राजेन्द्र विमल [ Rajendra Bimal] पुरा नाम: राजेन्द्र प्रसाद विमल अछि। डॉ. राजेन्द्र विमलक जन्म २६ मार्च १९४७ के जनकपुरक देवीचौकमे भेल छल। डॉ. विमल वी. एस. वि. सं. २०२९ सँ त्रिभुवन विश्वविद्यालयमे नेपाली विषय पढ़ा रहल छलाह । मैथिली भाषा साहित्यमे योगदान लेल विद्यापति पुरस्कार ‘प्रतिभा सम्मान २०२०, बाटुली खिलध्वज लघुकथा सम्मान–२०७७, वैद्यनाथ सियादेवी मैथिली पुरस्कार, संस्कृति तथा दर्शन प्रज्ञा पुरस्कार, नेपाली भाषामे अनेको ग्रन्थरचना कए नेपाली भाषा साहित्यकेँ समृद्ध करबाक लेल हुनका ‘जगदम्बा-श्री २०६६‘ सँ सम्मानित कएल गेल छल। [English: Top Maithili Ghazal of Rajendra Bimal, Poetry]
List of Maithili Ghazal by Rajendra Bimal in 2023
1.समयकेर खोँसल गुलाब छी
खोपामे समयकेर खोँसल गुलाब छी
हमरा के बान्हि सकत? नदीकेर बहाव छी
युग-युगसँ मुक्तिकेर गीत हम गबैत छी,
कोशी-बलान छी, झेलम-चनाब छी
इतिहास हमर खूनकेँ, चाहए त’ लिखए पानि,
निशा हमर उतरत नहि, हम ओ शराब छी
ककरा हम दियौ हाक, राति ई नि:शब्द छै,
अपनहि छी हम सवाल, अपनहि जवाब छी
सगर राति दीप जरा, भोरकेँ जोहैत रही,
भोरमे उठाओल गेल, रातुक पड़ाव छी
खुशी-गीत लिखलहबा, पन्नासभ फाटि गेल,
दर्द भरल कथा शेष, फाटल किताब छी
बाजल तारा सभक खून क’क’ उगल सुरुज,
जिन्दाबाद आसमान, हम इन्कलाब छी
– Rajendra Bimal
View Also : धीरेन्द्र प्रेमर्षिक पाचँटा मैथिली गजल
2.मैथिल तँ बस्स मैथिल होइ छथि
शीरा आगाँसभ किछु पावन, चनरौटा, धुपदानी की ?
मैथिल तँ बस्स मैथिल होइ छथि, अइ पानी ओइ पानी की ?
आरतक पात ओना कागज थिक, आ बद्धी बस डोरा थिक,
मुदा छठिके अरगमे अबिते, की सोना वा चानी की ?
अनको सोनित अपन देहमे, अएने अपने रूप लिअए,
सोनित पानिसँ गाढ़े होइ छै, राजी की, मनमानी की ?
मोन हमर अछि बिसफी-बिसफी, अहाँक जनकपुरधाम बनल
कि करतै ग’ बोडर-ढाठी, भीसा की, रहदानी की ?
राजनीति अछि चनकल अएना, तेँ देखाइत अछि काटल रूप,
राजनीति नहि, संस्कृति-जलमे, अपनाकेँ पहिचानी की ?
– Rajendra Bimal
View Also : एकटा विनु बियाहल बापक कथा
3. खेलक मैदानमे
फैसला ने होइत छैक, खेलक मैदानमे
कटिहारीक लोक करत, फैसला मसानमे
हारि-हारि जीतै छी, जीति-जीति हारै छी
असली जुआरी छी, खेलै छी शानमे
जिनगीक कबड्डीमे, हूकब ने अन्तधरि
छूअब हम पाली, बजै छी अभिमानमे
नाथए जनै छी नाग, गेन अपन छीनि लेब
हमहीँ बसैत रही, कृष्ण भगवानमे
लिखलहुँ जे अक्षर, से मेटा सकत काल नहि
अपन विजय-गीत लिखब, धरा-आसमानमे
View Also : मैथिली गजल : करूणा झा
4. तखने दिवाली छी
जगमग ई सृष्टि करए, तखने दिवाली छी
प्रेम-चेतना जागि पड़ए, तखने दिवाली छी
जीर्ण आ पुरातनकेँ हुक्का-लोली बनाउ,
पलपल नव दीप जरए, तखने दिवाली छी
स्नेहकेर धार बहत बनत जग ज्योतिर्मय,
हर्षक फूलझड़ी झरए, तखने दिवाली छी
अनधन लछमी आबए दरिद्रा बहार हो,
रङ्गोली रङ्ग भरए, तखने दिवाली छी
रामशक्ति आगूमे रावण ने टीकि सकत,
रावण जखने डरए, तखने दिवाली छी
View Also :इतिहासमे नाम केकर लिखाबै छै ?
5. नयनमे उगै छै जे
नयनमे उगै छै जे सपनाकेर कोँढ़ी, फुलएबासँ पहिने सब झरि जाइ छै
कलमक सिनूरदान पएबासँ पहिने, गीत काँचे कुमारेमे मरि जाइ छै
चान भादवक अन्हरिये कटैत अहुरिया, नुका मेघक तुराइमे हिंचुकै छल जे
बीछा चानीक इजोरिया कोजगरामे आइ, खेले झिलहरि लहरिपर ओलरि जाइ छै
हम कछेरेपर विमल ई बूझि गेलियै, नदी उफनाएल उफनाएल कतबो रहौ
एक दिन बनि बालु पाथरक बिछान, पानि बाढ़िक हहाकऽ हहरि जाइ छै
के जानए कखन ई बदलतै हवा, सिकही पुरिवाकेर नैया डूबा जाइ छै
जे धधरा छल धधकैत धोंवा जाइ छै, सर्द छाउरकेर लुत्ती लहरि जाइ छै
रचि-रचिकऽ रूपक करै छी सिंगार, सेज चम्पा आ बेलीसँ सजबैत रहू
मुदा सोचू कने होइ छै एहिना प्रिय, सींथ रङ्गवासँ पहिने धोखरि जाइ छै
गजलकार
डा. राजेन्द्र विमल [ Dr. Rajendra Bimal ]
जनकपुर,धनुषा [ Janakpur, Dhanusha]
डा. विमल मैथिली,नेपाली तथा हिन्दी भाषामे कलम चलबैत छथि।मैथिली साहित्यमे हिनक भूमिकासँ बहुतो रचनाकार जनमल छथि तँए भिष्म पितामह जकाँ अछि। को नेपाली किताब ९ कक्षामे ‘बन्धनबाट मुक्ति’ ,त्रिभुवन विश्वविद्यालयके बीएडमे ‘लंका काण्ड’ , पोखरा विश्वविद्यालयक एमएमे ‘चरा बोल्छ’ कथा पढाएल जाइत अछि।
कक्षा ९ के मैथिली पोथीमे तथा स्नातकोत्तरके पाठ्यक्रममे हुनक रचना समावेश कएल गेल अछि।‘जगदम्बा-श्री २०६६’ सम्मानसँ सम्मानित कएल गेल छनि।
अपन प्रतिक्रिया अवश्य देब,धन्यवाद !