सङ्गीतकार प्रवेशक परचम फहराएले छै, गायिका नेहा प्रियदर्शनीकेँ अपार जनसिनेह तथा लोकप्रयता भेटले छै आ गीतकार विद्यानन्द बेदर्दीक सक्रियता एवं व्यापकता जगजाहिरे छै। तैपर चम्पारण टॉकीजक समधानल प्लेटफॉर्मपर अवतरित भेल अछि निनिया रानी।
प्रवेश आ नेहाक काजकेँ लऽकऽ विश्वस्ते रही। जिज्ञासा बेसी छल विद्याक शब्दसभ कोन तरहेँ आकार प्राप्त कएने अछि, तकरा लऽकऽ! सङहि अँखिगर आ मेहनती निर्देशक नितिन नीरा चन्द्र अइ गीतपर अपन ब्राण्ड आ विशेषज्ञताकेँ कोन तरहेँ प्रयोग कएने छथि, सेहो उत्सुकता बनल छल!
….. ई गीत काल्हिए सार्वजनिक भऽ गेल रहए, मुदा निचैनसँ सुनबाक छल। काल्हुक किछु व्यस्त समयबीच एकरा सुनबाक ओहन समय आ मनस्थिति नइ भेल, जेहन चाहैत रही। आजुक भोर अही गीतसँ प्रारम्भ कएलहुँ। सुनलाक बाद मोन भेल जे किछु लिखी।
प्रवेशक सङ्गीत/धुनकारी अइ गीतमे एकबेर फेर किछु विशिष्टताक सङ्ग आ जमीनसँ जुड़िकऽ तरङ्गित भेल अछि। नेहाक गायकीमे प्राकृत गहिराइ आ गमक पसरल अछि। आँखि मुनिकऽ सुनलापर ई आनन्दक प्रवाहमे प्रवाहित करैत चलि जाइत अछि। पुनः बहुत-बहुत बधाइ, शुभकामना आ शुभाशीष भाइ प्रवेश आ बेटी नेहाकेँ।
विद्या! चारि-पाँच वर्ष पहिने जखन तोँ अपन गीत वा गजल सङ्ग्रह बाहर करबाक बात सुनौलह तँ हम तोरा किछु कहने छलियह। हम कहने छलियह जे सङ्ग्रह बाहर करबाक लेल नइ अगुताबह। बल्कि लिखलाहा रचनासभकेँ सिरमा तर राखिकऽ बिसरि जाह आ छओ मास वा सालभरि बाद ओकरा अपनहिसँ पढ़बाक उपक्रम करह। तकरा बाद की-कोना बुझाइ छह, तदनुरूप सुधार करैत ओइ रचनाक पुनर्लेखन करह। हमर बात मानलासँ तोरा अल्पे वयसमे कृतिकार कहएबाक अवसरसँ जरूर वञ्चित होबऽ पड़लह, मुदा तकर किछु सार्थक असर अइ गीतमे मुखरित होइत हमरा बुझाइत अछि।
मैथिलीमे लोरी गीतक आधुनिक परम्परा बेसी मुखर नइ देखाइत अछि। सम्भवतः लोरी गीतक लेल मैथिलीक अपन शब्दो नइ छै। मुदा मैथिल जनजीवनमे एकर साङ्गीतिक स्वरूप जीवन्त छैक। आधुनिक गीतसभमे सेहो ‘भरि नगरीमे शोर’ (रवीन्द्रनाथ ठाकुर), हम्मर बौआ चानसन (अशोक दत्त) सुतू-सुतू बौआ (प्रकाश झा) आदि गीतसभ कालजयी भऽ गेल अछि। ओही पतियानीमे इहो ठाढ़ हुअए से हमर हार्दिक शुभेच्छा। बहुत-बहुत शुभकामना गीतकारक रूपमे प्रिय विद्याकेँ।
विना बेसी तामझामके प्रस्तुत एकर भिडियो सेहो प्रभावित करैत अछि। मुदा नितिन चन्द्रा कहैत देरी बहुत विशेष अपेक्षा भऽ जाइ छै, तइ अपेक्षाक कसौटीपर अइ गीतक भिडियो औसत देखल जाइत अछि। खास कऽ गीत शुरू होएबासँ पहिनेक प्रसङ्ग, संवाद आ शैलीमे हुनकर रचनाशीलताक कोनो असर नइ देखल जाइत अछि। एना लगैत अछि जेना एकटा सामान्य प्राविधिक व्यक्ति एकरा कार्यरूप देने हुअए। रातिक समय बच्चाक प्रसङ्गमे कनियाँसङ्गे पतिद्वारा फोनपर कएल गेल संवादमे पुरुष-स्वरक लट्ठमार अन्दाज सन्दर्भ आ सृजनासङ्गे न्याय करैतसन नइ बुझाइत अछि। हमर आग्रह जे चम्पारण टॉकीजक हरेक परियोजनाकेँ नितिनजीक सृजन-कौशलसँ लाभान्वित होएबाक अवसर भेटैक।
समग्रमे एकटा सुन्दर सृजन लेल सम्पूर्ण टीमकेँ हार्दिक बधाइ एवं सफलताक शुभकामना।