हिनकर कविता ‘हमर गाम’ अंग्रेजीमे अनुवादित छनि तथा ‘युनाइटेड किङ्गडम’क बोर्ड परिक्षाक सिलेबसमे सम्मिलित कएल गेल छनि। साहित्यक बहुत रास विधासभमे निरन्तर कलम चलौनिहारि डाक्टर शेफालिका वर्माक बहुत रास कृतिसभ प्रकाशित छनि तथा किछु कविता नेपाली, अंग्रेजी, तेलुगू, गुजराती, ओरिया, बंगलामे अनुवाद कएल गेल अछि।