पद्मश्री तथा साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित मैथिली तथा हिन्दी साहित्यक प्रख्यात लेखिका डा. उषा किरण खानक आइ देहावसान भऽ गेल। ७ जुलाइ १९४५ मे हिनकर जन्म लहेरियासराय, दरभंगामे भेल रहनि, ओ ७८ सालके छलीह। बितल किछु दिनसँ अस्वस्थ छलीह आ पटनाक मेदान्ता अस्पतालमे उपचारक लेल भर्ना भेल छलीह। अप्रील २०२२ मे हिनकर पति ओ पूर्व डीजीपी रामचन्द्र खानक निधन भेल छल।
उषा किरणक निधनसँ मिथिला, साहित्य जगत एवं बिहारमे शोकक वातावरण भेल अछि। हुनका उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थानक सर्वोच्च साहित्य सम्मान ‘भारत-भारती’ सँ सेहो सम्मानित कएल गेल रहए।
डा. खान मैथिलीक संगे हिन्दीमे सेहो बहुत रास उपन्यास एवं साहित्य सृजन कएने छथि। ओ बाल साहित्य एवं नाटक लेखनमे सेहो सक्रिय छलथि। मैथिली उपन्यास ‘भारती: एक अविस्मरणीय प्रेमकथा’क लेल डा. खानकेँ ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ सँ सम्मानित कएल गेल छलनि। ओ पटना कलेजमे प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विज्ञान विभागक विभागाध्यक्ष रहल छलीह। एखन धरि हिनकर पचास टासँ बेसी पुस्तक प्रकाशित भेल छनि, जाहिमे उपन्यास, कथा, नाटक आ बाल-साहित्य जेहन आन विधासब सेहो शामिल अछि। भामती, काँचहि बाँस, सृजनहार, पोखरि रजोखरि, सदति यात्रा, जाइसँ पहिने, मनमोहना रे, बाल महाभारत, हिरा डोम, कहाँ गये मेरे उगना, हसीना मंज़िल, घर से घर तक हुनकर प्रमुख कीर्तिसब छनि।
साहित्यकार धीरेन्द्र प्रेमर्षि लिखैत छथि – आइ केवल श्रध्दाञ्जलि लिखिक’ आगाँ बढ़ि जएबाक सन्दर्भ नहि अछि। अत्यन्त विचलित कर’वला खबरि अछि। प्राय: २०९२-९३ सँ आदरणीय उषाकिरण दिदीक स्नेहाशीष भेटबाक उपक्रम शुरू भेल छल। से विभिन्न भेटघाटमे आओर घनीभूत होइत गेल रहए। पछिला समयमे दिदी हमरा एकटा विशेष जिम्मेदारी सेहो देने रहथि। हम खुशफैलसँ पलखति आ अनुकूल समयक प्रतीक्षा करैत छलहुँ। मुदा समय प्रतीक्षा नहि कएलक ….. आइ अत्यन्त पीड़ादायी खबर पसरल- उषा दिदी नहि रहलीह। ओह!
अश्रुपूरित श्रद्धाञ्जलि दिदी।
मैथिली आ हिन्दी साहित्यक यशश्वी साहित्यकार पद्मश्री डा. उषाकिरण खानकेँ सामाजिक संजालपर विभिन्न व्यक्ति श्रद्धांजलि दऽ रहल छथि।