मानियाक मैथिली रैप ओ गीत-संगीत : मैथिली गीत-संगीतमे नव आयामक आरम्भ
मैथिली साङ्गीतिक क्षेत्रमे ई युवा रैपर गायक ओ श्रष्टा खास कऽ युवासभक मन-मस्तिष्कक सांगीतिक आवाज भऽ रहल छथि।

रैप गीत-संगीतक आरम्भ किछु सय वर्ष पहिने पश्चिम अफ्रीकामे भेल मानल जाइ छै। किछु इतिहासकारसभक अनुसार, ओहि समयमे शोषित-पीड़ित कारी अफ्रीकी-अमेरिकन लोकसब ढोलकक साधारण ताल पर गाम-गाम जाकऽ अपना उपर भेल निर्मम शोषण, उत्पिडन, अन्याय, अत्याचार, बलात्कार, हत्या एवं जघन्य अपराधीक घटनासभकेँ लयात्मक कथाक मादे सुनबैत छलथि। अइ तरहेँ, रैप गीतक आधारभूमि ओहि ठामसँ आरम्भ भेल मानल जाइ छै।
मैथिली गीत-सङ्गीतक क्षेत्र बड़ विशाल एवं बहुआयामी छै। वैविध्यसँ भरल अइ विशाल गीत-संगीतक आकाशमे किछु नव प्रतिभावान रैपर ओ संगीतकर्मीसभ मैथिली रैप गीत-सङ्गीतक क्षितिज क्षेत्रमे नव प्रयोगक संगहि नव आयामक आधार भुमी तयार करैत एकरा विकसित सेहो करैत देखल जा रहल छथि। ओहि किछु नव प्रतिभावान रैपर ओ संगीतकर्मीसभमेसँ मानिया सेहो एकटा छथि। जिनकर रैप-गीत-गायन विशुद्ध रूपेँ पृथक ओ मिथिलाक माटि-पानि, लोकभाषा-साहित्य-संस्कृती ओ युवावर्गसभक दिनचर्यासँ जुटल-भिजल आबि रहल छनि।
मुदा, रैप गीत-संगीतक उद्भव सम्बन्धमे पूर्वीय ओ भारतीय कथा-इतिहास भिन्न अछि। रैप गीतकेँ कवित्त सेहो कहल जाइ छै। कवित्त, अर्थात् जखन केओ कोनो घटना, कथा वा वा कोनो प्रसंगके कविताक ताल, भाव, ओ लयक मादे प्रस्तुत करैछ, तऽ ओहिकेँ कवित्त कहल जाइ छै। अइ कथायुक्त कविताकेँ नृत्य सहितक प्रस्तुतीकेँ ‘कत्थक नृत्य’ कहल जाइ छै।
इएह लय-तालवद्ध कथा-कवित्त पन्द्रहम-सोलहम शताब्दीक उत्तर भारतमे भक्ति आन्दोलनक प्रसारमे “कत्थक नृत्य” नामसँ विशिष्ट विधाक स्वरूप ग्रहन करैत विकसित भेल अछि। कत्थक नृत्यमे प्रमुखत: कृष्णक बाल्यावस्थाक वात्सल्य रसयुक्त कथा एवं प्रसंग तथा राधा-कृष्णक किंवदन्तीसभकेँ समेटल जाइत छल।
तेसर-चारिम शतीक साहित्यिक सन्दर्भसँ प्राचीनकालक कथाकाससँ नृत्यक किछु तत्वक संग महाकाव्य ओ पौराणिक कथामे सँ किछु प्रसंग सुनाओल जाइत छल।
जेकरा भारतीय शास्त्रीय नृत्यमे सँ एक मानल जाइ छै। कहल जाइ छै जे, अइ नृत्य एवं हाव-भावक मादे नर्तक-नर्तकीक कथाकासक बारेमे मिथिलाक कमलेश्वरक पुस्तकालयमे एहन बहुत रास साहित्यिक सन्दर्भ भेटल छल।
मिथिलामे सेहो ताल-भाव सहित लयबद्ध कथा कहबाक परम्परा दश-बीस वर्ष पहिने धरि देखल जाइत छल। जेकरा गबैया कहल जाइ छै। सम्भवतः ओ गबैया – गायन परम्परा पूर्ण रूपेँ विलुप्त भऽ गेल बुझाइछ। जइमे कथावाचक मात्र एकटा ढोलकक ताल पर लय-भावयुक्त कथारूपी कवित्त प्रस्तुत करैत छलथि।
अइ कथायुक्त कवित्त परम्पराकेँ आधुनिक लय, शब्द, संगीतक मादे मैथिली गीत-संगीतक क्षितिजक्षेत्रमे नव आयामक विस्तार कऽ रहल छथि किछु मैथिली रैपर ओ संगीतकर्मीसब।
जेना – अभिकाश झा, अपूर्व, मानिया, ए.के. राइन, शब्दजाल (शैलेश निरौला), श्लोका, ओ.डी.(OD), आदित्य बलराम, आसिफ अन्शारी, अब्दुल भाई, सद्दाम साइको, एस. के. राज, नान्टिस (9Tis), PRP Bro, Seven, दिपेन्द्र मंडल, राजेश कुमार, मि. मंडल, एके रोशन, तूफान राजा, RK Kumar, अजय, प्रवेश दिवाना, MXA, अभिशेष झा, राकेश कबिरपंथी, राजीव रंजन, केशव ठाकुर, सदा सरोज, संजय भुजेल, The RN, A-MiT, Anand 07, Birju Rapper, राहुल रैपर, सागर मिश्र, DK Sagar, BP Style, रोय रजनीश, इन्दल मलिक, RK Rajan, अजय मिश्र, डिके राजा, ओम प्रकाश / कामेश्वर परदेशी, लिल उत्कश आदि।
मुदा बहुत मैथिली रैपर गायकसभ एकटा-दूटा गीतक बाद हेरा जाइत छथि। कोनो संगीतक विधामे यदि गीत ओ शब्द संयोजन समाज एवं संस्कृतिक अन्तरात्माकेँ नइँ पकैड़ सकैछ, तऽ ओ श्रष्टा ओ सृजन बिसरा देल जाइ छै। गीतमे सांस्कृतिक गुणात्मकता, श्रोता-दर्शक सभक दैनिकी ओ जीवनमे भोगल जा रहल समस्या, इच्छा,
आकांक्षा, दुःख, दर्द एवं प्रेम-विरह समेटल गीत समाजमे अपन स्थायित्व रखैछ। कतेको गायक एवं म्युजिसियन सभक बहुत रास गीत मध्ये मात्र एक-दुईटा गीत प्रसिद्ध होइछ आ बाँकी गीतसभ वर्तमाने पूस्ताक लेल अस्तित्वहीन जकाँ भऽ जाइ छै।
यद्यपि, मैथिली रैपर ओ म्युजिसियन मानिया एहन श्रष्टा छथि जेकर सब गीत प्रायः लोकप्रिय भऽ रहल छनि। वर्तमानमे मानिया मैथिली रैप गीत-संगीतक लेल आधार स्तम्भ स्वरूपेँ ठाढ़ भऽ रहल छथि। कम गीत सृजन कऽ रहल छथि मुदा सृजनमे निरन्तरता देने छथि, जइ कारण युवा-युवतीसब बीच लोकप्रिय भऽ रहल छथि।
विशेषतः ठेठ मैथिलीमे हिनकर गीतसब अपन मातृभाषा प्रति उदासीन एवं सुनियोजित रूपेँ पथभ्रष्ट बनाओल गेल युवा-युवतीसबकेँ अपन मातृभूमि मिथिला – मधेश ओ मातृभाषा मैथिलीक जड़ि दिस खीच रहल छै । कहब अतिसयोक्ति नइँ होएत।
ध्वनीशास्त्री डा. रामावतार यादव कहने छथि जे – “मैथिली भाषा वैविध्यसँ भरल भाषा अछि। दुनियाँक आरो भाषासबमे सेहो वैविध्यता छै, मुदा मैथिलीक वैविध्य बहुत बेसी फराक एवं जटिल अछि।”
ओही मैथिली भाषाक बहुआयामी वैविध्य बारेमे सोचबाक – बुझबाक लेल बाध्य एवं प्रेरित कऽ रहल छनि हिनकर गीत-संगीत।
मानियाक गाम
मानिया जीक जन्मस्थानक बारेमे हिनकर गीतहिसँ ज्ञात होइछ जे ई महोत्तरी, भ्रमरपुरा गाम निवासी छथि। जइठामक लोक एवं युवा-युवतीसभ सहयोगी, सहृदयी छथि, पराक्रमी छथि।
एखन धरि मात्र दशटा गीत हिनकर युट्यूब चैनल ‘द मानिया’ (The Maniya) पर पोस्ट भेल छनि, आ दशो गीत वेश चर्चित एवं लोकप्रिय एखनो भऽ रहल छै।
ई अपन मैथिली रैप गीत-संगीतक माध्यमसँ मैथिली भाषा गीत-संगीतकेँ उपर उठाबऽ चाहै छथि से भाव-कर्म देखल जाइ छै। मैथिली साङ्गीतिक क्षेत्रमे ई युवा रैपर गायक ओ श्रष्टा खास कऽ युवासभक मन-मस्तिष्कक सांगीतिक आवाज भऽ रहल छथि।
खास कऽ युवासभ हिनकर गायन कलाकेँ स्तरिय कहि स्वीकार कऽ रहल छथि, मुदा, ईहो बात छै जे किछु गीतमे मात्र एक-दूटा शब्दक कारणेँ सार्वजनिक स्थल पर सुनबा सँ बाधित करैछ। ओना बहुत रास नेपाली, हिन्दी ओ भोजपुरी गीतसभमे बहुत भद्दा एवं आपत्तिजनकशब्दसब प्रयोग कएल जा रहल छै एखनो, जेकरा किछु युवासब खास कऽ विवाहक अवसर पर ओहन गीत बजैबे करै छै आ ओहि पर नचबे करै छै।
मानियाक मैथिली रैप गीत एवं गायनमे शुच्चा आकर्षण रहैत छै। बेसी लाइ-लपेट नइँ। अपन माटि-पानि, भाषा, समाज, राज्यमे जे व्याप्त अवस्था छै, ओकरा ठेठ मैथिली शब्दजालमे व्यक्त करैत छथि। जइ शब्दजालमे अइठामक युवासभक फ्रस्ट्रेशन, असफलता, प्रेम-विछोड़, स्मृति, पिड़ा, तृष्णा, लगायत बहुत रास अनुभव ओ चाहना, इच्छा, आकांक्षासब समाहित रहैछ।
किछु श्रोता एवं युवाकेँ बेसी मधुरता हिनकर कवित्तमे नइँ भेटैछ, मुदा हिनकर शब्दचयन आ शब्दोच्चारणमे जे स्पष्टता, मौलिकता, तीब्रता, लयक सक्रियता, सीमाबद्धता रहैछ, ओ मन-मस्तिष्कमे घर बना लइत छै।
“एक मुट्ठी चाउर दे, घुर्मी नचादे।। आ, “एहने छी हम सब।।” गीत एकर उदाहरण मात्र अछि।
मानियाक गीतसभ
२०२१ सालसँ अपन युटयुब चैनल ‘द मानिया’ [ The Maniya ] पर सक्रिय रहल मानिया आ ए.के. राइन सम्भवतः दूनूगोटे घनिष्ठ मित्र छथि।
ई दूनू प्रतिभावान युवा नेपालमे मैथोप [ MAITHOP ] अर्थात, मैथिली ‘हिप-हप’क आरम्भ ‘स्वागत हउ तोरा मैथोपमे’ गीतसँ कएने छथि। तेकर बाद ‘अहाँ मानू आ नइँ मानू सब सच्चाई छै’, ‘निकम्मा’, ‘शिव जी’, ‘एक मुट्ठी चाऊर दे घूर्मी नचादे’, ‘सून नेता’, ‘साथ चाही’, ‘एहने छी हमसब’, ‘भगतइ’, ‘चलि गेले’ गीतसब आएल अछि।
सभटा गीत एक-दोसरसँ नितान्त फरक शब्द ओ शैलीमे छै। अइमे सँ बेसी गीतमे युवा सभक अध्ययन, जागीर, मजदूरी, व्यापार-व्यवसाय, एवं प्रेम-सम्बन्धमे भेल असफलता, मानसिक द्वंद्व, फ्रस्ट्रेशन, समाजमे पसरल विभिन्न तरहक अन्धविश्वास ओ बाधा-बन्देज सभक कारण युवा-युवती सभक औलाइत निराशायुक्त जीवन, जेहन विचार-भावादि सभ समेटल गेल अछि।
‘साथ चाही’ गीतमे एकटा आधुनिक युवाकेँ अपन प्रेमिका-पत्नीसँ आधुनिके तरहक प्रेम-भाव, बात-विचार-व्यवहारक अपेक्षा जेहन विचार-भाव समेटल गेल छै।
‘चलि गेले’ बोलक गीतमे एकटा युवा-युवतीक बीच प्रेम-सम्बन्धमे विभिन्न कारण एवं बाध्यतासँ भेल विछोड़ एवं वेदना सभक विचार-भाव, गायन-भाव मार्मिक रूपेँ प्रस्फुटन भेल छै।
भगतई’ बोलक गीत तऽ बहुते अनपेक्षित रूपेँ आएल। मिथिलाक भगतइ परम्परा एवं गायनकेँ हिप-हप संगीतक ताल पर रैप गीतक सृजन-कम्पोजिशन कएल जा सकैछ, तथा युवा-युवतीसभक समक्ष लाओल जा सकैछ बात सोंचब, एक तरहक धृष्टता एखनो बुझाइछ। मुदा, ओ धृष्टता मानिया जी कएलथि, संगहि युवा-युवतीसभ सेहो अनपेक्षिते रूपेँ अइ गीतकेँ बड्ड लोकप्रिय बला देलथि। मुदा, सम्भवतः अइ गीतक साकारात्मक परिणाम मानिया जी केऽ लेल अपेक्षिते छल।
अइ गीतक भिडियो सेहो फरक ढंगकेऽ बनाओल गेल छै। भिडियोक कन्सेप्ट एवं निर्देशन अयिनम [Ayinam] द्वारा बड़ नीक तरहेँ निर्देशन-सृजन कएल गेल अछि, जे दर्शककेँ अलगे तरहसँ रोमाञ्चित करैत छै। मानिया जीक भगताबला रूप-स्वरूप, परिधान, कवित्त-गायन एवं सुनीता पासवान जी द्वारा भुत लागल एवं भुत खेलाइत कालक अभिनय दर्शकसभक मन-मस्तिष्कमे ‘गूजबम्पस’ बला अनुभव सृजन करैत छनि, वा एकरा एना कही जे देह भुल्कबैत रोइँया ठाढ़ कऽ दैत छनि।
गीतक अन्तिम दृश्य – राति भयावह रूपेँ सस्पेन्स, डर, त्रासक अवस्था सृजन करैत समाप्त होइछ। सम्भवतः अइ गीतक दोसर भाग आश्विन / कार्तिक वा दशमीक समयमे रिलीज होएत।
निश्चिते अइ गीतक दोसर भागक प्रतिक्षा बहुत दर्शकसभ कऽ रहल छथि। अइ गीतमे मिथिलाक धामी-ओझा द्वारा भुत-प्रेतसँ छुटकारा कराओल जायबला विषय-वस्तुकेँ बड़ नीकसँ किछु आधुनिकताक सङ्ग चित्राङकन एवं छायाङ्कन कएल गेल अछि। जइमे पुरा टिमक विशेष मेहनति देखल जा सकैछ। जे गीत मिथिला – मैथिलीक लेल एकटा विशेष उपाहार जकाँ भेल अछि।
एके राइन
नेपालमे मैथिली रैप ओ मानिया जीक रैप एवं गीत-संगीतक बात होइ तऽ, एके राइन जीक रैप गीत-संगीत सम्बन्धमे सेहो किछु बात अवश्य अएबे करत। कारण, ई दूनू युवा रैपर एकसाथ सम्भवतः पहिल बेर मिथिलाक युवा-युवतीसभक दिनचर्याकेँ मैथिली भाषामे मैथोप [MAITHOP] नाम दऽ उठान कएलथि।
एके राइन जीके रैप गीत सेहो युवावर्गमे लोकप्रिय छै। ‘घमण्ड’, ‘इमान से’, ‘पैसा’ आदि लोकप्रिय गीतसब तऽ छैहे, ‘एन्टि लभ’ तऽ एखनो युवासभक माझ लोकप्रिय भऽ रहल छै। गीतमे हिनकर शब्दचयन आ शब्दोच्चारणमे स्पष्टता, मौलिकता, तीब्रता, लयक सक्रियता, सीमाबद्धता, तथा तुकबन्दी गीतकेँ विशिष्ट लयात्मकता प्रदान करैछ। जे गीतकेँ बेर-बेर सुनबा लेल बाध्य करैछ।
हँ, किछु शब्दसभक कारण वा मात्रे दू-चारिटा शब्दक कारण बहुत मेहनतिसँ सृजित गीत, जइमे समाज-राज्यक अधिकांश युवासभक पिड़ा, विभिन्न कारणसभसँ प्रेम, अध्ययन, उल्लासपूर्ण जीवनमे भेट रहल असफलता, समाजक साकारात्मक – नाकारात्मक बाधा-व्यवधानसभसँ सृजित तकलीफसब समेटल गेल एकटा गीतक लोकप्रियताकेँ संकुचित कऽ दैत छै तऽ, मैथिली भाषा ओ श्रोता-दर्शकसभक लेल मनके क्षुब्ध करऽ बला बात भऽ जाइ छै।
श्रष्टा ओ संगीतकर्मीसब अइ बात पर ध्यान दओ, से अपेक्षा राखब अनावश्यक ओ गलत तऽ नहिए होएत।
मानिया जी जइ तरहक गीत-संगीत सृजन कऽ रहल छथि, ओहिसभमे हिनकर अप्पन निजत्व एवं दूरदर्शिता तऽ रहिते जनि, अपितु युवासभक भोगल जीवन-चीत्रण सेहो भेटैछ। जे की अइ मिथिलाक गीत-संगीत भुगोल-भुमी लेल महत्वपूर्ण ओ अति आवश्यक सेहोअछि।
संगहि आब इहो समय आबि गेल छै, जे मैथिली भाषाक गीत-संगीत मिथिलाक क्षितिजसँ बाहर जाऽकऽ विश्वस्तरीय बनए। तेँ अपन गीत-संगीत सृजन एवं लेखनमे दोसरो-तेसरो कथाकार, उपन्यासकार, इतिहासकार सभकेँ गीतकारक रूपमे सामिल कऽ विश्वस्तरीय मैथिली गीत-संगीतक सृजन कए मैथिली गीत-संगीतक भुमि एवं आकाशकेँ आओर विस्तार करबाक आवश्यकता अनुभव अवश्ये मानिया ओ ए.के. राइन जेहन प्रतिभावान म्युजीसीयनसब करैत हेताह।
किछु अनुभवी एवं एकेडमिक स्तरक प्राज्ञ गीतकार एवं कलाकार सभक संग निरन्तर काज कएलासँ हुनकरसभक अनुभव ओ दृष्टिकोणसब उपयोग तऽ होयबे करै छै, जे अति आवश्यक सेहो छै, संगहि ओ प्राज्ञ एवं विद्वान लोकनिसभक सृजन सेहो समाज-राज्यमे कालजयी वटवृक्ष जकाँ मार्गदर्शन करैत रहैछ।
ओना, मैथिली रैप-गीत-संगीतक क्षेत्रमे जे-जतेक काज मिथिलाक अइ लालसभ द्वारा भेल छनि, ओ सभटा पूर्ण रूपेँ अनपेक्षित छल, संगहि गौरवान्वित करएबलाअछि। खास कऽ युवा-युवतीसभक लेल, स्कूल, कौलेज, युनिवर्सिटी स्तरक विद्यार्थीसभके लेल ठेठ मैथिली भाषामे सेहो सुनबा योग्य, गुनगुनएबा योग्य मैथिली रैप गीत-संगीतक सृजन-कम्पोजिशन करबाक अति आवश्यक बुझाइछ।
कारण, कोनो समाज – राज्यक विद्यार्थीए ओहि राज्यक भाषा, साहित्य, गीत-संगीत, संस्कृति, ओ सभ्यता आदिकेँ अति महत्वपूर्ण संवाहक होइत छथि। तेँ, छात्र-छात्रा सभक दिनचर्या ओ विचार–भाव–संघर्ष–कर्म–व्यवहार आदिकेँ गीत-संगीतमे स्थान देनाइ अति आवश्यक बुझाइछ।
मानिया ओ एके राइन जेहन युवा रैपर–संगीतकर्मीसभ जे गीत-संगीतक क्षेत्रमे स्थापित भऽ रहल छथि, तेँ हिनका सभसँ बहुत अपेक्षा बढ़ि रहल अछि कहब अतिसयोक्ति नहिए होएत।