आइसँ नयाँ साल २०८२ प्रारम्भ

काठमाण्डू, १ वैशाख: आइ विक्रम संवत् २०८२ सालक वैशाख १ गते, नयाँ सालक पहिल दिन, देशभरि एक-दोसरके शुभकामनाक आदान–प्रदान क हर्षोल्लाससँ नयाँ वर्ष मनाएल जा रहल अछि।
आजुक दिन सूर्य मीन राशिक भोग समाप्त क मेष राशिसँ भोग प्रारम्भ करैत अछि, अइ कारणें अइ दिनकेँ वैशाख संक्रान्ति, अर्थात् मेष संक्रान्ति तथा वर्षक पहिल दिन मानल जाइत छै। नेपाल पञ्चाङ्ग निर्णायक विकाश समितिक पूर्व अध्यक्ष माधव भट्टराईक अनुसार, सूर्यक गतिसँ चलैबला संवत् होएबासँ विक्रम संवत्केँ शाश्वत मानल जाइत अछि।
ओ कहलनि, “विक्रम संवत् ६० संवतसभमे एक अछि, जे आदित्य सूर्यसँ सम्बन्धित अछि, अइ कारणें एकरा विक्रमादित्य संवत् कहल जाइत अछि। एकरा सूर्यक गति आ स्थितिक अनुसार चलै छै। शक संवत्के विशेषता आ ईस्वी संवत्के व्यवहारिक गुण सेहो एकर भीतर समाहित अछि।”
विद्वानसभक अनुसार सूर्य जखन मेष राशिमे प्रवेश करैत अछि आ मीन राशि छोड़ैत अछि, तखन पुरान वर्ष समाप्त भ नववर्ष प्रारम्भ होइत अछि, अइ आधारपर एकरा वैज्ञानिक मानल जाइत अछि। विक्रम संवत्मे सौरमान आ चान्द्रमानक समन्वय सेहो कएल गेल अछि। कलियुग आरम्भ भेलाक तीन हजार ४४ वर्ष पश्चात् विक्रम संवत् प्रारम्भ भेल छल।
आजुक दिन लोक अपन विगत वर्षक काजसभक सफलता आ असफलताके मूल्याङ्कन करैत छथि, आ असफलताकेँ दोहराएसँ बचैत सफलताक योजना बना क नव संकल्प लैत छथि। भोरसँ स्नान करब, घर–अङ्गना साफ-सुथर करब, मठ–मन्दिर जाक पूजा–अर्चना आ दर्शन करब, स्वादिष्ट भोजन करब, संगी–साथी आ इष्ट–मित्रसँ भेट करब आ शुभकामनाक आदान–प्रदान करब अइ दिनक परम्परा होइत अछि।
विश्वक जे–कोन कोनामे बसनिहार नेपालीसभ सेहो वैशाख १ गतेकेँ नववर्ष रूपेँ उल्लासपूर्वक मनवैत छथि।
चान्द्रमान अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदासँ नव संवत्सर प्रारम्भ होइत अछि, जे चैत १७ गतेसँ आरम्भ भ चुकल अछि। नेपाल पञ्चाङ्ग निर्णायक विकाश समितिक अध्यक्ष प्रा. श्रीकृष्ण अधिकारीक अनुसार चैत १७ गतेसँ “सिद्धार्थी” नामक संवत्सर शुरू भेल अछि।
वैदिक सनातन हिन्दू धर्म अनुसार ६० संवत्सर होइत अछि, जे आदि–अनादिकालसँ घुमैत आबैत अछि। अइ ६० संवत्सरमेसँ पहिलक नाम “प्रभव” अछि। वर्तमानमे चलि रहल “सिद्धार्थी” ५३म् संवत्सर छी।
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(रासस)