मिथिलाक बेटी स्मृति रविन्द्रा द्वारा लिखल अंग्रेजी उपन्यास ‘द वुमन हू क्लाइम्ब्ड ट्रीज’ [The Woman Who Climbed Trees] १४ गते शनि दिन जनकपुरधाममे विद्वान एवं समाजसेवीसभद्वारा लोकार्पण कएल गेल। नेपाल पत्रकार महासङ्घ, जनकपुरधाममे नेपाल मधेश फाउन्डेशनद्वारा आयोजित एहि महत्वपूर्ण काजक संचालन साहित्यकार नित्यानन्द मण्डलद्वारा कएल गेल छल।
कार्यक्रमक अध्यक्षता अंग्रेजी विषयक विद्वान एवं त्रिभुवन विश्वविद्यालयक पूर्व प्राध्यापक श्री बालकेश्वर ठाकुर कएने छलाह, ओ उपन्यास ‘द वुमन हू क्लाइम्ब्ड ट्रीज’, अंग्रेजी भाषा, साहित्य, एवं इतिहास लगाइत मैथिली भाषा, साहित्य, संस्कृतिक बारेमे सेहो अपन महत्वपूर्ण बातसब रखलनि। डा. विजय कुमार सिंह, साहित्यकार रोशन जनकपुरी, एवं पूर्व प्राध्यापक परमेश्वर कापड़ी, सितल झा, एवं प्रदेश सभासदस्य राम अशीष यादव लगायत अन्य व्यक्तित्वसभ एहि अंग्रेजी भाषामे लिखल साहित्यक कृतिक निक पक्ष, अधलाह पक्ष एवं एकर शिल्प एवं लेखन शैली पर समीक्षा स्वरुपेँ बहुत महत्वपूर्ण बातसभ रखलनि, एवं शुभकामना आ आशिर्वाद देलनि। अन्य गन्यमान्य एवं संचारकर्मीभक सेहो उपस्थिति एहि कार्यक्रममे छल।
ई उपन्यास भारतमे मई २०२३ मे प्रकाशित भेल छल, तथा प्रतिष्ठित टाटा लिटरेचर लाइव, सर्वश्रेष्ठ प्रथम कथा पुस्तक पुरस्कारसँ पुरस्कृत अछि। साहित्य एवं पत्रकारिताक लेल ई उपन्यास रेनबो अवार्डके लेल सर्ट लिस्टमे राखल गेल छल, तथा वर्तमानमे ई उपन्यास ‘द एशियन प्राइज फोर फिक्शन’ लेल नामांकन कएल गेल अछि।
कार्यक्रममे लेखिका ओ उपन्यासकार स्मृति अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी सहितक भाषामे एहि उपन्यासक पहिने अनुवाद कएल गेल हइ कहलनि, तथा नेपाली आ मैथिलीमे सेहो केओ अनुवाद करबाक इच्छुक होए तऽ ओहि लेल सम्पर्क एवं बातचीत करबाक लेल आग्रह कएलनि। सङ्गहि मिथिला ओ नेपालसँ कहियो दुर नइँ रहि सकब कहैत स्मृति रविन्द्रा अभिभावक स्वरूपेँ रहल एहिठामक विज्ञ ओ विद्वानसभद्वारा व्यक्तिगत एवं उपन्यासक सन्दर्भमे देखाओल गेल सहृदयता एवं समीक्षाकेँ आर्शिवाद रुपमे ग्रहण करैत धन्यवाद देलनि। हिनक पैतृक गाम सबैला, धनुषा रहल छनि तथा त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपालसँ अपन पढ़ाई-लिखाई एवं अध्ययन पुरा कएने छथिन्ह। हार्परकोलिन्स द्वारा प्रकाशित, अंग्रेजी भाषामे लिखल ई साहित्यक कृति हिनक पहिल उपन्यास छनि।
कार्यक्रममे उपन्यासकार स्मृतिक पिता सिए. श्री चन्द्रशेखर जयसवाल बाल्यकालसँ साहित्य प्रति हिनकर प्रतिभा ओ रुचीक बारेमे बात करैत कहलनि जे अपन सन्तान पर अनावश्यक दबाब नइँ देल जाय तथा ओ सब जाहि विषयमे रुची देखबति अछि, ओहि विषयमे विद्यार्थी सभक भविष्य खोजब आवश्यक रहल कहैत अभिभावकसभकेँ सुझाव देलथि।
चर्चा-परिचर्चा ओ समीक्षा स्वरूपेँ जे किछु महत्वपूर्ण बातसभ विद्वान एवं समीक्षकसभ द्वारा कार्यक्रममे राखल गेल छल, ओहिमे सँ किछु महत्वपूर्ण बातसभ एहिठाम रखबाक प्रयत्न मात्र अछि। नेपाल, भारत अमेरिका, ब्रिटेन लगाइत आन देशसभमे सेहो एहि उपन्यासक चर्चा भऽ रहल हइ।
स्मृति रविन्द्राक ‘द वुमन हू क्लाइम्बड ट्रीज’ एहि उपन्यासमे, पितृसत्तात्मक समाजक भीतर महिलाक जीवन, सीमावर्ती भारतसँ वैवाहिक एवं रोटी बेटीक सम्बन्ध, संस्कृति, संस्कार, रितिरिवाज, नेपालमे खास कऽ मैथिली भाषीसभकेँ विभेदपूर्ण मानसिकतासँ काले, धोती, मर्छिआ, बिहारी, भारतीय कहि अपमान करब, भारतिय प्रधानमन्त्री मिथिला मधेसमे अएला पर देशमे ओकर केहन प्रभाव परैछ एवं केहन तरङ्ग उठैछ, समलैङ्गिकताक प्रसंग, पारिवारिक ओ सामाजिक कलह एवं कटूता, मिथिलामे दादी-नानीसभ द्वारा बच्चासभकेँ सुनाओल एवं कहलजाएवला कथासभक बाल मस्तिष्क पर ओकर प्रभाव जेहन आओर बहुत रास प्रसंग एवं सन्दर्भसभ उपन्यासमे समेटल गेल अछि।
ई उपन्यास, एहन सामाजिक दुनियाक हृदयमे लऽ जाइत अछि, जाहिमे महिलाक अस्तित्व मुख्य रूपसँ पुरुषक शारीरिक आवश्यकताक पूरा करैत अछि, मुदा तइओ समय-समय पर ओकरा पर हिंसा सेहो कएल जाइछ, आदि।
स्मृति रविन्द्र जीक ई महान उपन्यास समस्त नेपाली लेल गौरवक विषय अछि, आ विशेष रूपेँ मिथिला ओ मधेशीसभक लेल आओर बेसी महत्वपूर्ण। जाहि समुदायक जीवनकेँ समस्त व्यवस्था आ रीति-रिवाजसभक बहुत सूक्ष्म आ निकटतासँ चित्रण कएल गेल अछि। एकर आरम्भ एगो लोककथा केरऽ प्रस्तावनासँ होइ हइ, जाहिमे एकटा लड़कीक विवाह एकटा पुरुषसँ होइ छै, मात्र हुनकर स्वर्गीय पहिल पत्निक सन्तानसभक रेखदेख करबाक लेल। ओ नव विवाहिता लड़की ओकर बच्चासभसँ बहुत प्रेम करैत छनि, मुदा सम्भवतः पतिसँ घृणा करैछ, तेँ ओ अधरतियामे अपन पतिकेँ बिछाओन पर छोड़ि पीपल गाछ तर बसि कऽ राति बितबति छनि, आ भोर भेला पर घरमे आबि सुतल ओहि बच्चासभ लग सुति रहैछ।
अन्ततः ओहि लड़कीक एहि बातकेँ ओकर पति देख लछि, परिणाम स्वरूप गामक लोकसब ओकरा चुड़ैल बुझि मारैत-मारैत मारि दइ हइ आ नदीमे फेकि दइ छै। समाजमे एहि लड़कीके ‘अतृप्त आत्मा’क रुपमे देखल जाइछ, जेकर आवश्यकता हुनकर पति पुरा करएमे असमर्थ रहैछ। निश्कर्षत: ई पुनर्विवाहसँ होयवला समस्या एवं दोषसभकेँ निकसँ इंगित करैत अछि जे बहुत पहिनेसँ समाजमे चलैत आबि रहल छै। एहन सन पुरान सोंच आ संकीर्ण मानसिकतासँ उब्जल चलनसबमे किछु कमी आएल हइ, मुदा एखनो प्रचलनमे छै सेहो देखल जा सकैछ।
मधेशी समुदायमे विवाहक परम्परा, रीति-रिवाज एवं व्यवस्थासभक बारेमे बड़ मेहिं ढङ्गसँ चित्रण एवं प्रायः लोककथाक माध्यमे बहुत बातसब कहल गेल छै एहि उपन्यासमे। जेना कि भारत-नेपालक सीमावर्ती क्षेत्रमे प्रायः होइ छै – दुनू देशक लड़का आ लड़कीक बीच विवाह बहुत आम बात अछि। एतय कनियाँ मीना भारतीय शहर दरभंगा आ वर मनमोहन सबैला नामक नेपाल गामक छथि। पुरान जमानामे आ एखनहुं किछु हद धरि वर आ कनियाँ विवाहसँ पहिने एक दोसरकेँ नइँ देखैत छनि, आ नहि तऽ एक दोसरकेँ चिन्हैत-जनैत रहैछ। तेँ विवाहसँ पहिने दुनू गोटे प्रायः कल्पना आ प्रतीक्षेमे रहैछ। मिथिला मधेसमे विवाह कोना होइत छैक, तकर बहुत जीवन-सदृश चित्र दैत छनि, पंडितक निर्देशन अनुसार मंत्रक उच्चारण करब, महिलासब द्वारा भरि राति विभिन्न प्रकारक गीत गायब आ चारूकातसँ धेरने रहब, दोसर दिन जखन कनियाँ अपन वरकसङ्ग सासुरके लेल विदा होयब तखन ई एकटा बहुत चौंकाबएवला दृश्य प्रस्तुत होइछ, अर्थात कनियाँ पक्षक सभगोटेँ दुखित भऽ कानैए लगै छनि। जखन अपन नव सासुरमे नव विवाहिता मीना किछु दिन सुखी जीवन बिताबैत छनि, तखन मनमोहन नोकरी लेल काठमाण्डू विदा होइत छै। तेकर बाद मीना असगर आ दुःखी भऽ जाइछ, आ जेना-जेना हुनकर सासु कहैत छनि, तेना-तेना बहुत रास काज करए पड़ैत छैनि। कखनो काल हुनका बुझाइ छनि जे ई अन्तहीन काजक बोझसँ दूर हुनका सेहो पति अपनेसङ्ग काठमाण्डू लऽ जाओ। मुदा हुनकर पति स्वयंकेँ एहि लेल असक्षम बुझैत छनि।
गामक जीवनमे काज आ दुःख कहियो समाप्त नहि होइत बुझाइछ। अधिकांश सासुक पुतोहु प्रति अत्याचारी जेहन व्यवहारसँ सम्बन्ध निक नै रहैछ, जाहि कारण कहियो-काल झगड़ा आ मारिपीट सेहो होइछ। एहि बातसभक चित्रण उपन्यासकार द्वारा बहुत कुशलतापूर्वक कएल गेल छनि। मिथिला-मधेशक निवासीक रुपमे ओ पीड़ा आ दुःखसब प्रत्यक्ष रूपेँ देखने ओ महसूस कएने कारण भऽ सकैछ, उपन्यासमे उपन्यासकार सटिक चित्रण कएने भेटैछ।
नेपालमे काठमाण्डूमे एवं अन्य ठामसबमे जाहिठाम जागीर, व्यवसाय, एवं अध्ययनके सिलसिलामे बाध्यतावश मिथिला ओ मधेशक लोकसब रहैछ, ओहिठामसभमे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूपेँ कैल जा रहल विभिन्न तरहसँ भेदभाव एवं घृणासँ भरल अपमानपूर्ण व्यवहारक चित्रण सेहो एहि उपन्यासमे प्रस्तुत भेल भेटैछ। कोना काठमाण्डूमे एकटा पहाड़ी समुदायक व्यक्ति अपन ट्रैक्टर मनमोहनक परिसरिमे ढुका दैत छै, ई कहि कऽ जे किछु हिस्सा ओहिमे हुनकर सेहो छै। एहि तरहक अन्यायपूर्ण व्यवहारसभ मधेशी समुदायसभ पर बहुत पहिनेसँ होइत आबि रहल हइ, जे विभेदसब चुपचाप मिथिला मधेशक लोकसब सहन करैत आबि रहल उल्लेख भेटैछ।
वर्तमानमे प्रत्यक्ष रूपेँ कैल जाएवला विभेदमे कमी आएल देखल जाइतो, मुदा बहुत अप्रत्यक्ष रूपेँ भाषा एवं संस्कृति पर विभेदपूर्ण हमला जारी हइ। एहि लेल एहिठामक लोभी, भ्रष्टमतीवला राजनीतिक कार्यकर्तासभक प्रयोग सेहो कएल जा रहल अछि।
उपन्यासकार आओर एहन व्यवस्थित रूपेँ कएल जायवला शोषणसभक बारेमे कथामादे मजगूत ढङ्गसँ प्रस्तुत कएने छथिन्ह। संक्षेपमे जीवनसँ सम्बन्धित कतेको महत्वपूर्ण विषयसभक उठान एहि उपन्यासमे भेटैछ। उपन्यासकार अपन अद्वितीय कल्पनाशीलतासँ जीवनक वास्तविकतामे घुलिमिलकऽ विषय-वस्तुके महत्वपूर्ण पक्षसब रखने भेटैछ। बहुत लेखकसभ जीवनक छोट-छोट बात आ घटनासबके बारेमे उदासीनता देखबैत छथि, मुदा एहिमे तेना नहि कएल गेल अछि। उपन्यासकार स्मृतिमे जीवनक वास्तविकता एवं जटीलतासभकेँ बहुत सरल ढङ्गसँ प्रस्तुत करबाक विलक्षण क्षमता छनि। जे की हिनकर लेखन एवं कथाक प्रस्तुतीकेँ प्रशंसनिय ओ सराहनीय बनबैत छनि। जाहि तरहेँ ओ अपन कथासभमे पात्रसभकेँ परिस्थिति ओ व्यक्तित्व अनुसार विकसित करैछ, ओ हिनकर विशेषज्ञताक आभाष करबैत अछि।
सारमे ई कहल जा सकैछ जे ‘द वुमन हू क्लाइम्ब्ड ट्रीज’मे मिथिला मधेशी समाजमे पारम्परासँ चलैत आबि रहल चुनौतीसभकेँ सामना करबाक लेल प्रोत्साहित करैत छै, ताहि हिसाबेँ सेहो ई उपन्यास बहुत महत्वपूर्ण हइ। उपन्यासकार वयह कथा, विषय-वस्तुसभकेँ अपन कृतिमे सार्थक एवं मूर्त रूपेँ राखि सकैछ, जे की ओ प्रत्यक्ष रूपेँ देखैत छथि, अनुभव करैत छनि। जाहिसँ समाज ओ पाठकसभ स्वयंकेँ कथासभमे, संवादसभमेँ देख सकैए, अनुभव कऽ सकैए, आदि।