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मगही भाषाक प्रयोग एवम् काल पहचान उदाहरण सहित : परमेश्वर कापड़ि

मगही भाषाके अपन खास पहचान आ भाषिक स्वरुप ओ विशेषतासब छै । ओकर अप्पन व्याकरण ओ भाषिक परम्परा छै, जेकरा जानब बहुत आवश्यक ओ अनिवार्य छै ।

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नेपालमे बहुतो लोक भाषा–राजनीतिक उद्वेग आ मैथिली भाषाके डुबाब’, बुराब’के क्रममे अनेरे जे कहैछ, हमर भाषा मगही छैथ आ ओतहि जे एतए मैथिली भाषा–भाषीक रुपमे अपन परिचय देबमे गर्व होइत छन्हि, हुनको अवगतिकेलेल, मगही भाषाक विद्वान डा बलदेव सहायक ‘मगही भाषा व्याकरण एवं साहित्य’ के आधारपर ई नान्हिटा लेख अइ ।
काल ओ पुरुषके हिसाबे मगहीमे ‘भेनइ/होनइ’ सहाय किरियाके वाक्य मे प्रयोगक नमूना प्रस्तुत अछि—

वर्त्तमान काल

उत्तम पुरुषके उदाहरण —

हीं—— हम समाचार पढ़ हीं ।
हकू— हम विद्मान नँय हकू । तों निपट अनाडि़यो नँय हकू ।
हिअइ— हम एगो सिकच्छक हिअइ, कोनो चोर बदमास नइ हिअइ ।
ही— — हमनिन हियाँ सान्त भाव से पढ़ऽ ही ।

 मध्यम पुरुषके उदाहरण—

हे— — तू कहाँ जात हे ? तूँ हुआँ काहे जा हे ?
ही — अपने कहाँ जा ही ?
हइ — तोहर ई बुतरु तो बड़ बदमास हइ ।
ऊ केकरो बाते नय सुनऽ हइ ।
हकी— तू अभी कहाँ हकी ?
हखू — तोर पिता जी कहाँ हखू ?
हखी — तों एतना कंजूस काहे हखी ?
हथुन— तोहर भैया कहाँ रहऽ हथुन ?

    अन्य पुरुषके उदाहरण—

हइ — ऊ एतेक बदमास हइ कि केकरो बाते नँइ सुनइ ।
हें — ऊ सभे डकइत हें ।
हकै — ओकर गाँम में तो सब अदमियन चोरे हकै ?
हखिन— रामबाबू तो तोहरे गाँव के हखिन ?

भूत कालः—

 उत्तम पुरुषके उदाहरण—

हलू — एक दिनहमहू जवान हलूं ।
हली — अप्पन छात्र जीवन में हम रोज–रोज इस्कूल जा हली ।
हलिअइ– हम तो सोचले अलिअइ कि अप्पन गाममें एगो संगठन वनै हयै ।
हलीं — हम सभ हर साल मेलामें साथ–साथ जहलीं ।

मध्यम पुरुषके उदाहरण—

हलें — एतना दिन से तू कहाँ नुकल हलें ।
हलइ— तोहर डरे से ऊ मलकत्ता भाग गेल हलइ ।
हल — तों हरतें हल त हमरा सहयोग मिलत हल ।
हलहीं– तहूँ तो एक दिन बुतरुए हलहीं ।
हलहूं— चोरिया के समय तूँ हलहू ।तों हलहो ।
हलो — तहूँ तो हइये हलो÷हलहो ।

 अन्य पुरुषके उदाहरण—

हल — ऊ पढ़ रहल हल ।
हलइ— मोहन तो चउथा किलास में पढ़ो हलइ ।
हली — हम ओकरा मारे में नयँ हली ।
ऊ तो एगो बिदुसी हली ।
हलहिन– घटना स्थल पर तू हूँ तो हलहिन ।
हलखिन– पारस बाबू हुआँ नयँ हलखिन ।
हलखीन– हुआँ तो खाली बनारसे बाबू हलखीन ।
हलन — गाँवके सभे पढ़ल–लिखल अदमी हुआँ जमा हलन ।
हलथी— कारुओ बाबू वहाँ हलथी ।
हलखीं— धन कटनी बखत प्रकाशो बाबू खेतेमें हलखीं ।
हलथीन– लालबाबू ऊ बखत एम.पी. हलथीन ।

विद्यानन्द बेदर्दी

Vidyanand Bedardi (Saptari, Rajbiraj) is Founder member of I Love Mithila Media & Music Maithili App, Secretary of MILAF Nepal. Beside it, He is Lyricist, Poet, Anchor & Cultural Activist & awarded by Bisitha Abhiyanta Samman 2017, Maithili Sewi Samman 2022 & National Inclusive Music Award 2023. Email : Vidyanand.bedardi96@gmail.com

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