Poem

गुरु दयाल अतुल्यक दूटा मैथिली कविता

■ कविता : हमही पुरुष छी

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देवोके देव महादेव छी
किरिणमे सुरुजदेव छी
हमही तीर तीरके कमान
भक्तमे राम भक्त हनुमान
वैदिकमे पवित्र कुश छी
हमही पुरुष छी।।

कर्तामे ब्रह्मदेव छी
सम्पूर्ण जगके गुरुदेव छी
अइ मूलके रचैता विष्णुदेव छी
हमही हरके हरिष छी
हमही पुरुष छी।।

बैलमे नन्दि महराज
बलसालीमे गजराज
हम उमा पुत्र गणेश छी
गणेशके बाहन मुँस छी
हमही पुरुष छी।।

त्रेता युगके राम हम
द्वापरके घनश्याम हम
हर जनके अदृश्य आत्मा छी
कलयुगके हम धर्मात्मा छी
जनक द्वारके धनुष छी
हमही पुरुष छी।।

स्वर्गके स्वर्गाशन हम
वेद वाणीके भाषण हम
हमही गीताके ज्ञान छी
हमही खड्गके म्यान छी
हमही चनवार परके फूस छी
हमही पुरुष छी।।

■ कविता : मायक कर्ज उधार

नइँ कऽ सकलौं जीवनमे कोनो उपकार
अखनो बाँकी अछि माटिक कर्जा उधार
ओ पन्ना कर्तव्यक सबटा खाली रहि गेलै
नाह जिनगीक फँसल य बीच मझधार।।

बढ़ि गेलै जिम्मेदारी, आँखि दिनोमे कारी सियाह
बोझ कर्मक भेल भारी, खेत जीवनक भेल सिकाह
ओझरा गेलै गुथी कोना सोझरेतै जीवनक तार
लोकक नजरिमे कियो नइँ भेलैए बुधियार।।

बचपन बचपने तरहक जवानी डंडेरियेमे
जँ राति सुतैत छलियै नजरि बनेरिएमे
सबहक घर पक्का हमर फुसि’क चनवार
एलियै परदेश कमाइ ला’ ल’क’ उधार।।

नइँ क’ सकलियै माय-बाबूके सेवा-सत्कार
घर छोड़ि दू पाय जोड़ै लेल एलियै अइ पार
माय-बाबूक स्नेहसँ बन्चित, बहै नोरक धार
उधारिए रहि गेलै कर्जा सपना भेल मायक दुलार।।
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■ कवि परिचय:

श्री जनता माध्यमिक विद्यालय असनपुर, (गोलबजार) सँसाधारण शिक्षा प्राप्त कएने धनगढीमाई, फुलकाहा (सिरहा) निवासी गुरु दयाल यादव ‘अतुल्य’ किछु वर्षसँ कविता सृजन करैत आबि रहल छथि। हिनकर कवितासबमे जिनगीक तीत-मीठ अनुभव भेटैछ। २०१५ मे ‘गुरु आ धिरू’ नामसँ एकटा कविता-संग्रह ‘पूर्वाञ्चल साहित्य प्रतिष्ठानसँ प्रकाशित भेल अछि।

कैलाश कुमार ठाकुर

कैलाश कुमार ठाकुर [Kailash Kumar Thakur] जी आइ लभ मिथिला डट कमके प्रधान सम्पादक छथि। म्यूजिक मैथिली एपके संस्थापक सदस्य सेहो छथि। Kailash Kumar Thakur is Chef Editor of ilovemithila.com email - [email protected], +9779827625706

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