
नेकपा एमालेक नेता योगेश भट्टराई मैथिली भाषाक महाकवि विद्यापतिक योगदानके विषयमे सम्पूर्ण नेपालीकेँ बुझबाक आवश्यकता रहल कहलनि। मधेशमे मात्र नइ भ’ पहाड़ी आ हिमाली क्षेत्रमे विद्यापतिके साहित्यिक योगदानके विषयमे जानकारी सम्प्रेषण हएबाक चाही से उल्लेख कएलनि।
मंगलदिन सर्लाहीक हरिवनमे आयोजित कार्यक्रमकेँ सम्बोधन करैत ओ कहलनि –“मैथिली भाषा-साहित्यमे महाकवि विद्यापतिक बहुत योगदान रहल छै, देशक दोसर बड़का भाषाक महान साहित्यकारकेँ मिथिला-मधेशमे मात्र नइ हिमाल आ पहाड़मे सेहो सम्मान भेटबाक चाही ।” ओ मधेशमे भानुभक्त आ पहाड़मे विद्यापतिकेँ ओतबे महत्व देब’ पड़बाक बात कहलनि।
हरिवन नगरपालिका वाड नम्बर ८, वनवाटिकामे स्थापना कएल पृथ्वी नारायण साह, बिपी कोईराला, पुष्पलाल, मनमोहन अधिकारी आ मदन भण्डारीक शालिक अनावरण करैत ओ विद्यापतिक शालिक सेहो जँ आइ अनावरण कर’ पएतौँ त बेसी प्रसन्नता होइतै भावना व्यक्त कएलनि।
नेकपा एमालेक केन्द्रीय सचिव आ पहाड़ी जिला ताप्लेजुङसँ निर्वाचित प्रतिनिधि सभा सदस्य भट्टराई अखन पार्टीक मधेश प्रदेश ईन्चार्जक जिम्मेवारी वहन क’ रहल छथि । नेपाल बहुभाषिक आ बहुजातीय फुलवारि भेलाक कारणसँ मधेशक बारेमे पहाड़मे आ पहाड़क बारेमे मधेशमे पर्याप्त जानकारी हएबाक चाही हुनक तर्क रहल अछि । भट्टराई कहलनि, “किछ दिन पहिने कर्णालीक हुम्ला, जुम्ला, मुगु, डोल्पा घुमैत काल मधेशक शिक्षक साथीसँ भेट भेल। पहाड़क बिषयमे हुनकासभक बहुत नीक जकाँ बुझल अछि, पहाड़वासीसबकेँ सेहो मधेशक विषयमे ओतबे बुझबाक चाही। ”
अपना मन्त्री भेल बखत इलामके सुर्योदय नगरपालिकामे विद्यापतिक शालिक बनाब’ लेल बजेट पठाएल बात ओ स्मरण कएलनि। देशक सन्दर्भमे मधेश आ पहाड़केँ अलग अलग ढंगसँ नइ बुझबाक चाही बरु थप सुमधुरता बढ़बैत जएबाक विचार व्यक्त कएलनि।
मधेश आ पहाड़क महत्वक विषयमे उदाहरण दैत ओ कहलनि, “विश्वक सर्वोच्च शिखर सगरमाथा अपना देशमे रहलाक कारण प्रसिद्ध जानकी मन्दिर आ जनकपुरक अस्तित्व अछि। जनकपुर आ जानकी मन्दिर नेपालमे अछि त सहजे सगरमाथाक सेहो अस्तित्व अछि ।” हिमालक शुद्ध पानि, तराइक उर्वर भूमि आ पहाड़क जड़ी-बूटी अपनासभक अन्योन्याश्रित सम्बन्धक प्रतिक रहल भट्टराई कहलनि।
■ श्रोत : पब्लिक प्रेस