मध्ययुगीन मैथिली नाट्य आ गीतक बारेमे भाषावैज्ञानिक पुस्तक प्रकाशित

नेपाल सङ्गीत तथा नाट्य प्रज्ञा-प्रतिष्ठान डा.रामावतार यादव लिखित “मध्ययुगीन मैथिली नाट्य र गीति कृतिहरुको भाषावैज्ञानिक वर्णन-विश्लेषण” नामक पुस्तक प्रकाशित कैलक अछि । एहि कृतिकेँ प्रतिष्ठानकप पूर्व प्राज्ञ परिषद् सदस्य एवम् परम्परागत तथा शास्त्रीय सङ्गीत विभाग प्रमुख धीरेन्द्र प्रेमर्षि सम्पादन कएने छथि।
जर्मनी, बेलायत, अमेरिका, भारत आ नेपाल सँ समेत अङ्ग्रेजी आ मैथिलीमे भाषा-विज्ञानसम्बन्धी अनेकोँ पुस्तक प्रकाशन भऽ गेल डा. रामावतार यादवक नेपाली भाषामे प्रकाशित ई पहिल कृति अछि।
कुल १० अध्यायमे संयोजित उक्त पुस्तकमे मध्ययुगीन (मल्लकालीन) मैथिली पाण्डुलिपिः साङ्ख्यिकी, मध्ययुगीन प्रकाशित ग्रन्थः संक्षिप्त परिचयात्मक टिप्पणी, विश्वक विभिन्न मुलुकमे अद्यतन प्रकाशित (मल्लकालीन/मध्ययुगीन) नाट्यकृति सभक संक्षिप्त विवरणात्मक सूची, मध्ययुगीन मैथिलीक भाषावैज्ञानिक वर्णन-विश्लेषण (१६००-१७६९ ई.), राग-तालः शास्त्रीय विवेचना, गीति विधाक प्रकाशित ग्रन्थ सँ चयनित गीतसभमे प्रयुक्त राग-तालक पाठगत वर्णन-विश्लेषण, गीत-सङ्गीतक समग्र गुण वृद्धि/उत्कर्षमे राग-तालक अवदान जेहन महत्त्वपूर्ण विषय सभ समेटल गेल अछि।
भाषावैज्ञानिक डा.यादव सँ भाषा-विज्ञानसम्बद्ध वर्णन-विश्लेषण प्राप्त होयब स्वाभाविक आ अपेक्षित भेल रहितो राग-तालक शास्त्रीय विवेचना, ओहि कालखण्डक गीतसभमे प्रयुक्त राग-तालक पाठगत वर्णन-विश्लेषण, गीतक गुणस्तर अभिवृद्धिमे राग-तालक योगदान जेहन विषय समेत समाविष्ट होयब, पाठकसभक लेल अतिरिक्त आ विशिष्ट प्राप्ति अछि। एहि सँ सङ्गीत-सम्पदा सम्बन्धी अध्ययनक आयामकेँ सेहो उड़ाहने अछि। कालान्तरमे साङ्गीतिक ज्ञानमे समेत निष्णात कोनो विद्वान सँ विस्तृति पबैत जायत विश्वास कएल जा सकैछ।
स्रोत: सामाजिक संजाल