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मैथिली गीतक पहिल व्यावसायिक अलबम ‘भोर भेलै हे पिया’ : किसलय कृष्ण

मैथिलीक सांगितिक विरासत अत्यंत प्राचीन रहल अछि, से सभकेओ जनैत छी। आदिकाल सँ संगीतकार गायक लोकनि केँ विभिन्न राज्याश्रय मे प्रोत्साहन भेटैत रहल अछि आ उपलब्ध प्रविधिक माध्यमे तकर संरक्षणक प्रयास सेहो भेल अछि, आरम्भ मे से प्रविधि लेखन धरि सीमित छल आ से मिथिलाक संगीत पर विभिन्न पोथीक सृजन होइत रहल। लोचनक राग तरंगिनी एहने पोथी अछि।

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प्राविधिक विकासक क्रम मे जखन विद्युतिय संचार, रिकार्डिंग आदिक आगमन भेल तँ मैथिलियो दिस लोकक ध्यान गेलैक आ गोटपगरा काजो आरम्भ भेल। स्वतंत्रतापूर्व चालीसम दशक मे आकाशवाणी माध्यमे किछु विद्यापति गीत सभक रिकार्डिंग आ प्रसारण भेल। पद्मश्री रामचतुर मल्लिक, माँगैन खबास आदि प्रमुख स्वर छलाह। एतय मोन पाड़ैत चली जे 1931 मे निर्मित वॉलीवुडक हिन्दी फिल्म विद्यापति मे दूइ टा विद्यापति गीतक ध्वन्यांकन कानन देवीक स्वर मे भ’ चुकल छल, मुदा १९३० मे आकाशवाणीक स्थापना होइते चालीसक दशक सँ मैथिली अकानल जाय लागल। मल्लिकजी, मांगैन खबास, सीता देवी, विंध्यवासिनी देवी आदिक स्वर मे किछु विद्यापति गीत आ लोकगीतक रिकार्डिंग आ प्रसारण भेल। ता निजी रिकार्डिंग आ विपणनक क्षेत्र मे एच एम वी कम्पनी भारत मे लोकप्रियता जमा लेने छल, मुदा मैथिलीक प्रवेश एखनहुँ शेष छल। स्वतंत्रता प्राप्तिक चोट्टहि बाद मैथिली गायनजगत मे एकटा युवाक आह्लादकारी प्रवेश भेल ।

ई छलाह तेइस चौबीस सालक आनन्द मिश्र जे कालान्तर मे आकाशवाणी पटना होइत पटना विश्वविद्यालयक मैथिली विभागाध्यक्षक कुर्सी धरि पहुँचलाह। हँ, एखन गप्प करबाक अछि गायक आनन्द मिश्रक संदर्भमे। …. से १९४८क आरम्भे मे आकाशवाणी दिल्ली सँ हिनक स्वर मे दू टा विद्यापति गीतक रिकार्डिंग आ प्रसारण भेल। गीत छल “गौरा तोर अंगना आ जोगी एक ठाढ़ अंगनमा मे…..”। प्रसारणक बाद एच एम वी कम्पनीक ध्यान एहि युवा स्वर दिसि आकृष्ट भेल आ कम्पनीक प्रतिनिधि पटना पहुँचि आनन्द मिश्र आ विंध्यवासिनी देवी सँ संपर्क साधलक आ अगस्त १९४८ मे दुनू गोटे कम्पनीक लखनऊ स्टूडिओ पहुँचलाह किछु लोकगीत आ विद्यापति गीत संग ।

दुल्लाल सेनक संगीत मे रिहल्सल आरम्भ भेल दू टा लोकगीत आ दू विद्यापति गीतक चयन रिकार्डिंग लेल भेल। अलबमक नाम एकटा लोकगीतक मुखड़ा सँ प्रस्तावित भेल “भोर भेलइ हे पिया” आ तेँ पहिने एहि गीतक रिहल्सल आरम्भ भेल…”भोर भेलइ हे पिया भिनसरबा भेलइ हे आकि एम्हर दोसरे रामाखटोलबा आरम्भ”। स्वर : आनन्द मिश्र आ विमला माथुरशब्द-संगीत : विंध्यवासिनी देवी

विंध्यवासिनी देवीक संग अभिभावकत्व मे हुनक पति सेहो गेल रहथिन, जे रिहल्सलक बाद विन्ध्यवासिनी केँ कहलखिन्ह जे मिसिरजी के मेहरारू बनिके गायब, ई ना होत… आब कम्पनीक स्टाफ सब परेशान, अन्तत: लखनऊक प्रसिद्ध विरहा गायिका विमला माथुर केँ बजा युगलबन्दी कराओल गेल आ चारू गीतक रिकार्डिंग सम्पन्न भेल। अन्य तीन टा गीत मे दू टा विद्यापति गीत छल आ एकटा झूमर आ मैथिली संगीतक इतिहास मे पहिल बेर कोनो व्यावसायिक अलबम ग्रामोफोन रेकार्ड्स रूप मे विपणन लेल अक्टूबर १९४८ मे बजार पहुँचल। गीत सभक सरल शब्दावली आ लोकधर्मिता आ कर्णप्रिय गायन सँ नीक व्यवसाय करबा मे सफल रहल, जाहि सँ प्रभावित भ’ कम्पनी द्वारा बालेश्वर मिश्र, विश्वनाथ झा आदिक स्वर मे सेहो मैथिली अलबम प्रकाशित कयलक आ ई क्रम कतेक दिन धरि चलल।

ग्रामोफोन रेकॉर्ड्स युगक उपरान्त कैसेट (मैग्नेटिक टेप) युग मे एहि अलबमक कैसेटरूप हमरा दिल्लीक एकटा स्टूडियो मे हस्तगत भेल, जे जीर्णशीर्ण अवस्था मे छल। रिकार्डिस्ट अनुज विनायक तकरा जेना तेना डिजिटल मोड मे परिवर्तित केलन्हि आ परसि रहल छी ।

किसलय कृष्ण

Guest Writer of I Love Mithila. Kislay Krishna is a famous anchor, lyricist & journalist of Maithili Industry

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