
मैथिली साहित्य परिषद् राजविराजके आजिवन सदस्य पदसँ श्यामसुन्दर यादव राजिनामा देने छथि। राजिनामाके कारण प्रेस विज्ञप्तिक लिखल अछि।
प्रेस विज्ञप्ति
हमर मातृभाषा मैथिली भेलाक कारणें विद्यार्थीये जीवनकालसऽ मैथिली भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति, ऐतिहासिक, पुरातात्विक क्षेत्रप्रति रुची रहैत आएल छल । ओना २०५८ सालसऽ कान्तिपुर एफ.एम.क हेल्लो मिथिला कार्यक्रम हमरा मैथिली गतिविधिमे सक्रिय होयबाक भूख जगौलक ।
मैथिली सांस्कृतिक परिषद् खुरहुरियाक संस्थापक अध्यक्ष २०५९, सांस्कृतिक आन्दोलन, गामक लोकसंस्कृति संरक्षण, मैथिली साहित्य परिषद् राजविराजक आजिवन सदस्य २०६० साल, मैथिली पत्रकार परिषद् राजविराजक संस्थापक संयोजक २०६२, कार्य समिति सदस्य २०६४ होइत सह–सचिव, सचिव आऽ उपाध्यक्ष दू–दू कार्यकाल, कार्यकारी सम्पादक, अभिनव मैथिली द्वैमासिक पत्रिका, भाषिक जागरण अभियान २०६७÷०६८ (गामगाममे मैथिली, जनगणनामे मैथिली लिखाबू) संयोजक, राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन राजविराजक सचिव २०६८, मिथिला राज्य सङ्घर्ष समिति राजविराजक सह–संयोजक २०६९, मिथिला राज्य सङ्घर्ष समिति जनकपुरधाम २०६९ वार्ता टोली सदस्य, सखडेश्वरी छिन्नमस्ता शक्तिपीठ दर्शन पुस्तक (मैथिली) २०६६, दोसर संस्करण २०७४, मैथिली लोकोक्ति संग्रहक प्रकाशक, आधारभूत तहक पाठ्यपुस्तक लेखन(मैथिली) कार्य कएने छी ।
तहिना २०६३ सालसऽ सप्तकोशी एफ.एम. इटहरी, रेडियो छिन्नमस्ता, भोरुकवा एफ.एम. सी एफ.एम.मे चौबटिया, अपन मिथिला, बितल बात, चर्चापरिचर्चा, लोकसंस्कृति, घरआङ्गन सहित अन्य २०६३ सऽ ०७६ धरि), समाचार सम्पादक एवम् छिन्नमस्ता हालचाल २०६६ सऽ ०६९ धरि, सप्तरी जिलाक ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवम् पर्यटकीय स्थलक एक दर्जनसऽ बेसी वृत्तचित्रमे स्क्रीप्ट लेखन, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तरक पत्रपत्रिकामे अनुसन्धानमूलक लेख रचना तथा कार्यपत्र प्रकाशित, मैथिली भाषामे साक्षरता अभियान २०७१, मैथिली गीत लेखन तथा निर्माता, मिथिलाक लोकसंस्कृति, लोकगाथा संरक्षण एवम् प्रोत्साहन कार्यमे निरन्तर सक्रिय होइत आबि रहल छी ।
पत्रकारिता आऽ मैथिली भाषा, साहित्य, कला, संस्कृतीक संरक्षण सम्वद्र्धन हेतु सक्रिय रहैत आएल छी । मैथिली–मिथिला क्षेत्रमे रहल समर्पणक कारणें कतेको बेर अपमानक पीडाक अनुभूति कएने छी । किछु अग्रज लोकनिके एहि विषयमे जनतब अछिये । दू दशकसऽ बेसी समयधरि मैथिलीक कार्यकर्ता भेलाक कारणें आब त रक्तमे सेहो मैथिली प्रवाहित भऽ रहल अछि । धर्तीमे जहिया जन्म लेलौं तहियासऽ अर्थात मायक कोरसऽ लऽ कए जीवनक अन्तिम साँसधरि मैथिली रहत से कहैत गर्वक अनुभूति कऽ रहल छी ।
विगत दू दशकसऽ मैथिली साहित्य परिषदक छत्रछायामे रहि विभिन्न जिम्मेवारी वहन करैत एतऽ धरिक यात्रा तय कएलौं । आ मैथिलीक प्रशिक्षित कार्यकर्ता बनलौं । मुदा जहन परिषदक अध्यक्ष पदक जिमेवारीमे आबि बहुतरासऽ काज करबाक सपना बुनने छलौं । मैथिली साहित्य परिषद सभक साझा छियै कहिकए कतेको व्यक्तिे सङ्गे प्रतिवाद करैत छलौं । मुदा भ्रम तखन टुटल जे हम अध्यक्ष नहि बनि सकैत छी । कारण जे हमर नामक पाँछा यादव जुटल अछि । हम पाँछा घुरिकए देखलौं अध्यक्षक सूची जाहिमे यादव कतौ नहि देखाएल । स्मरण कएलौं अगिला चुनाओक बात जे प्रा.डा. रामखेलावन यादव सरकें पराजित होमय परल । तहिया हमहुँ भ्रममे छलौं । ओना हमरा सभक सङ्ग विशाल हृदय भेल दू–चाइर विद्वान लोकनि काल्हियो साथ छल आइयो साथमे हिमालय पहाड जँका ठाढ अछि । हम्मर लेल अन्तिम समययधरि अपन प्रयास जारी राखलैथ । हुनका सबकेंप्रति हार्दिक आभार सहित नमन ।
गत चुनाओमे हमरा एहिबेर अपने छोडि देल जाउ कहिकए पुनः उपाध्यक्षेमे रहलौं । एहिबेर अध्यक्षमे सर्वसम्मत हमरा चयन करबाक माहोल बनल । मुदा जेकरा मैथिलीसऽ कोनो सरोकार आऽ संलग्नता नहि भेल व्यक्तिके उमेदवार बनाओल गेल । तकर बाद सहमतीके प्रयास भेल मुदा हमरा नहि स्वीकारक बात भेल । विकल्प खोजवाक बात भेल त प्रा.डा. रामखेलावन यादवके सेहो नहि स्वीकारल जायत कहिकए किछु अग्रज लोकनि माहोल प्रदुषित करबाक काजमे सक्रिय रहल ।
मैथिली साहित्य परिषद्मे जहियाधरि करैत रहलौं तहियाधरि सबके लेल निक छलौं । मुदा नेतृत्वक बात आएल त सम्मानित साहित्यिक संस्थामे निशेध करबाक राजनीति सक्रिय भेल । हमर आस्थाक प्रतिकक रुपमे रहल किछु आदरणीय व्यक्तित्वद्वारा पर्दा पाँछासऽ कएल भूमिकाक विषयमे हुनका सभक अपने आत्मा जानौक । परिषद्मे योगदानक नहि भेनाइँ, एकल जातीय वर्चस्व आऽ पर्दा पाँछाक खेलक कारणें हम मैथिलीक कार्यकर्ता अपन आऽ मैथिली साहित्य परिषद् मैथिलीक अभियान सेहो धुमिल होइत जाऽ रहल यथार्थके स्वीकार करैत परिषदक अध्यक्ष पदक उमेदवारी हम फिर्ता लेलौं से अपने सबके जानकारी कराबए चाहैत छी । सङ्गहि परिषदक आजिवन सदस्यता सेहो परित्यागके घोषणा करैत छी ।
दू दशकसऽ बेसी समयधरि मैथिली साहित्य परिषदमे अभिभावकत्व, सहकार्य एवम् हमरा काज करबाक अवसर देनिहार अग्रज, शुभेच्छुक एवम् सहकर्मी सहित प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष सिनेह–साथ देनिहार सबहक प्रति हार्दिक आभारी छी । आबक यात्रा सेहो पत्रकारिता सङ्गे मैथिली क्षेत्रमे सक्रिय रहत से एहि प्रेस विज्ञप्तिक मादे प्रतिवद्धता व्यक्त करैत छी ।
जय मैथिली । जय जानकी ।।
दिनाङ्कः २०८०।०२।२४ गते
अहीँ सबहक सेवक
श्यामसुन्दर यादव (पथिक)
पत्रकार एवम् साहित्यकार