भगवान् शिव उत्पत्ति भेल राति: महाशिवरात्रि

काठमाण्डू, १४ फागुनः भगवान् शिवके उत्पत्ति भेल रातिके नामसँ नामकरण भेल महाशिवरात्रि पावनि आइ देशभरि शिवालयसभमे विधिपूर्वक पूजा, आराधना आ दर्शन क मनाएल जा रहल अछि।
प्रत्येक वर्ष फागुन कृष्ण चतुर्दशीक मध्यराति पड़ैबला दिन महाशिवरात्रि पावनि भगवान् शिवक पूजाआराधना क मनाएल जाइत अछि। धर्मशास्त्रविद् प्रा. डा. देवमणि भट्टराईक अनुसार परब्रह्म फागुन कृष्ण चतुर्दशीक दिन मध्यराति शिव रूप धारण कएलथि, ताहि कारणेँ मध्यरातिमे चतुर्दशी तिथि पड़ैबला दिन पूजा, आराधना आ दर्शन कएलासँ अइ लोकमे सुख-शान्ति आ परलोकमे सद्गति प्राप्त होइत छै।
वैदिक सनातन हिन्दू धर्मावलम्बीसभ आइ भोरेसँ नदी, कुण्ड आ तलावमे स्नान क श्रद्धाभक्तिपूर्वक शिवालयसभमे पूजाआराधना क रहल छथि। शिवजीक उत्पत्तिसँ सम्बन्धित ई पावनि कालरात्रि, मोहरात्रि, सुखरात्रि आ शिवरात्रि नामक चारि प्रमुख रात्रिमेसँ एक पवित्र पावनि मानल गेल अछि।
ई पावनिकेँ दीन-दुःखी आ कष्टपूर्ण अवस्थामे रहल प्राणीसभक हृदयमे धर्मक उदय करैबला आशुतोष भगवान् शिवक अति प्रिय दिन मानल जाइत अछि। मान्यता अनुसार माघ महिनामे महादेवक रुद्रत्व (संहारक तत्व)के कारण वृक्ष, लता-पात आ झाड़-झंखाड़ पत्रविहीन भ जाइत अछि, मुदा फागुन मासमे शिवत्व (कल्याणकारी तत्व)के प्रभावसँ ओसभ फेर सजीव भ पल्लवित होइत अछि। ताहि कारण ई पावनि मनाएल जाइत अछि।
महाशिवरात्रिकेँ व्रतमे सर्वोत्तम कहल गेल अछि। भक्तजन आइ शुद्ध भ शिव मन्दिरमे पूजा-अर्चना करैत उपवास रहैत छथि आ भगवान् शिवकेँ प्रिय वस्तु दूध, धतूर आ बेलपत्र चढ़बैत छथि। ई दिन उपवास रइह राति भरि जागरण कएलासँ सर्वसिद्धि प्राप्त होइत अछि आ यमलोक जेबाक आवश्यकता नइँ रहैत छै। जनविश्वास अनुसार, भगवान् महादेवकेँ जाड़ लागैत अछि, ताहि कारण प्रत्येक घर, चोक आ मठ-मन्दिरसभमे जारैन मांइग धुनी जगाओल जाइत अछि, सङे भजन-कीर्तन करैत प्रसाद ग्रहण कएल जाइत अछि।
पशुपतिनाथमे चारि प्रहरमे विशेष पूजा
राष्ट्रिय सांस्कृतिक पावनि रूपेण महाशिवरात्रि दिन पशुपतिनाथमे राति भरि चारि प्रहरमे पूजा, महादीप, अखण्डदीप, लक्ष्यबत्ती आ दीपोत्सव सम्पन्न होइत अछि। लाख बेलपत्र अर्पण करबाक परम्परा सेहो अछि। कएलाशकुट आ किरातेश्वर संगीत आश्रममे शास्त्रीय नृत्य-गान कएल जाइत अछि। देश-विदेशसँ लाखों तीर्थयात्री पशुपतिनाथ दर्शन लेल आबैत छथि।
धर्मशास्त्रविद् एवम् नेपाल पञ्चाङ्ग निर्णायक विकाश समितिक सदस्य प्रा. डा. देवमणि भट्टराईक अनुसार, साँझ करिब ६ बजे पशुपतिनाथमे प्रहर पूजा आरम्भ होइत अछि। पहिल प्रहर पूजा पौने ९ बजे समाप्त होइत अछि, दोसर प्रहर ९ बजेसँ पौने १२ बजे धरि, तेसर प्रहर १२ बजेसँ पौने ३ बजेधरि आ चौथ प्रहर ३ बजेसँ भोर ६ बजेधरि सम्पन्न होइत अछि। जप, ध्यान, पूजा, अर्घ्यदान, पाठ, रुद्राभिषेक आदिसँ प्रहर पूजाक विशेष महत्व रहैत अछि।
देशभरिके प्राणप्रतिष्ठित शिवालयसभमे सेहो चारि प्रहर पूजा होइत छै। चावहिल गङ्गाहिटीस्थित रुद्रेश्वर महादेव मन्दिर, गौरीघाटस्थित त्रिगजुर शिवालय, गोकर्णेश्वर महादेव मन्दिर, नागेश्वर, डोलेश्वर आदि मन्दिरमे विशेष पूजा परम्परा अछि।
पशुपति क्षेत्रमे विशेष सुरक्षा व्यवस्था
पशुपति क्षेत्र विकाश कोषक अनुसार, महाशिवरात्रिक अवसरमे भक्तजनसभक सुविधा लेल विशेष प्रबन्ध कएल गेल अछि। सात वर्षसँ पशुपति क्षेत्रमे गाँजा, भाङ, धतूर आदि निषेधित अछि, आ ई वर्ष सेहो अइ नीतिकेँ निरन्तरता देल गेल अछि। यदि कोनो व्यक्ति निषेधित पदार्थ बेचैत अथवा सेवन करैत भेटल, तँ कानूनी कारबाही हएत । पशुपति क्षेत्रमे शान्ति-सुरक्षाक लेल करिब पाँच हजार सुरक्षाकर्मी खटाएल गेल अछि।
भोर दू बजेसँ पशुपतिनाथक चारि ढोका खुला
बुधदिन महाशिवरात्रिक अवसरमे भोर २ बजेसँ पशुपतिनाथक चारि ढोका खोलल गेल अछि । अनुमान अछि जे अइ वर्ष १० लाखसँ बेसी श्रद्धालु दर्शन करताह। किछ भक्तजन पशुपति क्षेत्र पहुँचि गजुर दर्शन क घुरि क चलि जाइ छथि। धर्मशास्त्रविद् प्रा. डा. रामचन्द्र गौतमक अनुसार, गजुर दर्शन कएलासँ सेहो पशुपतिनाथक प्रत्यक्ष दर्शन जकाँ फल प्राप्त होइत अछि।
एहि वर्ष पशुपति क्षेत्र विशेष रूपसँ साज-सज्जा कएल गेल अछि। झिलिमिली बत्ती, फूल आ मालासँ मन्दिरकेँ आकर्षक रूपसँ सजाओल गेल अछि। दर्शनार्थीसभक सुविधाक लेल बाहिर चारि आ भीतर आठटा लाइन व्यवस्था कएल गेल अछि। पशुपति क्षेत्र प्रवेश लेल विभिन्न मार्गसभ निर्दिष्ट कएल गेल अछि, जाहिमे मित्रपार्क, गौरीघाट, उमाकुण्ड, दक्षिणामूर्ति, रुद्रगाडेश्वर, जयवागेश्वरी, इँटापाखा, भुवनेश्वरी, बत्तीसपुतली, गौशाला, एयरपोर्ट आ तिलगङ्गा क्षेत्र प्रमुख अछि।
दर्शनार्थीसभक सवारीसँ सम्बन्धित पार्किङ सुविधा सिफल, तिलगङ्गा, गुह्येश्वरी पारि, पशुपति क्षेत्र कार्यालय, वनकाली आदि स्थानपर उपलब्ध कएल गेल अछि। पशुपतिनाथसँ अतिरिक्त, उपत्यकाक गोकर्णेश्वर, डोलेश्वर, नागेश्वर आदि शिव मन्दिरसभमे सेहो भक्तजनसभक भीड़ रहत, सङे राजधानी बाहिर शिवालयसभमे सेहो भगवान् शिवक पूजा-आराधना एवम् दर्शनक लेल भीड़ लागल अछि।
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(रासस, मैथिली सेवा)