
मैथिली कविता धीरेन्द्र प्रेमर्षिद्वारा रचित प्रस्तुत अछि…
बस आश्वासनके रसधार
बड़ बैमनमा ई कुसियार
उपजा छियै कि छै ई डण्डा
आ कि रजनेतिक हथकण्डा
गर-माला बनि रहलै फँसरी
जानि ने केहन भेलै बितण्डा
करए डकैती खुद रखबार
बड़ बैमनमा ई कुसियार
गाछी सुतरल, आम निपत्ता
नगदी फसलक दाम निपत्ता
आखर-आखर रामायणमे
बाँकी सभ छै, राम निपत्ता
टुकुर-टुकुर ताकै सरकार
बड़ बैमनमा ई कुसियार
मूर्ख कही कि कहियै ढीठ
अछि तताड़ैत बापक पीठ
जे परसै तक्कर मुह अम्मत
बटमारक मूह करबै मीठ
धोधिएवलाक असली यार
बड़ बैमनमा ई कुसियार
गान्हीक लाठीसन ई तन्नुक
आब लगैए कान्हक बन्नुक
आरो तोड़ब बाँकीए छै जनु
भोटिया ताला मारल सन्नुक
आब ने चलतै मार-सम्हार
बड़ बैमनमा ई कुसियार
@ धीरेन्द्र प्रेमर्षि
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