प्रत्येक मार्ग शुक्ल पञ्चमीके दिन सीता आ भगवान रामके विवाह भेल तकर स्मरण स्वरूप जनकपुरमे विवाह पंचमी पर्व मनाएल जाइ छै। त्त्रेता युगमे राजा दशरथके पुत्र मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान रामचन्द्र आ राजा जनक पुत्री सीताके आइयेके दिन विवाह भेल उक्त जानकारी पुराणमे उल्लेख अछि। अही दिन माता जानकीके भूमि जनकपुर धाम आ भगवान रामचन्द्रके जन्मभूमि भारतके अयोध्यामे विशेष मेला उत्सव लागैत अछि।
मिथिलावासी अही दिनके खास महोत्सवके रूपमे मनाएल करै छथि । महोत्सवके लेल श्रद्धालु भक्तजनके जनकपुरमे बहुत भीड़ रहै छै । विवाह पञ्चमी महोत्सवमे सहभागी हुअ श्रद्धालुभक्तजन एवम् दर्शनार्थीसभ एक हप्ता पहिनेसँ जनकपुर अएबाक क्रम सुरू रहै छै। मैथिली, भोजपुरी लोक गीतसभमे सीया जीके बहिन कहल जाइ छै किएकि
महोत्सवमे देवीदेवताके अदृश्यरूपमे उपस्थित रहै छै से विश्वास हर्ष आ उल्लासका साथ प्रतिछायाँ जन्तीके आगमनसँ विवाह धरि मिथिलावासी सहभागी भेल करैत छथि । मैथिली संस्कृति अनुसार विवाह महोत्सव मनाइत कालमे राम मन्दिर आ जानकी मन्दिरसँ राम आ सीताके प्रतिमाकेँ विशेष सुसज्जित डोलामे राखि रङभूमिमे ल जा कए स्वयम्बर भेलाक बाद जानकी मन्दिरमे आइन विवाह होइ छै ।
अइ महोत्सवमे भारतके अयोध्यासँ बरियाति रूपमे साधु सन्त,महन्त , आ अन्य राम भक्तसभके उल्लेख्य रूपमे उपस्थिति रहैछ । तहिना जनकपुरमे सेहो हुनकासभकेँ स्वागत प्रवन्ध ओहिना विशिष्ट रूपमे मिलाएल रहै छै । महोत्सवमे बिदाइके क्षण कारुणिक होइ छै, मिथिलावासी बेटी बिदाइके गीत गाबैत काल सबके आँखि भिज जाइ छै।