
पाँचटा बाल कविता प्रस्तुत अछि…
बाल कविता १. सिखा दे हमरो भानस-भात
मम्मी सूनै एगो बात,
सिखा दे हमरो भानस-भात
सिखा दे हमरो चाउर फटकब
दालि सूप मे हमहूं झटकब
कहै ना कोना पसेबै भात
सिखा दे हमरो भानस-भात
कटबै कोना बाज तरकारी
कोना कऽ बेलब गोल सोहारी
तड़लो ने जाए तिलकोरक पात
सिखा दे हमरो भानस-भात
तू जँ मम्मी देबें ध्यान
हमहूँ बना लेबै पकवान
नइँ करै तों एना लाथ
सिखा दे हमरो भानस-भात,
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बाल कविता २. बौआ हमर कमाल गे
झूल गे, माल गे
बौआ हमर कमाल गे,
अनमन चन्ना-रूप एकर छै
सुरूज सन छै भाल गे
झूल….. बौआ…….
ठोर पर एकरा खेलै मुस्की
गुजगुज दुनू गाल गे
झूल….. बौआ…….
बौआ हमर किसन-कन्हैया
थैया दिग् दिग् चाल गे
झूल….. बौआ…….
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बाल कविता ३.
नट्टिन मच्छर बड़ बेदर्दी
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नट्टिन मच्छर बड़ बेदर्दी
नइँ बूझैए गरमी-सरदी,
गाबि गीत ओ घर मे आबए
काटि कऽ बौआ के लोहछाबए
करैए सदिखन अपने मरजी
नट्टिन मच्छर बड़ बेदर्दी
साँचे ई तिलबिखनी मच्छर
राति करैए खूब उछन्नर
काज करैए सभटा फरजी
नट्टिन मच्छर बड़ बेदर्दी
बदलि ले मच्छर अप्पन चालि
नइँ तऽ लेसबौ हम कोवाइल
फेर ने सुनबौ तोहर अरजी
नट्टिन मच्छर बड़ बेदर्दी
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बाल कविता ४. मोबाइल चाही स्क्रीन टच
पप्पा यौ कीनि दिअ फोन
जाहि मे बाजए रिंगटोन
करब अहाँ के नम्बर डाइल
फोन ने चाही, चाही मोबाइल
काॅलक संगे देखब टच
मोबाइल चाही स्क्रीन टच
स्क्रीन टच के करू कात
स्मार्टफोनक अलग छै बात
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बाल कविता ५. छपर-छपर, छपर-छपर
बरखाक बून खसल
टपर-टपर, टपर-टपर
अंगनामे बौआ करए
छपर-छपर, छपर-छपर
गरमी तऽ डऽरे पड़ेलै
सभक मोन हुलसेलै
घोघमेसँ सुरूज देखए
बकर-बकर, बकर-बकर
अंगनामे बौआ करए….
गाछ-पात सभ हरियेलै
पोखरि-नदी भरि गेलै
ढाबुस बेंग बाजए
टरर-टरर, टरर-टरर
अंगनामे बौआ……
