मैथिली कविता / Mathili Kavita
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मैथिली कविता ‘प्रेमक रङ्ग’ : विद्यानन्द बेदर्दी
■ प्रेमक रङ्ग वरिषो दिनसँ हमरे लेल अजबारिक’ रखैत रहियै अहाँ अपन गाल हमहुँ कोनो जतराजकाँ निहारैत रही पुरा साल…
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जनक कार्कीक 5 टा प्रेम कविता मैथिलीमे
कविता : स्पर्श चलैत काल जखन पएरसँ धुलकेँ स्पर्श करैत छी अहाँ तकराबाद धुल, धुल नइँ रहैत अछि विभूति भ’…
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गुरु दयाल अतुल्यक दूटा मैथिली कविता
■ कविता : हमही पुरुष छी देवोके देव महादेव छी किरिणमे सुरुजदेव छी हमही तीर तीरके कमान भक्तमे राम भक्त…
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गेना यादवक दूटा मैथिली कविता
■ गामक याद रेस्टूरेण्ट आ सोपीङ्ग मल नइँ छलै पपकोर्न आ सिनेमा हल नइँ छलै सुकुन तहियो छेलैय जीवनमे जहिया…
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डा. जय नारायण गिरि “इन्दु” क दूटा मैथिली कविता
■ कविता : जय हो मिथिलानी अखिल भुवनमे सभसँ सुन्दरि परम यशस्वी मिथिलानी जिनगी केर सभ क्षेत्र-क्षेत्रमे अग्रगण्य हो मिथिलानी।।…
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हे वीर, अहाँकेँ सत सत नमन – दिपेश चौधरी
हे वीर अहाँकेँ सत-सत नमन हे वीर अहाँके सत सत नमन !! ने आगिसँ, ने पानिसँ, ने डरेलहुँ अहाँ शासक…
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बद्रीनाथ राय ‘अमात्य’ क दूटा मैथिली कविता
कन्यादानक चिन्ता खास (कविता) – बद्रीनाथ राय ‘अमात्य’ सुनू शिष्टजन कन्यादानक, कथा कारुणिक सुनबै छी। बेटीक बाप बनइए शापित, निज…
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रवीन्द्र मण्डल “मंजय” क दूटा मैथिली कविता
बिसरल कोइली कू-कू बोली, होयत अगहनके भोरसँ, रुइयाँ तनपर ठाढ़ भऽकऽ, गड़ल चारु ओरसँ ।। ठरल पानि छुअल नइँ जाए,…
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युवा कवि राम यादवक दुटा मैथिली कविता
■ जीत लिखू कि हार? हम मधेशके जीत लिखू कि हार? मोट दुःखके गीत लिखू कि पियार? बिना सुगन्ध फूलके…
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तारानन्द दासक तीनटा मैथिली कविता
प्रस्तुत अछि साहित्यकार ओ कवि श्री तारानन्द दासक तीनटा कविता। सूक्ति (कविता) – श्री तारानन्द दास लीखि रहल छी जे…
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मकर संक्रान्ति : चन्द्रशेखर राय ‘चमन’
मकर संक्रान्तिके मंगल दिन पर, अम्बरमे उदित अरुण प्रभात। घर-घर हलचल पावनि उत्सव, मंगलमय मंगलक छल प्रात ॥१ नर-नारी ठण्डीसँ…
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चन्द्रशेखर लाल शेखरक पाँचटा मैथिली कविता (भाग २)
१. खाली झोरी हर द्वार नेने खाली झोरी हम टहल लगेलौँ संसारक जा तेहन दर्द ने ओझरेलौँ अन्दाज रहल ने…
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दानक टंटा (मैथिली कविता) : मुन्नी मधु
जँ आधुनिक बनबाक लौल अछिए तऽ कने एक डेग आर आगाँ बढू दहेजक विरोधे धरि नहि ठमकू।। बेटी सन्तानकेँ सेहो…
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मैथिली कविता ‘प्रेम’ : अयोध्यानाथ चौधरी
प्रेम छै रवि-रश्मिक पहिल उपहार पाँज भरि समेटि ली मीत।। प्रेम छै सिहकैत सुरभित समीर पोर-पोरमे भरि ली मीत।। प्रेम…
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निज कर्तव्यक भान करह | मैथिली कविता | मालती मिश्रा
छल छद्म भरल मनुखक जिनगी चेतना विहीन सेहो भऽ जाइछ मुदा जागह आब… सुतारि लैह साकांक्ष भऽ अप्पन जिनगीके।। नवयुगक…
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‘मंच पर’ आ ‘सहरजमीन पर’ (कविता) : नारायण झा
‘मंच पर’ लेल मास दू मास पहिनहिसँ बाजए लगैत अछि डिगडिगिया होअए लगैछ सोशल साइट पर घमर्थन किनको लेल समर्थन…
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हमर गुड़िया रानी : प्रयास प्रेमी मैथिल
अङ्गनाके हमर गुड़िया रानी आइ भऽ रहल विदाइ छै मायके करेजा फाटल नयना नीर बहाइ छै ।। रहैत ओकरा…
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मैथिली कविता ‘सत्ता आ साँप’ : डा. राजेन्द्र विमल
ई सत्ता हइ गहुमन, जे व्यवस्था परिवर्तनक नामपर बेर-बेर पोआ फेरैछ, मुदा, डर लगाबहिवला एकर थुथ्ना भितरमे विषदन्त यथावते नुकाइल…
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मैथिली कविता ‘चम्चागिरी’ : राम अधिन सम्भव
चम्चागिरी (कविता) : राम अधिन सम्भ दुनियाँमे अनेक तरहक काज सब छैक जाहिमे एकटा चम्चागिरी सेहो अछि चम्चागिरी कएनाइ ओतेक…
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लवहरि कुशहरि (कविता) डा. महेन्द्र नारायण राम
मिथिला लोक मानस अपन माटि-पानि चिन्तन-परम्परा आचार-विचार व्यवहार केर भूमि विदेह भूमि विदेह जनक विदेह गरिमा वैदेही दर्शनक पूर्ण प्रतिनिधित्व…
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