गेना यादवक दूटा मैथिली कविता

■ गामक याद
रेस्टूरेण्ट आ सोपीङ्ग मल नइँ छलै
पपकोर्न आ सिनेमा हल नइँ छलै
सुकुन तहियो छेलैय जीवनमे
जहिया कतौ चापाकल नइँ छलै।।
मस्त रहथि सब कियो अपने मस्तीमे
सब अपने बिरान नइँ अइ बस्तीमे
सङ्कट आबै त’ सब मिल बाँटि लथि
करैत वहए काम जेँ सबकियो ठानि लथि।।
माएक साड़ी पहिर राम सीता बनैत छलौँ
एकोबेर टोनि दथि कियो, बोम पारिक’ कनैत छलौँ
टाङ्गसँ मुड़ीधरि माटि लगा घर घुरैत छलौँ
बाबुके फटकार माएक दुलार पिबैत छलौँ
दादी-बाबाके कहानी आब कहानी बनि गेलै
मरैसँ पहिने देलहा रुपैयाँ आब निशानी भऽ गेलै
सङ्कट आबै तँ आबै छै गामक याद
स्मृतिमे आइयो छै कागजक नाव
आबै छै जखन याद गामक चुपेचाप कानि लैत छी
नइँ आएत ओ दिन घुरि हृदयसँ मानि लैत छी।।
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■ हमर बचपन
माएके कोरामे छल चारोधाम
नइँ कोनो मेहनति आ नइँ कोनो काम
याद आबैए ओ बचपनके सैतानी
बाबू हमर सुनाबैत छल बहुतो कहानी।।
अखनो नइँ बिसरल छी बचपनके याद
उलहन सुनाबै छलौँ कक’ सैतानी।।
मुदा आब दिनसभ भेल छै भारी
कनहापर हमरा छै जिम्मेवारी।।
जिम्मेवारीसँ समय भेल भारी सम्हरिक’ चलू
रस्ता नमहर छै डराउ नइँ भजारिक’ चलू
सबकियो मिल-जुलिअधिकार लेल दुनियाँसँ लड़ू
अहङ्कारके आगिमे पजारिक’ चलू।।
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■ साहित्यकार परिचय :
लक्ष्मीपुर पतारी (सिरहा) निवासी गेना यादव [Gena Yadav] एखन बि.एड. (शिक्षा) मे अध्ययनरत छथि। अध्ययन सङ्गहि अपन मातृभाषा मैथिलक साहित्य अध्ययन एवं सृजनदिस सेहो हिनकर रूचि बढ़ि रहल अछि।