जेष्ठ नागरिक दिवस, पुस ११ क अवसरपर प्रस्तुत मैथिली लघुकथा
■ शब्दवाण
बारह दिनसँ किच्छ नइँ बाजए छथि रमानन्द बाबू । पाँचटा बेटीक वाद कहाँदन सिंहेसर बाबाक कृपासँ जनमल छल रमानन्द । से रमानन्द गुम्म अछि तहिएसँ ।
ओइ दिन गामक कहबैका ओकर बाबू गाेबिन बाबू भाेरेसँ अन्नजल ग्रहण नइँ कएने छलाह । च्यवनप्रास, शिलाजीत आ मधु मिलाक’ चाटएबला किदन किदन चूर्णसब किछुओ नइँ लेलनि आइ । नहबाबएबला आ कपडा साफ करएबला तीनू नाेकर खुसामद क’ कए थाकि गेल,मुदा ओ टस्ससँ मस्स नइँ भेलाह । ब्लड प्रेसर आ दम्माके दवाइ नइँ खेलापर लाेककेँ चिन्ता भेनाइ स्वाभाविके छलै ।
बीतल रातिमे रमानन्द देरीसँ घर आएल छल आ बाबू फटकारिक’ कहि देने छल : एत्तेक राति तक बाहर रहनाइ नीक गप नइँ छियै ने ? रमानन्द उत्तर द’ देने छल,कनेक तमसाइएक’ : तूँ अपन काजसँ मतलब राखह, बेसी राेकटाेक नइँ करह,से कहि दै छिअ ।
बस, एतबेटा गप पहाड बनि गेल । गाेबिन बाबूक कहब छल जे हमरा अपनेटा काजसँ जखन मतलब छै त’ हमरा आब काेनाे काजे नइँ रहल । एही दुआरे दवाइ ओ आइ खेनाइओ पिनाइ छाेडि देने छल ।
एक दिनक वाद ओ गम्भीर बेमार भेलाह, बेटा जबरदस्ती अस्पताल ल’ गेलनि,मुदा दू घण्टाक भीतर ओ प्राण त्यागि देलनि ।
तएँ रमानन्द किच्छ नइँ बाजैत अछि । ओकर शब्दवाण एत्तेक भयावह हएत,से कहाँ साेचने छल ओ ? (१८८ शब्द)
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राजविराज,सप्तरी
२०८० पुस १०
– कथाकार : देवेन्द्र मिश्र
( मिश्र मैथिली साहित्य क्षेत्रक चर्चित साहित्यकार रहल छथि। अनुवाद विधामे महाकवि विद्यापति पुरस्कार आ बाल कथा संग्रह ‘बगियाक गाछ’ लेल साझा बाल साहित्य पुरस्कारसँ पुरस्कृत छथि।)