जनकपुरधाम।
दीर्घ धार्मिक पदयात्राक रुपमे जानल जाएबला मिथिला माध्यमिकी परिक्रमा आइ वेरसपति दिन चारिम दिन महोत्तरीके मटिहानी पहुँचल। बुधदिन भारतक कलनासँ फुलहर आ गिरिजस्थान पहुँचल आ राति विश्राम केनिहार परिक्रमाक यात्री बृहस्पति दिन भोर मटिहानी लेल प्रस्थान भेल।
मानल जाइत अछि जे भगवान राम आ सीताके पहिल बेर गिरिजस्थानमे त्रेतायुगमे भेट भेल छल | एकटा धार्मिक मान्यता अछि जे आइ परिक्रमाक परिक्रमा करयवला मटिहानी त्रेतायुगमे सीताक मटकोर भेल छल।
तैं एकरा पन्द्रह दिनक चक्रक चारिम पड़ाव कहल जाइत अछि । मटिहानी नगरपालिका आइ परिक्रमा यात्रुसबके स्वागतके लेल सार्वजनिक विदा देल मेयर हरि मण्डल जानकारी देलनि ।
धनुषाक कचुरी मठसँ मिथिला बिहारीजीके डोला आ जनकपुरक रत्नसागर स्थित मठसँ रामजानकीके डोला विधिवत रूपे सुरूवात कैयलाक बाद सोमदिनसँ 15 दिनक मिथिला माध्यमिकी परिक्रमा शुरू कायल गेल।
मिथिला माध्यमिकी परिक्रमा ईतिहास
विशेषज्ञ सबके अनुसार साधुसांत सबके ल’ क’ मध्यामिकी परिक्रम के शुरुआत सन 1793 के आसपासमे भेल छल |
ओहि समयमे जंगल सब बहुत घनगर छल आ साधुसंत-भिक्षु लोकनि जंगलमे आश्रम राखि रहैत छलाह | मानल जाइत अछि जे बाघ आ भालू सन जंगली जानवर साधुसंत पर आक्रमण कए पीड़ा दैत छल ताहि लेल ओ एहन जानवरसँ अपना कए बचाबय लेल परिक्रमा शुरू केलथि ।
पांच दिवसीय मिथिला मध्यमिक परिक्रमा सन 1793 मे शुरू भेल छल। तखन फेर 1831 मे आ पुनः 1870 मे आ 1895 मे कमलशरण दासकेँ मठाधीशक अधिकार भेटलाक बाद कहल जाइत अछि जे ओ 1895 सँ 15 दिनक मिथिला अन्तगृह परिक्रमा यात्रा शुरू कएने छलाह | विशेषज्ञके कहनाय छनि जे ई प्रक्रिया आइ धरि जारी अछि।
जनकपुरधामक 52 कुट्टीक 52 संत
मैथिली साहित्यकार आ वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र भगत नागवंसी कहलनि जे, ओहि समयमे जनकपुरधामक 52 कुट्टीक 52 संत आ 3 सहयोगी लगाईत 55 संतसँ शुरू कएने छलाह आ आई हजारौंके संख्यामे सहभागी सब सहभागी भ’ रहल तथा, इएह कारण अछि जे मिथिलाक राजधानी जनकपुरधाम ५२ कुट्टी ७२ कुण्डके नामसँ सेहो जानल जाइत अछि |
परिक्रमामे सहभागी
प्रत्येक बर्ष बृहत्तर जनकपुर क्षेत्र विकास परिषद् परिक्रमामे भाग लेनिहार सभक लेल १५ टा विश्राम स्थल पर बिजली, पेयजल आदि के व्यवस्था करैत अछि ।
तीर्थयात्री लोकनि रातिमे गामसँ दूर बगैचा, गाछी वा पोखरिके मोहार पर आराम करैत छथि | स्थानीय लोक सब प्रतिभागी सबके लेल भोजन आ लकड़ीके व्यवस्था सेहो करैत छथि।
परिक्रमा दल काईल्ह जलेश्वर, मड़ई, ध्रुवकुंड, कञ्चनवन, पर्वता, सतोषैर, औरही, बिशौल होइत, पुनः कल्ना पहुंचति १५म दिन शुक्रदिन जनकपुर पहुँचत । एकर बाद जनकपुरमे अंतगृह परिक्रमा करैत परिक्रमा समाप्त होएत। तेकर बाद दोसर दिन जनकपुरमे होली खेलबाक परम्परा सेहो अछि ।