नेपालक संविधान,२०७२ : बधाइ आ विरोध
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— प्रेम विदेह
वि. सं. २००७ सालसँ २०७२ सालधरि लोकतन्त्र/गणतन्त्र आ संविधान निर्माणक लेल प्राणाहुति देने पचिसो हजार वीर शहीदसभके हार्दिक नमन! नेपालक संविधान,२०७२ प्रति हमर आधा सहमति, आधा असहमति अछि। राष्ट्र माने समष्टिगत जनताक स्वरूप भेलासँ सभक समान अधिकार समेटबाक लेल आ अधिकारसम्पन्न प्रदेशसहित संघीयताक लेल संविधानक पुनर्लेखन आवश्यक अछि। २०४७ सालसँ सत्तापर एकाधिकार जमौने सम्पूर्ण कथित नेतासभक सफाइ सेहो जरूरी अछि। हिनकेसभक करतूतसँ गणतन्त्र बदनाम भेल अछि। पूर्वाग्रह सँ ग्रसित लोक व्यवस्था परिवर्तनक बेतुका बात करैत अछि, जखनकि अवस्था परिवर्तन हएबाक चाही। ऐन-कानुनमे सुधार आवश्यक अछि।
जनप्रतिनिधि सभक शैक्षिक योग्यता,उमेरक हद, समाजसेवाक पृष्ठभूमि अनिवार्य होबक चाही। एक पदमे एक सँ दू बेर मात्र लडबाक मौका भेटबाक चाही। बैलेटपर असहमति आ प्रत्याह्वानक अधिकार नागरिककेँ रहबाक चाही। क्षमतावान् शिक्षक, प्राध्यापक, कर्मचारीके पदासीन अवस्थामे चुनाव लडबाक अधिकार भेटबाक चाही।
कानुनविद्, कलाकार, साहित्यकार,वैज्ञानिकसभके राजनीतिमे अवसर भेटबाक चाही। राजनीतिक सिन्डिकेट हटबाक चाही।तखन गणतन्त्रक चमत्कार देखब आ सत्तापर उल्लू – वानरकेँ नचैत नइँ देखब।
अनेरे कतेको लोक प्रदेश हटएबाक बात करैत अछि, तर्जेक दैत छथि जे खर्च बढि गेलै। औजी, ७५ टा जिल्ला सरकार छल। एक जि.वि.स.मे अरब बजेट होइत छल। आब सातेटा अछि। विहार, यूपी, दिल्ली -सन मजबूत आ अधिकारसम्पन्न प्रदेश बनएबाक बात करी। “कहीं नभएको यात्रा हाँडीगाउँमा”- एहन उटपटाङ्ग संघीयता हटाकए नीक संघीयता स्थापनाक अभियान चलाबी जाहिमे स्थानीय निकाय, जिल्ला प्रहरी आ जिल्ला प्रशासन प्रदेशअन्तर्गत रहए।
जहाँतक भ्रष्टाचारक गप अछि, राजतन्त्र, राणातन्त्र, पञ्चायती व्यवस्थामे जतेक देशक सम्पत्ति दुरुपयोग भेल, अखनोधरि नइँ भेल अछि। कड़गर कानुन, प्रयोग, नैतिकता, जन-अभियानसँ मात्र भ्रष्टाचार अन्त भऽ सकैए, व्यवस्था बदललासँ नइँ। विकासक बात करी तँ वि. सं. २०४६ केँ बादे गाम – गाम विद्यालय, स्वास्थ्य चौकी, बिजुली, फोन, सडक पहुँचल अछि। विचार -अभिव्यक्तिक अधिकार भेटल अछि। होसमे विश्लेषण करक चाही, धीयापुता जकाँ नइँ। अन्तमे गणतन्त्रके सम्मान करैत संविधान दिवसक आधा बधाइ आ आधा विरोध प्रकट करैत छी।