जन गण केर नायक : भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ( Karpuri Thakur )
भारत रत्न भारतके सर्वोच्च नागरिक सम्मान छियै जे राधाकृष्णन,नेहरू, मदर टेरेसा, अम्बेडकर,अब्दुल कलाम सहितके प्रदान कएल गेल अछि।

सत्यनारायण प्रसाद यादव,
संत कबीर कहने छथि- “सहज-सहज सब कोई कहै, सहज न चीन्हैं कोय। जिन सहजै विषया तजै, सहज कहावै सोय।” अइ पाॅंतिकेँ चरितार्थ करैत असाधारण व्यक्तित्वक धनी, सामाजिक न्यायक ध्वजवाहक, समाजवादक अप्रतिम सेनानी, वंचित लोकक शिक्षाक पैरोकार, सरल एवं सरस हृदयी, कर्मठ राजनेता ओ देश-समाजक जननायक रहथि- कर्पूरी ठाकुर।
कर्पूरी ठाकुर जीक जन्म 24 जनवरी 1924 ई. केँ बिहारक समस्तीपुर जिलान्तर्गत पितौझिया नामक गाममे रामदुलारी देवीक कोखिसँ भेल रहनि। ई गाम ओहि वैनी ग्रामसँ सटल अछि जतयसँ 1908 ई.मे क्रान्तिकारी खुदीराम बोसकेँ पकड़ि मुजफ्फरपुर जहलमे फाँसी देल गेल रहनि। कर्पूरी ठाकुरक पिता गोकुल ठाकुर अपन जातिगत पेशा हजामतकेँ अलावे थोड़-बहुत खेती-पथारीक काज सेहो करैत रहथि। जाहिसँ हिनकर घर-परिवार चलैत छल। कर्पूरी बचपनेसँ कुशाग्र बुद्धिक रहथि। गोकुल ठाकुर अपने अशिक्षित रहथि तकर मलाल हुनका सदिखन होइत छलनि तेँ बेटाकेँ पढ़़ाइकेँ लऽकऽ ओ बेस साकांक्ष रहथि। ओहि समयमे सामाजिक रूपसँ पिछड़ल जातिक संतति सभकेँ पढ़़ब-लिखब एतेक सहजो तँ नइँ छलै। गोट-पंगरा लोक अपन पढ़ाइ पूरा कऽ पबैत छल। पिता गोकुल ठाकुर कर्पूरीकेँ प्रतिभा ओ पढ़ाइमे रूचि देखिकऽ सदिखन प्रोत्साहित करैत रहथि। कर्पूरीकेँ प्रारंभिक शिक्षा गामेमे सम्पन्न भेल। एकर बाद हिनक नामांकन न्यू. एच. ई. स्कूल, समस्तीपुरमे कराओल गेल जे वर्त्तमानमे तिरहुत अकादमीक नामसँ जानल जाइत अछि। ई स्कूल हिनक गामसँ करीब सात कि.मी. दूरीपर अछि। कर्पूरी नियमित अपन स्कूल जाइत रहथि।
अपन प्रतिभा आओर कठिन परिश्रमक बदौलत ओ मैट्रिकक परीक्षामे फर्स्ट डिविजन अएलथि। गुलाम भारतक ओहि कालखंडमे पिछड़ा-दलितक बच्चा सभकेँ विद्यालयमे प्रवेश भेनाइ जतय चुनौतीपूर्ण छल, ओतय विद्यालयमे टिकल रहब तॅं आओर बेसी दुर्लभ बात। ओहि कठिन कालखंडमे गाम-देहातक कोनो पिछड़ल जातिमे जन्मल बच्चाकेँ फर्स्ट डिविजनमे उत्तीर्ण होएब पैघ उपलब्धि मानल जाएब स्वाभाविक छल। बेटाक सफलतासँ उत्साहित आओर गौरवान्वित पिता उत्सुकतावश अपन एकटा अभिजात्य वर्गक जजमानक ओतय कर्पूरीकेँ लऽ गेलनि आ प्रसन्नतासँ कहलनि- ‘हुजूर ई हमर बेटा अछि, मैट्रिकक परीक्षा फर्स्ट डिविजनसँ पास कएलक अछि।’ ई सब बात ओहि जजमानकेँ नीक नइँ लगलनि । कर्पूरी ठाकुरद्वारासुनाओल आपबीती केँ स्मरण करैत यशवंत सिन्हा कहैत छथि- ओ जजमान अपन टांग सोझाँ राखल टेबुलपर राखि कर्पूरीकेँ कहैत अछि- “अच्छा फर्स्ट डिविजनसँ पास कएलें हन, चल पहिने हमर पैर दाब। बेसी पढ़़ि-लिखिकऽ कि करबेऽ? बादमे अस्तूरे तॅ पकड़बाक छौ।” पहिल सफलताकपर यैह सम्मान भेटलनि कर्पूरीकेँ, परञ्च ओ कोनो विशेष माटिक बनल रहथि, सब किछु चुपचाप सहि गेलथि। मुदा नियतिकेँके जनैत छल जे यैह बालक भविष्यमे वंचित वर्गक उद्धारक बनत आ पिछड़ा-दलित केर बाटमे अटकल अवरोध सभकेँ एकहि झटकामे हटा देत?
कर्पूरी ठाकुर उच्च शिक्षा प्राप्त करबाक लेल सी. एम. काॅलेज दरभंगामे नामांकित भेलाह। एहिठामक कक्षामे समयपर पहुँचबाक लेल हुनका भोरमे चारिये बजे उठिकऽ समस्तीपुरसँ दरभंगा दिस जाए वला ट्रेन पकड़ऽ पड़ैत रहनि आ दरभंगा स्टेशनपर उतरि फेर पैदल चलऽ पड़ैत रहनि। नमहर दूरी पैरे तय करबाक ई अभ्यास हिनका बचपनेसँ रहनि। हिनक माए बटखर्चा लेल नून, मिरचाइ आ सतुआक पोटरी बान्हि दैत छलथिन। जखन ई काॅलेजमे पढ़़ैत रहथि तखनुका समय स्वतंत्रता संघर्षक छल। धीरे-धीरे हिनक मन स्वतंत्रता आंदोलनसँ संबंधित गतिविधि सब दिस आकृष्ट होमए लागल। छात्र जीवनेसँ जतय कतौ अन्यायक खिलाफ बजबाक अवसर लागनि ओ कखनो नइँ चूकथि।
उक्ति अछि- ‘अग्रे नेयति इति नेता’। अर्थात नेता वैह छथि जिनकामे लोककेँ आगू लऽ जएबाक क्षमता होनि। नेतृत्वकर्तामे जे सर्वाधिक गुण रहबाक चाही से अछि- Emotional Intelligence यानि भावनात्मक प्रज्ञा। एहिसँ नइँ सिर्फ दोसरक भावनाकेँ नीक जकाँ बूझल जा सकैए बरू अपन भावनाकेँ सेहो सुंदर ढंगे संतुलित कएल जा सकैए। अनुशासन, कठिन परिश्रम, साँचक आश्रय, साहस आओर परेशानीक आगू कखनो नइँ झुकब एकटा सुच्चा नेतृत्वकर्ताक व्यक्तित्वक अहम हिस्सा होइत अछि आ ई सभटा गुण कर्पूरीमे विद्यमान छल। एक बेर ओ पटनाक एकटा हाॅलमे छात्र सभाकेँ संबोधित करैत रहथि। अपन ओजस्वी भाषणमे ई कहने रहथि- “हमर देशक आबादी एतेक अछि जॅ लोक खाली थूकि देत तॅं ई अंगरेजिया राज बहि जेतै।” अइ वक्तव्यक कारण हुकूमत हिनका गिरफ्तार कऽ लेलक। हिनका एक दिनक जहल आ पचास रूपैया जुर्माना सुनाओल गेलनि। हिनक गामसँ सटल वैनीमे बेसी काल पैघ-पैघ समाजवादी नेता लोकनि अबैत रहै छलथि। अइ क्रममे आचार्य नरेन्द्र देव 1938 ई.मे एहिठाम एकटा रैलीकेँ संबोधित करबाक लेल आएल रहथि। बालक कर्पूरीक उम्दा सोच आओर जज्बासँ प्रभावित भऽकऽ आंदोलनमे भाग लेबऽ एवं सोशलिस्ट राजनीतिसँ जुड़बाक आग्रह कएलनि। जखन 1942मे महात्मा गाँधीक नेतृत्वमे भारत छोड़ो आंदोलनक शंखनाद भेल, युवा कर्पूरी अपनाकेँ रोकि नइँ सकल आ पढ़ाइ छोड़िकऽ आंदोलनमे शामिल भऽ गेलाह। गाँधी जी 08 अगस्त 1942 ई. केँ बम्बईक ग्वालिया टैंक मैदानमे देशक आजादीक लेल जखन ‘करो या मरो’ क उद्घोष कएलनि तखन छात्र कर्पूरी ठाकुर अपन काॅलेजमे आंदोलनक कमान थामलनि। संभवतः यैह हिनक राजनीतिक जीवनमे प्रवेश करबाक पहिल द्वार छल। हिनका गिरफ्तार कऽ जहल भेज देल गेलनि जतय हिनका 26 मास समय बीतबऽ पड़लनि। स्वतंत्रता आंदोलनसँ निकलल मूल्य, समाजवादी विचारधारा, गाँधी जी केर जीवनक आदर्श हिनक राजनीति जीवनकेँ बेस प्रेरित ओ प्रभावित कएलक। उपलब्ध जानकारीक मोताबिक आजादीक आंदोलन ओ सामाजिक न्यायक संघर्षक दौरान हिनका बीस बेर जहल जाए पड़लनि।
कर्पूरी ठाकुर छात्र जीवनेसँ समाजवादी नेता डाॅ लोहिया, मधुलिमये, नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण आदि लोकनिक संपर्कमे आबि गेल रहथि। हिनका सभक सान्निध्य पाबि कर्पूरीक चेतना आरो विस्तृत आ प्रखर होमय लागल रहैन। आजादीक बाद जखन सन 1951-52मे देशमे पहिल आम चुनाव भेल, सोशलिस्ट पार्टीक टिकटपर कर्पूरी ठाकुर ताजपुर विधानसभा क्षेत्रसँ बिहार विधानसभाक सदस्य चुनल गेलथि। एकर बाद ओ लगातार कएकटा विधानसभा क्षेत्रसँ ओ जीतैत रहलाह । 1967 ई.मे जखन डाॅ लोहियाद्वारागैर-काॅंग्रेसवादक आह्वानपर कुल 9 राज्यमे गैर -काॅंग्रेसी सरकारक गठन भेलैक तखन हिनका बिहारमे महामाया प्रसादक मंत्रीमंडलमे उपमुख्यमंत्री आओर शिक्षा मंत्रीक पद सम्हारबाक अवसरि भेटलनि। एहिठामसँ हिनका भेटलैनि सामाजिक न्यायक दिशामे ठोस कदम उठेबाक अवसरि। कर्तव्यनिष्ठा, संघर्षशीलता, कठिन परिश्रम आओर सेवा भावक इनाम हिनका 22 दिसम्बर 1970 केँ भेटल जखन पहिल बेर ओ विधायक दलक नेता चुनल गेलथि। हिनका बिहारक पहिल गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनबाक गौरव प्राप्त भेलनि। दलित-पिछड़ा एवं वंचित वर्गक समस्यासँ ई नीक जकाँ परिचित रहथि तथा अपनाकेँ ओहि नाभि-नालसँ जुड़ल पबैत रहथि। जखन ई मुख्यमंत्रीक पद सम्हारलनि तॅं जन समस्याकेँ दूर करबाक लेल शीघ्रतासँ निर्णय लेनाइ शुरू कएलनि। विपक्षीकेँ हुनक ई जनपक्षीय कार्य-प्रणाली नीक नइँ लगलनि, फलस्वरूप जालमे बझा 2 जून 1971 ई. केँ हिनक सरकार गिरा देल गेल। ई सरकार मात्र 163 दिन चलि सकल। आपातकालक बाद भेल चुनावमे जनता पार्टीकेँ बिहार विधानसभामे प्रचंड बहुमत भेटल। कर्पूरी ठाकुर दोसर बेर 24 जून 1977 केँ मुख्यमंत्री पदक शपथ लेलनि आ 21अप्रैल 1979 ई. धरि ओहि पदपर रहलाह । सरकारक संचालनमे ने तँ ओ कोनो अवांछित हस्तक्षेप कखनो बर्दाश्त कएलनि आ ने अपमानक मध्य कखनो विचलित भेलथि। हुनक कहब छल:-
“हक चाहिए तो लड़ना सीखो
कदम कदमपर अड़ना सीखो
जीना है तो मरना सीखो”
कर्पूरी ठाकुर शिक्षाक महत्त्वकेँ नीक जकाँ बूझैत रहथि। ओ जनैत रहथि जे पिछड़ा, दलित, शोषित, वंचित एवं महिलामे शिक्षाक प्रसार-प्रचार कएने बिनु विकसित समाज ओ उन्नत राष्ट्र निर्माणक सपना कखनो पूर्ण नइँ भऽ सकैत अछि। महिलाक अति दयनीय स्थितिसँ ओ नीक जकाँ परिचित रहथि। महिला कोनो समाजक विकासक धूरी होइत अछि से मानि ओकरा शिक्षित कऽ मुख्य धारामे आनल जाए ताहि दिशामे सोचऽ लगलथि। ई ओहेन दौर छल जखन वंचित समुदायक पहिल पीढ़ी शिक्षासँ जुड़बाक कोशिश कऽ रहल छल। अनुन्नत समुदायक छात्रक सभसँ पैघ समस्या छल- अंग्रेजीक अनिवार्यता आ स्कूलमे फीसक भुगतान। अइ वर्गक पहिल पीढ़ीक बच्चा अंग्रेजी भाषाकेँ लऽकऽ असहज रहैत छल। किछुए लोक अपन बच्चाकेँ सब तरहक सुविधा देबामे समर्थ छल।
बहुतो अभिभावक फीसक भुगतान नइँ कऽ पबैत छल। मजबूरन बच्चा सब बीचहिमे अपन पढ़ाइ छोड़ि दैत छल। आ जे केओ हिम्मतो करैत छल ओहिमे अधिकांश अंग्रेजीमे फेल भऽ जाइत रहए, फलस्वरूप उच्च शिक्षामे बेसी केओ आबिये नइँ पबैत छल। ओहि समयमे मैट्रिकक परीक्षामे शामिल भेनाइ आ फेर असफल होएब सेहो एकटा डिग्रीए सन छल आ अइ डिग्रीक नाम छल-मैट्रिक फेल। मैट्रिक फेल डिग्री बनि जाएब अधिकांश बच्चाक नियति बनि गेल छल।
अइ कलंकसँ निदान हेतु कर्पूरी ठाकुर अपन कार्यकालमे अंग्रेजीक अनिवार्यता खत्म कऽ देलनि। ओ पहिने आठवीं धरि आ फेर बादमे मैट्रिक धरि शिक्षा मुफ्त कएलनि। अइ शासनादेशसँ वंचित वर्गक बच्चामे सेहो शिक्षाक प्रति ललक जागल आ इहो सब सफल श्रेणीमे शामिल होमए लागल। वंचित समाजक बच्चाकेँ उच्च शिक्षामे प्रवेश रुढ़िवादी वर्गक लेल असहनीय भऽ गेल। जाहि कारणसँ कर्पूरी ठाकुरक अइ महत्त्वपूर्ण फैसलाक कड़गर आलोचना होमए लागल। ओहि दौरमे विद्आउट अंग्रेजी पास करऽ वला छात्र सभकेँ ‘कर्पूरी डिविजन’सँ पास कहि मजाक उड़ाओल गेल। तत्कालीन परिस्थितिकेँ बूझैत ई मानऽ पड़त जे बिहारक वंचित जमातक लोकमे शिक्षाक अलख जगाबऽमे कर्पूरी ठाकुरक अइ शासनादेशक बहुत पैघ योगदान अछि।
आजादीक करीब तीन दशक बितलाक बादो प्राथमिक विद्यालयक संख्या पर्याप्त नइँ छल। ई अपन शिक्षाक बजटमे बढोतरी कऽ अनाच्छादित गाम सभमे नव पाठशालाक निर्माणपर जोर देलनि। ओहि समय धरि जिला मुख्यालय केन्द्रित एके-दूटा सरकारी हाईस्कूल तथा दूरदराजक ग्रामीण क्षेत्रमे समुदायद्वारासंचालित स्वपोषित हाईस्कूल होइत छल। अइ हाईस्कूल सभमे शिक्षक लोकनिक दरमाहा बच्चा सभसँ वसूल कएल गेल फीसपर निर्भर करैत छल। शिक्षक आओर अभिभावक लोकनिक खराब हालति शिक्षा केँ प्रसारमे बाधक बनि रहल छल से कर्पूरी जीकेॅं अनुभव रहनि। अवसर लगिते हाईस्कूलक सरकारीकरण कऽ देलनि। हिनक नीतिक प्रभावमे आबि मिशनरी स्कूल सब गरीब विद्यार् अछि फीस माफ करबाक संकल्प लेलक। अइ ऐतिहासिक निर्णयक परिणाम रहल जे बिहारमे शिक्षाक क्षेत्रमे कमजोर वर्गक छात्रक भागीदारी सेहो बढ़ल।
कहि तॅं आइयो बिहारमे अंग्रेजीक संबंधमे शासनक शैक्षणिक नीति कर्पूरी ठाकुरक सोचकेँ अनुशरण करैत अछि। हुनक मानब छल जे भाषा छात्रक बौद्धिक विकासमे सहायक बनए, अवरोध नइँ । ओ मातृभाषामे पढ़ौनीक समर्थक रहथि। हुनके मुख्यमंत्रीत्व कालमे पहिलबेर मैथिलीमे पाठ्यपुस्तक छपल। मैथिली आइ भारतीय संविधानक अष्टम अनुसूचीमे अछि। राजनेताकेँ तौरपर कर्पूरी ठाकुरद्वाराअइ लेल उठाओल गेल डेगकेँ हमरा लोकनि कहियो विस्मृत नइँ कऽ सकैत छी। मजबूत तर्क ओ प्रमाणक सङ ओ अइ लेल केन्द्र सरकारकेँ पत्र लिखलनि। ओहि समयमे मातृभाषाकेँ लऽकऽ हिनक प्रतिबद्धताकेँ अकानल जा सकैए। एहिठाम अइ पत्रकेँ हू-ब-हू राखि रहल छी।
केन्द्रीय सरकार पत्र संख्या 3/ आरि -1014/78 का -8 कैंप दिनांक 22.12.1977
विषय:- भारतीय संविधान की 8 वीं अनुसूचीमे मैथिली भाषा का सम्मिलित किया जाना।
1.मैथिली बिहार राज्य की बहुत बड़ी जनसंख्या की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है और इसका अध्ययन, अध्यापन कलकत्ता विश्वविद्यालय, त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल एवं बिहारके सभी विश्वविद्यालयोंमे होता है। बिहार सरकार ने इसे लोक सेवा आयोगमे समुचित स्थान प्रदान किया है, साथ ही लेखन, पठन-पाठन की समुचित व्यवस्थाके उद्देश्य से बिहार सरकार की ओर से मैथिली अकादमीमे इसे सम्मानपूर्ण स्थान प्रदान किया है और कई बार इसके लेखकों को पुरस्कृत सेहो किया है।
2. फिर सेहो उन सारी सुविधाओं से वंचित है जो अन्य मान्यता प्राप्त भाषाओं को उपलब्ध है यथा प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम, केन्द्र सरकार से प्राप्त होने वाले अनुदान, विभिन्न भाषाओं से अनुवाद की सुविधाएँ, विभिन्न क्षेत्रोंमे इसका प्रयोग तथा राष्ट्रीय स्तरपर प्रचार-प्रसार एवं संवैधानिक मान्यता की गरिमा।
3. मैथिली भाषा की व्यापकता और लोकप्रियता को ध्यानमे रखते हुए संविधान की अष्टम अनुसूचीमे इसे सम्मिलित करने का पर्याप्त औचित्य है। इस संबंधमे निम्नलिखित बातें ज्ञातव्य हैं:-
(क) मैथिली एक जीवंत भाषा है। इसका प्रयोग मौखिक और लिखित दोनोंमे होता है। वर्त्तमान और भविष्यमे इसके विकास की और सेहो संभावनाएँ हैं।
(ख) अपने विलक्षण प्रयोग, स्वतंत्र व्याकरण और लिपि एवं अन्य भाषा वैज्ञानिक दृष्टियों से मैथिली एक पृथक स्वरूप रखने वाली भाषा है। भाषा विज्ञानके सभी अंगों ध्वनि, पद, वाक्य, अर्थ आदि की दृष्टि से मैथिली एक पूर्ण विकसित भाषा है। साहित्य संपादनमे यह देश की समकक्ष भाषाओंमे एक है।
(ग) मैथिली भाषा का प्रयोग बिहारके अतिरिक्त उत्तर-प्रदेश, बंगाल, मध्यप्रदेश एवं गुजरातके कुछ क्षेत्रोंमे तथा नेपालके अधिकांश भागोंमे होता है। नेपालके करीब तीस लाख नागरिक मैथिली भाषी है। यहाँ द्वितीय भाषाके रूपमे मैथिली सुप्रतिष्ठित है। मैथिली भाषा-भाषियों की संख्या अपने देशमे ही दो करोड़ से अधिक है तथा नेपालमे तीस लाख है। अत: जनसंख्या की दृष्टि से मैथिली का विशिष्ट महत्त्व है। ज्ञातव्य हो कि सिंधी भाषा-भाषियों की संख्या 14 लाख मात्र है और वह संविधान की आठवीं अनुसूचीमे सम्मिलित है।
(घ) मैथिलीमे सांस्कृतिक चेतना की अभिव्यक्ति की पूर्ण क्षमता विद्यमान हैं। बिहार आकाशवाणीके सभी केन्द्रों से किसी-न-किसी रूपमे मैथिली का कार्यक्रम प्रसारित होता है। इस भाषाके पत्र-पत्रिकाओं की संख्या पूर्व से और सेहो बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय स्तरपर एम.ए, पी-एच.डी, डी.लिट् आदि उपाधियाँ 50 वर्षों से प्राप्त होती रही है।
अस्तु, भारत सरकार से मेरा आग्रह व निवेदन होगा कि मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूचीमे अविलंब सम्मिलित किया जाना चाहिए जिससे बिहार की इस प्रमुख एवं समर्थ भाषा को राष्ट्रीय स्तरपर पूर्ण मान्यता मिले और इसके सर्वांगीण विकासके लिए सभी राजकीय सुविधाएँ प्राप्त हो सके।
भवदीय
ह. कर्पूरी ठाकुर
मुख्यमंत्री, बिहार
मिथिला विश्वविद्यालय यानी एखन जे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा अछि तकर निर्माणक प्रक्रिया अत्यन्त रोचक अछि। 23 मार्च 1971 केँ बिहार विधान परिषदमे कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री पदपर रहैत अपन एकटा भाषणमे अइ प्रसङ विस्तृत अभिव्यक्ति प्रस्तुत कएने रहथि जे बिहार विधान परिषदक पत्रिका परिषद साक्ष्यक विशेष अंक ‘जन से जननायक कर्पूरी ठाकुर’मे संगृहित अछि। ओ कहने रहथि:- महोदय, माननीय सदस्य लोकनि कहैत छथि जे जखन कर्पूरी ठाकुर विपक्षमे बैसैत छथि तॅं खूब जोरसँ मांग रखैत छथि जे मिथिला विश्वविद्यालयक स्थापना हेबाक चाही मुदा जखन सरकारमे अबैत छथि तखन अइ बातकेँ बिसरि जाइत छथि। परञ्च बात किछु आओर अछि। बिसरबाक आदति हिनका सभकेँ भऽ सकैए, हमरा एहेन आदति नइँ रहल अछि, नइँ अछि आ नइँ हैत। हम अइ जगहसॅं हटि जाएब पसीन करब मुदा एहेन आदति लगाएब किन्नहुॅ नहि।
मिथिला विश्वविद्यालयक विषयमे हम नइँ मात्र सोचबेटा कएने छी अपितु अइ दिशामे कार्रवाइ सेहो कएलौँ अछि। हम देखलौँ जे पिछला दू बरिससॅं लगातार दरभंगामे पंडित समाज ई मांग करैत आबि रहल अछि जे एहिठाम संस्कृत विश्वविद्यालय फराक रूपमे अछिए, एकरा सङ नव विश्वविद्यालय खोलबाक कोन बेगरता। अइ संबंधमे राज्यपाल लऽग कतेको पत्र भेजल गेल, कतेको तार भेजल गेल। ई शिष्टमंडल लोकनि राज्यपाल ओ बिहार सरकारक शिक्षा विभागक अधिकारीसॅं भेंट कएलनि। हुनका पत्र ओ तार पठेलनि। अखबारक काॅलम रंगि देल गेल जे संस्कृत विश्वविद्यालयक सङ मिथिला विश्वविद्यालयक स्थापना नइँ हेबाक चाही।
फेर ओ कहैत छथि जे मिथिला विश्वविद्यालयक विषयमे जॅं सभसँ पहिने केओ कोनो तरहक कार्रवाइ कएलनि तॅ ओ 1967मे गठित संविद सरकार अछि अर्थात् हमहीं अइ लेल पहिल बेर डेग बढेलौँ। हम विश्वविद्यालय अनुदान आयोगकेँ खाली चिट्ठीयेटा नइँ लिखलहुॅं, दू बेर दिल्ली जाकऽ भेंट ओ अइ संदर्भमे गप्प सेहो कएलौँ। ओहिठाम यूजीसीक अध्यक्ष श्री कोठारी सॅं गप्प भेल संगहि हम दरभंगा राजक संचालकसॅं सेहो गप्प कएलियनि। ओ लोकनि आश्वासन देलनि जे संस्कृत विश्वविद्यालयक सङ अहाँ मिथिला विश्वविद्यालयक स्थापना करऽ चाहैत छी तँ करू मुदा शर्त रहत जे दरभंगा महाराजाधिराजक नाम जे चलैत आबि रहल अछि से चलिते रहत। हमहूँ हिनका लोकनिक प्रस्तावसॅं सहमत रही। एकर बाद फेर यूजीसीसॅं बात कएलौँ। ओहिठाम सॅं एकटा विशेष टीम जाँच लेल दरभंगा आएल । तेॅं ई कहब जे जखन हम विपक्षमे रहैत छी तखन अइ तरहक मांग करैत छी आओर जखन सरकारक सदस्य बनि गेलौँ तँ काज नइँ करैत छी, ई सरासर गलत अछि। हमर प्रयास जारी अछि, बिनु किनको कहले-सुनले जारी अछि आ आगुओ जारी रहत।” बादमे 1972 ई.मे आबिकऽ अइ विश्वविद्यालयक स्थापना भेल।
कर्पूरी ठाकुरक मुख्यमंत्रीत्व कालक सभसँ मुख्य उपलब्धि अछि – मुंगेरीलाल कमीशनक रिपोर्टकेँ लागू करब। अइ आयोगक मुख्य कार्य पिछड़ा जाति सभक पहिचान, ओकर सामाजिक ओ शैक्षणिक स्थितिक अध्ययन आओर आरक्षणक संबंधमे सिफारिश करब छल जे कर्पूरीक चिंतनक मुख्य आयाम छल। ओ पिछड़ा जातिक पहिचान, शिक्षा तथा रोजगारमे अइ वर्गक न्यूनतम हिस्सेदारी, आरक्षणक व्यवस्था आओर एकर स्वरूप केँ लऽकऽ सदिखन चिंतित रहैत छलथि। इएह सब समस्याक समाधानकेँ लऽकऽ मुंगेरीलाल कमीशनक रिपोर्ट आएल। आजादीक बाद बिहारक राजनीतिमे पहिल बेर सामाजिक न्याय केन्द्रीय मुद्दा तखन बनल जखन छह सदस्यीय मुंगेरीलाल कमीशन केर गठन 1971 ई.मे भेल। मुंगेरीलाल आयोग जखन 1976 ई.मे राज्य सरकारकेँ अपन रिपोर्ट सौंपलक, तखन बिहारमे काॅंग्रेसक सरकार छल। ई सरकार अइ आयोगकेँ सिफारिशक उपेक्षा कएलक। जून 1977मे भेल विधानसभा चुनावमे जनता पार्टी अपन घोषणा पत्रमे ई आश्वासन देने छल जे ओकर सरकार बनलापर ओ अइ आयोगक सिफारिशकेँ लागू करत। मुख्यमंत्री बनलाक बाद कर्पूरी ठाकुर अइ सिफारिशकेँ लागू करबाक फैसला कएलनि। 21 मार्च 1978 ई. केँ राज्य मंत्रीमंडल अइ आयोगक सिफारिशकेँ स्वीकार करबाक फैसलापर अपन मोहर लगा देलक। अक्टूबर 1978मे एकरा लागू करबाक घोषणा कएल गेल आओर ओहि साल 10 नवम्बर केँ आरक्षण लागू करबाक अधिसूचना जारी कऽ देल गेल। हुनकामे नवतुरिया सभकेँ रोजगार देबाक प्रतिबद्धता एतेक रहनि जे पटनाक गाॅंधी मैदानमे कैंप लगाकऽ 9000 सॅं बेसी इंजीनियर आओर डाॅक्टरकेँ एकहि सङ नोकरी देल गेल। एतेक पैघ संख्यामे एक सङ इंजीनियर आओर डाॅक्टरक बहाली फेर कहियो नइँ भेल।
कर्पूरी ठाकुर जनता पार्टी प्रांतीय मंत्रीमंडलकेँ समावेशी बनाओलनि। पहिल बेर पिछड़ा वर्ग सभकेँ समुचित प्रतिनिधित्व भेटल। ई अपन मुख्यमंत्रीत्वकालमे जयप्रकाश नारायणक सम्पूर्ण क्रान्तिक स्वप्नकेँ फलिभूत करबाक पूर्ण कोशिश कएलनि। महात्मा गाँधी जीक ग्राम स्वराजक सपनाकेँ धरातलपर उतारब हिनक प्रमुख उद्देश्यमे सॅं एक छल। गामक वंचित लोक सभकेँ नेत्तृत्व करबाक अवसर भेटै एवं ओहो लोकनि नीति निर्धारकक श्रृंखलाक कड़ी बनथि, एहेन कर्पूरीक इच्छा रहनि। गाम आत्मनिर्भरता दिस डेग बढबै अइ लेल कतेको निर्णय लेल गेल। ओहि समयमे गामक रीति-नीतिमे आभिजात्य वर्गक कब्जा होइत छल। हिनके शासनकालमे 1978 ई.मे जखन ग्राम-पंचायतक चुनाव कराएल गेल तखन वंचित वर्गक बहुतो लोक पंचायत चुनावक मादे नेतृत्वकर्ताक भूमिकामे आबि गेल। बिहारमे आइ दबल-पिछड़ल लोककेँ शासन सत्तामे जे भागीदारी भेटल अछि, ओकर भूमिका कर्पूरी ठाकुरद्वारालिखल गेल अछि।
उपर्युक्त महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक काज सभक इतर सेहो बहुत रास एहन उत्कृष्ट आओर सराहनीय काज कर्पूरी ठाकुर जीक नेतृत्वमे कएल गेल जाहिसँ आम आदमीक जीवनक गुणवत्तामे बड़ सुधार भेल। हिनके कार्यकालमे पाँच एकड़ धरि जमीनक मालगुजारी माफ कएल गेल। अइ फैसलासॅं सीमांत किसानकेँ बहुत राहत भेटल। हिनकाद्वाराराज्य सरकारक कर्मचारीकेँ समान वेतन एवं भत्ताक लेल केन्द्रीय वेतन आयोगक अनुशंसाकेँ राज्यमे लागू करबाक पहल कएल गेल । कृषिक उचित लाभ किसान धरि पहुँचेबाक कोशिश कएलनि। बिहारक मुख्यमंत्री सचिवालयक इमारत लिफ्ट ओहि समय चतुर्थवर्गीय कर्मचारीक लेल उपलब्ध नइँ रहैत छल। मुख्यमंत्री बनिते हिनकाद्वारालिफ्ट सभक लेल खोलि देल गेल। आइ भनहि ई मामूली कदम बुझाइत होइ मुदा ई प्रतीकात्मक संदेश आइयो बड़ महत्त्व रखैत अछि। 1977 ई.मे हिनकाद्वाराबिहारमे शराबबंदी लागू कएल गेल छल, जकरा बादमे हिनक सरकार हटिते खत्म कऽ देल गेल। प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेम कुमार मणि कहैत छथि- “ओहि समयमे समाजमे हुनका कतौ अन्तर्जातीय विवाहक खबरि भेटिते ओ ओहिठाम पहुँच जाइत रहथि। कर्पूरी ठाकुर सदिखन समाजमे बदलाव चाहैत रहथि ।”
हिनक सम्पूर्ण जीवन संघर्ष, त्याग आओर जनसेवाक लेल समर्पित रहल । वास्तवमे एहेन व्यक्तित्व सदीमे एकाधे जनमति अछि। त्यागक जे पाठ कर्पूरीजी पढ़ा गेलथि, आजुक दुषित वातावरणमे सोचनाइयो महत्वहीन बुझना जाइत अछि। प्रसङ अछि जे जखन ओ मुख्यमंत्री रहथि हिनक पुत्र पढ़ाइक दौरान बीमार भऽ गेल रहथि जाहि कारणसँ हुनक नामांकन मेडिकल काॅलेजमे नइँ भऽ सकल। जनताक काजमे ओझरायल कर्पूरी अपन बालककेँ देखऽ धरि नइँ पहुँचलथि आ ने तॅं नामांकनमे कोनो पैरवी कएलनि। दोसर प्रसंगमे, मुख्यमंत्री पदपर रहिते हुनका अपन पुत्रीक लेल वर देखबाक लेल राॅंचीक एकटा गाम जएबाक छल। ओ सरकारी गाड़ी सॅं नइँ जाकऽ ओतय टैक्सीसॅं गेलथि किएक तँ ई कार्यक्रम कोनो सरकारी आयोजन नइँ छल। बादमे अपन पुस्तैनी गाममे ओ विवाह संपन्न भेल। ओहि विवाह समारोहमे ई अपन मंत्रीमंडलक कोनो सदस्यकेँ आमंत्रण नइँ देलनि। अधिकारी लोकनिकेँ ई सख्त निर्देश देल गेल छल जे बिहार सरकारक कोनो व्यक्ति समारोहमे हिस्सा नइँ लेत किएक तँ ई एकटा निजी समारोह अछि।
एकटा तेसर प्रसंगक अनुसार, सन् 1977मे पटनाक कदमकुआं स्थित चरखा हाॅलमे जयप्रकाश नारायण जीक जन्मदिवस मनाओल जा रहल छल। देश भरिकेँ जनता पार्टीक नेता लोकनि ओहिठाम मौजूद रहथि। एहिमे चन्द्रशेखर, नानाजी देशमुख सनक कद्दावर नेता शामिल रहथि। मुख्यमंत्री पदपर रहितो फाटल कुर्ता आ टूटल चप्पल पहिर ओतय पहुँच गेलथि। चन्द्रशेखर अपन सीट सॅं उठलथि आ सब नेता लोकनिसॅं कहलनि अपने सब कर्पूरी जीक लेल कुर्ता फंडमे दान दियौ। शीघ्रे धनराशि एकत्र भऽ गेल मुदा कर्पूरी ठाकुर एहू रकमकेँ मुख्यमंत्री कोषमे दऽ देलनि। हिनक पुत्र रमानाथ ठाकुर हिनका स्मरण करैत कहैत छथि– “जननायक सन् 1952मे विधायक बनल रहथि, एकटा प्रतिनिधि मंडलक सङ हिनका आस्ट्रिया जएबाक छलनि। ओतय जएबाक लेल हिनका लऽग कोट नइँ रहनि। एकटा मित्रसॅं मांगिकऽ अनलनि मुदा ओहो फटले छल। जखन ओ ओतय पहुँचथि तॅं मार्शल टीटो देखलनि जे हिनक कोट फाटल अछि तॅं हिनका एकटा कोट भेंट कएलनि।”
कर्पूरी ठाकुरकेँ 1984 ई. लोकसभा चुनावमे अपन जीवनमे पहिल बेर पराजयक सामना करऽ पड़लनि परञ्च 1985 ई.मे भेल विधानसभा चुनावमे ओ पुनः जीत अपन निरंतरता बनेने रहलथि। आइ बहुतो नेता हिनक शिष्य होएबाक दावा करैत अछि मुदा सच्चाई किछु आर अछि। अब्दुल बारी सिद्दीकी हिनका स्मरण करैत अपन भाषणमे कहैत छथि- “ओना तँ बहुसंख्यक, वंचित आओर गरीब-गुरबाक राजनीति करऽ वला लोक सदिखन अपमानित भेल अछि, गारि सुनैत अछि मुदा हम अपन राजनीति जीवनमे जतेक गारि सुनैत कर्पूरी जी केँ सुनलहुॅं अछि ततेक बिहारमे शायदे ककरो। मुदा आब ओहि परिस्थितिमे फर्क आबि गेल अछि। आब जॅं केओ अपशब्द बजैत अछि तॅ अपन अगल-बगल, दहिना- बामा कात जरूर देखि लैत अछि जे केओ पिछड़ा-दलित ओ आदिवासी तॅ नइँ अछि।”
बिहारक राजनीतिमे कर्पूरी ठाकुरपर दल बदल करब आ दबावक राजनीति करबाक खूब आरोप लगाओल जाइत छल। हिनका लेल इहो कहल जाइत छल जे ई राजनीतिक छल कपटमे सिद्धहस्त रहथि। जातिगत समीकरणकेँ देखैत चुनावमे उम्मीदवार तय करबाक हुनक भूमिकापर लोक सवाल उठबैत रहल मुदा कर्पूरी ठाकुर बिहारक रूढिवादी मकड़जाल केँ तोड़बाक लेल करोडो वंचितक पक्षमे निडर ओ मुखर आवाज बनल रहल। ओ राजनीतिमे गद्दी सम्हारने तत्कालीन पार्टीकेँ राजनीति प्रपंच केँ बूझैत रहथि आओर समाजवादी खेमाक नेता लोकनिक महत्त्वाकांक्षाकेँ सेहो। ओ सरकार बनेबाक हेतु नरम भऽकऽ कोनो दलसॅं गठबंधन कऽ लैत रहथि मुदा जॅं मनमोताबिक जनताक हितमे काज नइँ होइत छल तँ गठबंधन तोड़ि सरकारसॅं बाहर भऽ जाइत रहथि। यैह वजह छल जे हुनक दोस्त ओ दुश्मन दूनूकेँ हिनक राजनीतिक फैसलाक अनिश्चिततासॅं डर बनल रहैत छल।
दिन-राति राजनीतिमे गरीब-गुरबाक आवाजकेँ बुलन्द राखऽवला कर्पूरी ठाकुरकेँ साहित्य, कला एवं संस्कृतिमे खूब मन लागैत रहनि। साहित्यकार एवं राजनेता प्रेम कुमार मणि हिनका स्मरण करैत कहैत छथि– “1980-81 केँ बात रहल होएत, पटनामे एकटा काॅंग्रेसी सांसदक पारिजात प्रकाशनक दोकानपर हम हुनका ‘History of Dharmshashtra’ कीनैत देखने रहियनि। छह खण्डमे विभाजित अइ पो अछि दाम सेहो बेसी छल। एतेक व्यस्तता रहलाक बावजूदो ओ पढ़ाईक लेल समय निकालिए लैत रहथि। अपन भाषा आओर संस्कृतिकेँ लऽकऽ ओ खूब सजग रहथि।
फाटल कुर्ता, टूटल चप्पल आओर बेतरतीब केश, आँखिक ऊपर एकटा नमहर फ्रेमक चश्मा कतौ दूरेसॅं चिन्हा सकैत रहथि कर्पूरी ठाकुर। हुनक मन सागर सन गंभीर आओर आकाश जकाँ विशाल छल। दिशाक समान विस्तृत आओर गंगा सन पवित्र । ओ पल भरिमे कठोर सॅं कठोर निर्णय लेबऽमे सक्षम रहथि। हिनक भाषण ओजपूर्ण रहलाक बावजूद आडंबरहीन ओ जुमलासॅं फराक रहैत छल। विरोधी सेहो बड्ड गौरसँ हिनका सुनैत रहनि। हिनक ईमानदारीपर कहियो विपक्षी केँ सेहो शक नइँ भेल तेॅं तॅं आइ सब दलक नेता हिनका अपन बुझि हिनकाद्वाराबताओल गेल बाटपर चलबाक गप्प करैत अछि। मुख्यमंत्री रहितो ई फक्कड़ सन अपन जीवन जीलाह। परिवार, पत्नी आओर बच्चाक लेल किछु संग्रह नइँ कएलनि।
हिनक ईमानदारीक अंदाज एहिसँ लगाएल जा सकैए जे ओ अपना लेल आजीवन एकटा घर धरि नइँ बना सकलाह। हिनक निधनक बाद दिग्गज राजनेता हेमवती नंदन बहुगुणा पितौझिया आएल रहथि जतय ओ कर्पूरी ठाकुरक पुस्तैनी झोपड़ी देखि कानऽ लागलथि। अपन पुत्र रामनाथकेँ प्रायः चिट्ठी लिखिकऽ कर्पूरी बुझबैत रहथि जे कखनो लोभ-लालचमे नइँ आएब, एहिसँ अहाँक पिताक बदनामी हैत। हिनक अवसानक बाद डाॅ भीम सिंहद्वाराएकटा पोथी ‘महान कर्मयोगी जननायक कर्पूरी ठाकुर’क संपादन कएल गेल। एहिमे नीतीश कुमार जीक आलेखक शीर्षक अछि- ‘कर्पूरी जीके बाद कौन करेगा विपक्ष को मर्यादित’। अइ आलेखसॅं जननायकक विपक्षी कदकेँ सेहो अकानल जा सकैए। पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद लिखैत छथि- “कर्पूरी जी अइ मर्त्यभुवनसॅं चलि गेलथि मुदा हमरा सब लेल छोड़ि गेलथि समाजवादक संदेश।
ई समाजवादक कोनो संदेश मात्र नइँ अछि बरू एकटा बहुत पैघ विचारक सार अछि। अइ तरहे हिनक फकीरी जीवन ओ व्यक्तित्वकेँ नीकसँ गुणानुवाद कएल जा सकैए। कर्पूरी ठाकुर वास्तवमे समाजवादी राजनीतिकेँ बड्ड पैघ नेता रहथि, हुनक नामपर माल्यार्पण करऽ वला हुनक सादगी आओर ईमानदारीसॅं भरल बाटपर चलबाक साहस कतई नइँ कऽ पाओत।”
17 फरवरी 1988 ई. केँ अचानक हृदयाघातसॅं गुदरीक ई लाल सदाक लेल अइ लोकसॅं विदा भऽ गेलथि। हिनक मृत्युक खबरि सुनितहि सम्पूर्ण राष्ट्र शोकक लहरिमे डूबि गेल। मृत्युक बाद हिनक स्मृतिकेँ चिरस्थायी बनेबाक लेल बहुतो तरहक स्मरणीय काज कएल गेल अछि। सभसँ पहिने हिनक पैतृक गाम पितौझिया केँ सन 1988 ई.मे कर्पूरीग्राम नाम देल गेल। बक्सरमे हिनक नामपर जननायक कर्पूरी ठाकुर विधि महाविद्यालय आओर मधेपुरामे जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेजक स्थापना कएल गेल। भारत सरकारद्वाराहिनक नामसँ डाक टिकट जारी भेल।
दरभंगा-अमृतसरक लेल जननायक एक्सप्रेस ट्रेन चालू कएल गेल। दरभंगा आओर समस्तीपुरमे सेहो हिनक नामपर अस्पताल बनाएल गेल। हिनका नामपर संग्रहालय आओर हाॅल्ट सेहो अछि। कतेको ठाम हिनक आदमकद मूर्ति स्थापित अछि, जे अबैत-जाइत लोक सभकेँ प्रेरित करैत रहैत अछि। विभिन्न स्तरसॅं लगभग विगत दू दशकसॅं हिनका भारत रत्न देबाक मांग भऽ रहल छल। केन्द्र सरकार हिनक शत वार्षिकी वर्ष 2024मे भारत रत्न देबाक घोषणा कएलक। सम्पूर्ण मिथिला, बिहार तथा राष्ट्रक स्तरपर कर्पूरीक विचारधाराकेॅं मानऽ वला लोककेॅं संतोष भेलैक जे देर-अबेर काजक मोजर जरूर होइत छै। आजुक राजनीतिमे कर्पूरी ठाकुरक विशाल व्यक्तित्व, हुनक सादगी हमरा लोकनिक लेल एकटा प्रेरणा अछि। देशक शोषित-पीड़ित-वंचित, उपेक्षित एवं आमजनक हृदयमे ओ सदिखन विराजमान रहताह।
लेखक सम्बन्धमे :
सत्यनारायण प्रसाद यादवक जन्म 03 फरवरी 1995 ई. केॅं मधुबनी जिलान्तर्गत भौर (राजग्राम) गाममे भेलनि। मगध विश्वविद्यालय, बोधगयासॅं इतिहासमे स्नातक (प्रतिष्ठा) प्राप्त क ई नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटनासॅं मैथिलीमे स्नातकोत्तर कएलनि। तदुपरान्त मैथिली विषयसॅं केन्द्र सरकार द्वारा आयोजित यू. जी. सी. नेट/जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण क सम्प्रति ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगामे पी-एच.डी उपाधि हेतु “मैथिली कथा साहित्यमे पुनर्जागरणक स्वर” विषय पर शोधरत छथि। मैथिली आ हिन्दीक विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे शोध-आलेख, निबन्ध, समीक्षा आदि निरन्तर प्रकाशित भ रहलनि अछि। एखन धरि लगभग डेढ़ दर्जनसॅं बेसी शोध-आलेख प्रकाशित छनि। कतेको आलेखकेॅं सम्पादित पोथी सभमे सेहो स्थान देल गेल अछि। दिसम्बर 2022 ई. मे प्रकाशित हिनक पहिल पोथी ‘मिथिलाक मार्गदर्शक’ बेस चर्चित-प्रशंसित रहलनि अछि। एम्हर एहि वर्ष (2024मे) भारत सरकारक संस्था साहित्य अकादेमी, नई दिल्लीसॅं पुरस्कृत तेलुगु कथा संग्रह ‘गालिवाना’ केर मैथिली अनुवाद ‘अन्हड़’ सेहो प्रकाशित भेलनि अछि।