हे वीर अहाँकेँ सत-सत नमन
हे वीर अहाँके सत सत नमन !!
ने आगिसँ, ने पानिसँ,
ने डरेलहुँ अहाँ शासक तानिसँ !!
चढ़ा देलियै अप्पन प्राण फाँसिक फन्दा पर,
तेँ तऽ जिबै छि आइ हमसब सान सँ !!
हे वीर अहाँकेँ सत सत नमन,
हे वीर आहाँके सत सत नमन !!
ने रागसँ, ने तापसँ
ने डरेलहुँ अहाँ शासकक धाकसँ,
ने भयसँ, ने त्राससँ
बस जिलहुँ अहि देशक समुन्नतिक आशसँ !!
हे वीर आहाँके सत सत नमन,
हे वीर आहाँके सत सत नमन !!
ने जेलसँ, ने नेलसँ
ने डरलहुँ अहाँ शासकक खेलसँ,
बस अहाँ तऽ लडै़त रहलहुँ देशक व्यवस्थासँ !!
हे वीर अहाँकेँ सत सत नमन,
हे वीर आहाँके सत सत नमन !!
साहित्यकार परिचय: दिपेश चौधरी
दिपेश चौधरी, धनुषाक विदेह नगरपालिका, दुहबी निवासी छथि। आईएससि धनुषा साइन्स क्याम्पस, जनकपुरधामसँ पुरा कएलाक बाद भैरहवामे MBBS मे अध्ययनरत छथि। लगभग चारि बर्षसँ साहित्यिक सृजन करैत आबि रहल दिपेश समसामयिक राजनीतिक घटनाक्रम पर सेहो लिख रहल छथि। उपरोक्त कविता ‘हे वीर, अहाँकेँ सत-सत नमन’, ‘सहित दुर्गानन्द झा’क संस्मरणमे लिखल गेल अछि।