
संसारमे राज करैत छै ई घड़ी माफिया…
घड़ी माफिया
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देबाल पर टाँगल
घड़ीक सुइ घुमैत अछि अहर्निश
एकर घुमबाक क्रम मे
कहियो कोनो परिवर्तन कहाँ होइत छैक
आसकति सेहो नहि होइत छैक एकरा संसार कें अपन नोक पर जेना
रखबाक भार लेने अछि ई, आ से
खूबे तन्मयता सँ करैए तकर निर्वाह…
हम जहिया, आ
जखन-जखन तकैत छी एकरा दिस,
बेसीकाल तामसे होइत अछि
देखिते मुँह मलिन भ’ जाइत अछि
चक्रर देबय लगैत अछि माथा…
आ तखन विरक्त भ’ क’
अपन तामसक बात सेहो उगिलि दैत छी
जे की तोरा टांग मे घोड़ा बान्हल छह !
मुदा एकरा लेल धन सन,
ई अपन कर्तव्यमे लागल करैत रहैए ड्यूटी
एकरा बुझले नहि छैक विकलता, जे
कतेक हरान, परेशान रहैत अछि मनुख
घर सँ बाहर निकलैत अछि, आ
एकरा दिस तकिते बेचैन भ’ जाइत अछि !
ई कहिया उठौलक समस्याक झोरी,
जकरा ढोइत झुकि जाइ छै मनुखक धड़
उड़ि जाइत छैक चानि परहक केस
आ ताही व्यथे भ’ जाइत अछि मतिसुन्न !
जतय-जतय जाइत छी,
संगे जाइत अछि ई घड़ी
जीवन पर सदिखन रहैए एकरे कब्जा
आ से सत्य कही तँ एकरा बिनु
भ’ जाइत छी हमहूँ आन्हर-अकान !
ई हाथ मे बान्हल अछि
देबाल पर लटकल अछि
गाड़ी धरि मे लागल अछि
से जँ कहियो भागहु चाहैत छी,
तैयो कहाँ छोड़ैत अछि हमर संग !
जकरा ओहिठाम जाएब,
स्वागत मे ठाढ़ भेटैत अछि
से बजार-हाट सँ ल’ क’
शापिंग मॉल धरि मे
ई हमर मोनक संग घुमैत रहैत अछि
से आब हमरा
विश्वास भेल जा रहल अछि,
कि असगर नहि अछि ई घड़ी
सगरे संसार मे पसरल छै एकर जाल
तें संसारमे राज करैत छै ई घड़ी माफिया !
● कवयित्रीक परिचय :-
■ नाम : विभा झा
■ पिता/पति : श्री सुखचंद्र झा / शम्भूनाथ झा
■ जन्मतिथि / 4/10/1978
■ शिक्षा/ बी.ए.
■ वृत्ति / बिज़नेस (व्यापार)
■ स्थायी पता- पैत्रिक / जिला महोत्तरी /ग्राम महोत्तरी जलेश्वर (नेपाल)
■ पत्राचारक पता / लामपाटी मार्ग 597/ काठमांडू ( नेपाल)
■ मोबाइल न., वाट्सएप न./ 9841-681010
■ ईमेल / [email protected]
■ साहित्यिक उपलब्धि : गोरखापत्र/आँजुर/ आङन / समय राग/ यात्री लोकोत्सव स्मारिका। अहिसभमे कविता प्रकाशित ।
■ मैथिलीमे प्रकाशित पहिल रचनाक नाम आ वर्ष
विषक भूजा (कविता) वर्ष 15/4/ 2018