
मैथिली गजल,
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बिजली एलै घर-घर सबहक बुद्धि बिलेलै
लोक कहाँ भेल चर-फर सबहक बुद्धि बिलेलै
वेद, पुराण, महाभारत, रामायण, गीता पढ़िक
तेज़ कहाँ चेहरापर सबहक बुद्धि बिलेलै
कनमा, भूटबा, छोटका, बड़का, काका, भैया
नोट गनै छै कर-कर सबहक बुद्धि बिलेलै
दारू-गाजा-बीड़ी-सिगरेट-अफीम-चरस सब
पीबिकऽ करै छै गड़बड़ सबहक बुद्धि बिलेलै
संस्कार, संस्कृति, सामाजिक रीति-नीति-अनुशासन
सबटा गेल अछियापर सबहक बुद्धि बिलेलै
शान्ति-अहिंसा-सत्य कहै छै प्रकृति प्रदत्त छल
गोली चलै छै तर-तर सबहक बुद्धि बिलेलै
“करुणा” मिथिला बिसरि गेल अप्पन मर्यादा
गरसि गेलैक कोन अजगर सबहक बुद्धि बिलेलै
रचनाकार
करूणा झा , राजविराज ,सप्तरी