‘ईद मुबारक’ मैथिली लघुकथा : नन्दलाल आचार्य

सन्दर्भ– ईद–उल–आझा (बकर ईद) पर्व २०८०
‘सब दिन बिना भाग लगेने सब कियो घरमे प्रवेश करैत छल। आइ किए तीन भाग लगेलौँ ?’ दश वर्षिय इब्राहिम पितासँ प्रश्न कएलक ।
सामूहिक विशेष प्रार्थना ‘नमाज’ पढ़िकऽ घुरलाबाद पिता एकटा खसी आ एकटा भेड़ाक बलि देलनि आ मासुके तीन भागमे काटलनि । चारूदिस लोक नवका नवका कपड़ा पहिरकऽ रमैत छल। धनिक-मनिक लोकक चेहरा त हरियर नजरि आबिये रहल छल। भोजन करैवला गरीब-मजदूरधरिक लोकक चेहरामे मुस्की त उबडुब करैत छल। सबहक घरमे खसी, बकरी, बोकरा, पाड़ा, भैँसि, भेड़ा, ऊँटके बलि देल गेल छल। अपन इष्ट-मित्रकेँ घर बजाकऽ मासुक व्यंजन खुआ शुभकामनाक आदान –प्रदान भऽ रहल छल। ओइ समयमे एना लगैत छल जेना मुस्लिम बस्तीसँ दु:ख नंक लकऽ भागि गेल हो।
“बेटा, ई एक भाग गरीबके लेल , एक भाग पाहुनके लेल आ एक भाग अपन परिवारके लेल। “ पिताक उत्तरसँ संतुष्ट नइ भऽ इब्राहिम फेर प्रश्न कएलाह – “बकरी सेहो अपने, भेड़ा सेहो अपने त दोसरकेँ किएक देबै ?”
‘मेलमिलाप, एकता आ सहकार्यक वातावरण निर्माण करऽ लेल बाँटिकऽ खाए पड़ैत अछि। एनामे आपसी सद्भाव, सहिष्णुता आ मेलमिलाप अभिवृद्धि होइ छै। ई अपनासबहक मौलिक संस्कृति आ परम्परा छियै ।’ पिताक ई गहिरगर बात नइ बुझि इब्राहिम टुकटुक तकैत रहल।
आ कि तखने निमन्त्रण पुरबाक लेल आएल हरिप्रसाद जोड़लनि, ‘जातीय, धार्मिक आ सांस्कृतिक विविधता बीचके अपनासबहक ई एकता राष्ट्रियता आ राष्ट्रिय एकताक भावना प्रगाढ़ बनबै छै। सबकेँ इद मुबारक !!!’
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कथाकार : नन्दलाल आचार्य
जहडा–लालसिसुवा, बेलका नगरपालिका, उदयपुर ( हाल : श्री जनता मा.वि. गोलबजार – ४ सिरहा )१२ म अन्तर्रााष्ट्रय मैथिली सम्मेलन मुम्बईद्वारा २०७२ सालमे ’मिथिलारत्न’ विभूषणद्वारा विभूषित सगरमाथा साहित्य परिषद्, नेपालक केन्द्रिय सचिव मातृभाषा नेपाली रहितो मैथिली साहित्य-सृजनमे निरन्तर शक्रिय कलमकर्मीक रूपमे परिचित छथि।