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मधेश आ राजनिती – अधिवक्ता: महेन्द्र पासवान

बालेन साह, रवि लामिछाने, ज्ञानेन्द्र शाही, हर्क साम्पांग, जेहन नव पीढ़ीक नेतासब समाज-राज्यकेँ

नेपालक संविधान २०७२ क परिकल्पना अनुसार राज्यक पूर्नसंरचनाक मर्म अनुरुप नेपाल संघिय मुलुकमे परिणत भेल तथा आठ टा जिला समेटि ‘मधेश प्रदेश’क आधार स्वरुप निर्माण भेल छै।

मधेश प्रदेशक पुर्वमे सप्तरी जिलाकेँ सिमाना कायम कएल गेल छै, तँ पश्चिममे पर्सा जिलाकेँ। जातिक बात कएल जाए तँ ई प्रदेश विविधता सँ भरल छै। मुख्य रूपेँ यादव, साह, माली, राम, दास, पासवान, ठाकुर, झा, कर्ण, चौधरी लगायत मुसलमान एवं आओर बहुत रास जात-जातिसभक बसोबास अइ प्रदेशमे रहल छै। समग्रमे कहल जाए तँ मधेश प्रदेशमे सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा राजनितिक विविधतामे एकता छै।

अइ प्रदेशमे जे-जते प्रकारक विविधता हो, मुदा धार्मिक सहिष्णुता आ सामाजिक मेलमिलाप पर जोड़ देब तथा सहजता सँ रहन-सहन आ जीवनयापन करब एकर विशेषता अछि। मैथिली भाषा-भाषीसभक बाहुल्यता रहल अइ प्रदेशमे, सम्पर्क भाषाक रुपमे नेपाली आ हिन्दी मुख्य रूपमे प्रयोग कएल जाइ छै।

नेपालक कुल क्षेत्रफल केँ ६.५% ओगटने मधेश प्रदेशमे ६१ लाख सँ बेसी जनसंख्याक बसोबास रहल तथ्यांक अछि।
नेपालमे संघियता आबँ सँ पहिने मधेशमे (करीब २२ जीलामे) राजनितिक सुत्राधारक रूपमे गजेन्द्र नारायण सिंहकेँ अगुआ मानल जाइ छै।

तराई कांग्रेसक स्थापना संगहि नेपालमे २००७ सालमे प्रजातन्त्रक बहाली पश्चात पुनः पंचायत काल होइत, हाल लोकतन्त्रिक नेपालमे संघियता कायम पश्चात नेपालक पुरना पार्टीसब नेपाली कांग्रेस, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रिय जनमोर्चा, मजदूर किशान पार्टी लगायतक पार्टीसभक संगठन तराई-मधेशमे सक्रिय छै। २०६२/६३ क आन्दोलनक बाद मधेश आन्दोलनक अगुआई ‘मधेशी जनअधिकार फोरम’ कएलक तथा एकरे नेतृत्वमे किछु हद धरि मधेशक किछु मुद्दासब प्राप्त भेल। नेपालमे मधेसक मुख्य मुद्दासब लँ कँ पुरना पार्टी आ नेतासब अगाड़ी बढ़ैत रहलनि लेकिन मधेशी जनाधिकार फोरम लगायत आओर पार्टीसब एकठाम संगठित नइँ रहि सकल।

मधेशमे ‘तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी’ लगायत आओर पार्टीसब अलगे-अलगे समूहगत रूपमे ध्रुवीकरण होइत रहल तथा एकदोसरके नेतृत्व स्वीकार करबामे असमर्थ होइत रहल। पार्टीसब अलग-अलग होइतोमे मधेशक मुद्दासब पर एक भ चुनाव लड़ल आ बैकल्पिक शक्तिक रूपमे मजगूत रूपेँ ठाढ़ भेल। लेकिन, संगठित रूपमे अगाड़ी आएल पार्टीसब जल्दिए छिन्न-भिन्न भ गेल तथापि राजनीतिक संघर्षकेँ अगाड़ी बढाइबे रहल छै।

मधेश केन्द्रित दलसब एकजुट नइँ होएबाक प्रमुख कारण एक-दोसरक नेतृत्व स्वीकार नइँ करब रहल अछि, तथा सत्तामे टिकल रहबाक स्वार्थक कारण जातीय, वर्गीय, क्षेत्रीय संघर्ष केँ अराजक रूपमे प्रोत्साहित एवं उत्प्रेरित करब मुख्य रहल छै। जेकर परिणाम देँख मधेशक जनतासब दुःखी आ निराश भेल छथि। तराई-मधेश केन्द्रित दलसभक निम्नस्तरिय स्वार्थक कारण एहिठामक जनताके किछु हक-अधिकार प्राप्त भेलो पश्चात अपेक्षाकृत सफलता नइँ भेटल अछि। मधेशक नेतासभक मात्र सत्ता स्वार्थ, मन्त्री, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष जेहन पदलोलुपताक कारण मिथिला-मधेशक जनता निराश आ दुःखी मात्रे नइँ भेल छनि, अपितु आब राजनीतिक विकल्प खोजि वयह पहिलुका पार्टीसब नेपाली कांग्रेस, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, माओवादी पार्टी दिसि जाए लागल अछि। जे की क्षेत्रीय रूपमे मजगूत रूप सँ आगा आएल दलसभक लेल नीक संकेत नहिए कहल जा सकैछ।

चुनावक समय मोर्चाबन्दीक आधार पर चुनाव लड़ब आ जितब अभ्यास एखन धरि देखल गेल अछि। चुनावी एकता आ मोर्चाबन्दीक कारण आएल परिणाम दलसभक गठबंधनके नीरन्तरता देब वा निष्कृय करब तेकर स्पष्ट संकेत परिणाममे देखल जा सकैछ। चुनावी तालमेल आ गठबंधन किछु हद धरि मात्रे ठीक होइ छै। मुदा, मुख्य नेतासब चुनावी समीकरणक बादो पराजित भेलाक पश्चात एक-दोसर पर विभिन्न आरोप-प्रत्यारोप, द्वेष, घृणा तथा राजनितिक अफवाह पसारब जेहन निम्नस्तरिय कृत्य देखल जाइछ।

मुदा, आब तँ ‘मिशन ८४’क बात उठल छै। बालेन साह, मनिष झा, रवि लामिछाने, ज्ञानेन्द्र शाही, हर्क साम्पांग, जेहन नव पीढ़ीक नेतासब समाज-राज्यकेँ उचित दिशामे आगा बढ़एबाक लेल तैयार भ रहल छथि। जे की, नेपालक पुरनका पार्टी लगायत मधेश केन्द्रित, वा मधेशी दलसभक लेल चुनाव जीतब दूरूह भ सकै छै। नेपालीमे कहल जाइ छै – ‘फलामको चिउरा चपाउनु’ सरह होतै जेना अखने सँ बुझा रहल छै। दोसर तरफ मधेशक आमलोकमे राजनैतिक सचेतना साकारात्मक रूपेँ उपर उठि रहल छनि। जनचाहना एवं समाजक आवश्यकता अनुसार विकास आ सहभागिताक लेल आमलोक बार्गेनिंग (छलफल) करबाक निचोड़ धरि मात्रे नइँ की पुगल छथि, अपितु आब राजनीतिक दल आ नेतासबकेँ उचित प्रश्न पुछबाक लेल मानसिक रूपेँ तैयार भ गेल छथि। मधेसक स्थानिय चुनाव, प्रादेशिक चुनाव तथा प्रतिनिधि सभाक चुनाव नजिर बनि गेल छै। तेँ, मधेशक आमलोकक सरोकारबला विषय-बस्तुसभक सम्बन्धमे प्रतिनिधि एवं नेतासब चिन्तनशिल होएब अति आवश्यक देखल जाइ छै। मधेशक अति आवश्यक मुद्दासबकेँ त्यागने दलसभक लेल पुर्नजिवित होएबाक उचित मौका भेटल अछि।

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■ स्तम्भकार / लेखक परिचय :
अधिवक्ता महेन्द्र पासवान‌ औरही (कमलपुर), सिरहा निवासी छथि। पासवान, एल.एल.बी. तथा समाजशास्त्र एवं मानवशास्त्रमे एम.ए. कएने छथि। भुतपूर्व बैतनीक वकिल, प्रदेश कानुनी साहायता अधिकृतक पदपर रहि काज कएने अनुभव सहेजने पासवान सिरहा जिला अदालतमे आठ वर्षसँ वकालत करैत आबि रहल छथि।

महेन्द्र पासवान

महेन्द्र पासवान, अधिवक्ता छथि। समाजिक विषयमे चिन्तन मनन करैत, समाजिक मुद्दाके गहिर ढङ्गे उठाएल करै छथि।