विन्देश्वर ठाकुर जीक पाँचटा मैथिली गजल प्रस्तुत अछि…
ओ ठकैत गेलै हम ठकाइत गेलियै
बस अदहनके भाफ जकाँ भफाइत गेलियै
रहियै हम ओकरा लेल सिलेट परके आँखर
ओ मिटबैत गेलै हम मिटाइत गेलियै
लोभ आ वासनासँ गढै नित नव शेर
ओ लिखैत गेलै हम लिखाइत गेलियै
नेहक दियामे टिमटिमाइत एकटा बाती हम
ओ मिझबैत गेलै हम मिझाइत गेलियै
छुछदुलारेमे ततेक ने पागल रहियै ’विन्दु’
ओ लुटैत गेलै हम लुटाइत गेलियै,
2.
लोकक आचरणसँ जगमे मोन दुखा जाइछै
दर्द कुहकैछै भीतर मुदा नोर सुखा जाइछै
घाउ टभकै छै मीता पकोई धैलहा अंगमे
बहब’ बेर अपन आ आन नुका जाइछै
देह धुनैछै मरनी मलिकबा लग राति दिन
बाट अबितेधरि देखियौ रोटी लुटा जाइछै
भोट मांग’ धरि नेता लेल जनता भगवान छै
संसद पहुँचते सब कष्ट भुला जाइछै
’विन्दु’ सपनेमे बनबैछै सपनाक पचतल्ला
आँखि खुजिते पचतल्ला बिला जाइछै
3.
करु कते अहाँकेँ बखान हमर नेताजी?
सत्ते अहाँ पैघ छी महान हमर नेताजी
हमसब त अंग्रेजीके अंग्रेजिए बुझैत छलियै
अहाँ कोना बुझलियै विज्ञान हमर नेताजी?
सत्ता आ भत्ता सँ मोन जे नै भरल त
द’ देलियै मैथिलीयोके बलिदान हमर नेताजी?
माएके बिसरिक’ मौसीके पूजबै जखन
कि अत्मे देत अहाँक सम्मान हमर नेताजी?
कि कहु, कतेक कहु जनते ने बुडि़बक छै..?
तें त करैछियै बेरबेर ओकरा कुर्बान हमर नेताजी..
4.
मजाकेमे हसिक’ ई कि केलियै यार
पँजरामे सटिक’ ई कि केलियै यार
छुबिते अहाँके करेजा झनकि उठल
पाँजामे कसिक’ ई कि केलियै यार
गामसँ शहरधरि एकहिटा शोर छै
भरि राति बसिक’ ई कि केलियै यार
अहाँक ठोरंङा त अहीँ ठोरमे होबाक चाही
हमर गालमे घसिक’ ई कि केलियै यार
धनिकहाके बेटी गरिबहाके घरमे
हमरा संगे फसिक’ ई कि केलियै यार,
5.
साथ रहिक’ बहुत किछु करबै हमसब
प्राण बाचए धरि दुनियाँ सँ लड़बै हमसब
जकरा जे सोचबाक छै सोचैत रहौ बसिक’
ओकर फुसियाहीक फन्दामे नै परबै हमसब
ई जिनगी समर्पित माँ मैथिलीक चरणमे
तहन छोट छोट बात लेल नै डरबै हमसब
टकरा जेबै केहनो अन्हडि़-बिहारिसँ
सृङ्हारेके फूलसन बरु झरबै हमसब
जिबै सदैव अपन कला- साहित्य लेल
संरक्षण-संबर्धन लेल मरबै हमसब
Bahaut Nik 🙏 tired to understand ,,, whatever i understood it was amazing ,,, ahan ke bahaut bahaut Shubhkamna dei chhiye