● मैथिली गजल : सुमन स्मारिका
ओतेक बड़का अवसर, ओतेक बड़का चुनौती नइँ लगैत अछि
दू चारि ठोक्कर नइँ खेलाबाद जिनगी, जिनगी नइँ लगैत अछि
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बच्चामे माँ खेलौनाटा दैत मातर कते खूशी होइत छलौँ
अखन तँ कियो जिनगी दैतो खूशी नइँ लगैत अछि
हमर पछाड़ी हमर अपनैति छथि कहि कोना निफिकिर रहै छी ?
जखन कि अहाँक छाहो अहाँके पछाड़ी नइँ लगैत अछि
जखन फूलजकाँ छोटकी बेटीक फूलेसन मुस्की देखै छी
दुनियाँमे दोसर चीज देखऽ लेल बाँकी नइँ लगैत अछि
हम सजिकऽ तिलोत्तमा बनी चाहए मेनुके किएक नइँ ?
अहाँ सुनरी नइँ कहलापर स्वयंकेँ सुनरी नइँ लगैत अछि
मैथिली गजल
▪︎अनुवाद : विद्यानन्द वेदर्दी )