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लिच्छवीकालीन चाँगुनारायण आ नगरकोट होइत ‘मण्डन’ गाम

नेपालमे संघीयता आबऽसँ पहिने ई दूटा अलग पालिका छलै–मण्डन आ देउपुर अर्थात देवपुर..

दुपहरके दू बाजि गेल छलै । पत्रकार ऋषि पौडेल (नेपाल पत्रकार महासंघ सिन्घुपाल्चोक जिलाक पूर्व अध्यक्ष जे कान्तिपुर मिडिया ग्रुपमे कार्यरत छथि) कs फोन दू तीनवेर आबि गेल छल । ओना यात्रा बहुत दूरधैरके नै छलै, तथापि समय रहिते प्रस्थान करब ठीक रहत से निष्कर्ष निकालैत हमरासभ दिनऽक दू बजे विदा हएब से नेयार कएने छलौँ । मुदा सब किछु अपने सोचलाहा तँ नइँ ने होइ छै । हमरा अफिसेसँ निकलबामे कने विलम्ब भऽ गेल ।

वि.सं २०८२ साल साओन ३० गते अर्थात सन २०२५ अगस्त १५ । शुक्रदिन । आई भोरमे भारतीय दूतावासमे भारतीय स्वतन्त्रता दिवसऽ क अवसरिपर कार्यक्रम आयोजित छलै । ओहि कार्यक्रममे हमर संस्था राष्ट्रिय समाचार समिति (रासस)कऽ पुस्तकालय हेतु दूतावासद्वारा पुस्तक हस्तान्तरण होबाक छलै । हम आ शीतलप्रसाद महतो (राससके प्रशासन प्रमुख) दूतावास गेल रही । राजदूत नवीन श्रीवास्तव जी ओहि कार्यक्रममे हमरा पुस्तक हस्तान्तरणसँ सम्बन्धित पत्र प्रदान कएने रहथि । रासस पछिला दिनमे पुस्तकालय विस्तार अभियानमे जुटल अछि । ताहि सन्दर्भमे दूतावासद्वारा प्राप्त होबऽबला पुस्तक सहयोग निश्चय महत्वपूर्ण साबित हएत । अफिस अएलाक बाद किछु काजक कारणेँ यात्रा प्रस्थान हेतु थोडेक विलम्ब भऽ गेल । असलमे आइ हमरालोकनिकेँ सिन्धुपाल्चोक जिलाक सदरमुकाम (मुख्यालय) चौतारा पहुँचबाक छल ।

यात्रामे हमरासँगे ऋषिजीक अतिरिक्त कृष्ण अधिकारी (राससके सञ्चालक समिति सदस्य)जी सेहो सहभागी रहैथ । करिब अढाइ बजे हम आ कृष्णजी अफिससँ विदा भेलौँ । ऋषिजीकेँ भक्तपुरक नयाँ ठिमीसँ लैत हमरासभक गाडी आगाँ बढल । कनेक आगाँ गेलाक बाद सल्लाघारी नामक जगह अबै छै । ओतसँ चाइरमुहेँ रस्ता फटै छै, एकटा सिधे बनेपा, धुलिखेल, दोसर भक्तपुर दरबार क्षेत्र, तेसर नगरकोट आ चारिम तँ हमसभ आएले रही । ओना चौतारा जेबाक लेल धुलिखेल पाँचखाल होइत सोझ मानल जाइत छै मुदा रस्ता कने खराब होबाक सम्भावनाक आधारपर हमसभ एहि बेर नगरकोट होइत चौतारा जेबाक योजना बनौने रही । कारण एतबए नै, किछ आरो छल ।

काठमाण्डू उपत्यकामे इतिहासमे लिच्छवी शासन सञ्चालन होबाक प्रमाण भेटै छै, आ ई रस्तामे पडै़बला चाँगुनारायण क्षेत्र लिचछवीकालीन शासनक एक महत्वपूर्ण केन्द्र मानल जाइत छै, तहिना दोसर बात अइ रस्तामे नेपालक प्रसिद्ध पर्यटकीय क्षेत्र नगरकोट पडै़त छै आ तेसर महत्वपूर्ण बात जे ई रस्तामे मण्डन नामक एक स्थान सेहो पडै़त छै । ई रस्ता चुनवाक ई महत्वपूर्ण कारण । अइ रस्ता जँ आहाँ यात्रा कऽ रहल छी आ कने समय उपलब्ध अछि तँ ई तीनु क्षेत्रक अवलोकन कएल जा सकैत अछि । हमरा आन दुनू जगह तँ नइँ मुदा एकबेर मण्डन पहुँचबाक लौल बहुत दिनसँ रहए से एहि बेर पूरा करबाक प्रयत्नमे छी ।

नेपालक राजधानी काठमाण्डूसँ करिब ३२ किलोमीटर आ भक्तपुरसँ करिब २० किलोमिटरक दूरीमे रहल चाँगुनारायण नगरपालिकाक वार्ड नम्बर ६मे पडऽबला नगरकोट समुद्र सतहसँ २,७५० मीटरक ऊँचाईपर अवस्थित अछि । मूलतः सूर्योदय आ पर्वत शृंखलालगायतके प्रकृतिक दृश्यावलोकन लेल ई जगह प्रसिद्ध अछि । जँ मौसम साफ रहए तँ एतऽसँ विश्वक सर्वोच्च शीखर सगरमाथाक अतिरिक्त धौलागिरि, कञ्चनजंघा, मनास्लु, गणेश, लांगटांग, गौरीशंकर, चोयु, ल्होत्से, मकालू आदि हिमाल देखल जा सकैए ।

नगरकोट काभ्रेपलाञ्चोक आ भक्तपुर जिलाक जंक्शनपर स्थित अछि । नगरकोट बजारसँ कनिए आगाँ बढलापर काभ्रे आ दोसर रस्ते कने आगाँ बढलापर काठमाण्डू जिलामे प्रवेश कएल जा सकैत अछि । राजधानी काठमाण्डू जाएबला अधिकांश पर्यटक एकबेर नगरकोट जेबाक इच्छा रखैत छथि । तहिना राजधानी काठमाण्डू, ललितपुर आ भक्तपुरक स्थानीय बासिन्दा सेहो अपन व्यस्तताबीच आनन्दित होबालेल किछु समय बितेबालए एतऽ आबैत छथि । नगरकोट होटल आ रिसोर्ट व्यवसायलेल सेहो प्रसिद्ध अछि । एतऽ साधारणसँ बहुत महग आ सुविधासम्पन्न सुसज्जित होटल, रेस्टोरेंट आ लज उपलब्ध भऽ सकैए ।

ऊँच पहाड़ी इलाकामें स्थित नगरकोट चारूकात जंगलसँ घेराएल अछि । अइ ठाम जड़ी–बूटीक खेतीके प्रचूर सम्भावना छै । पहाडमे बसल ई जगह काठमाण्डू उपत्यकालेल जल–विभाजनक काज सेहो करैत छै । अइ जगहपर हम तीनुगोटे अनेकोबेर आएल छी, तएँ एतऽ रुकबाक कोनो प्रयोजन नइँ रहए । ओना एहि बेर हम बहुत दिनक बाद एतऽ आएल रही तथापि कोनो खास नव नइँ बुझाएल छलै ।

हमरालोकनि आगाँ बढ़ि रहल छलौँ । कनेके आगाँ बढलाबाद गाडी कने ढलानदिस बढल । हमरालोकनि आब उँचाईसँ कने नीचा उतैर रहल छलौँ । आब काभ्रेपलाञ्चोक जिला सुरु भऽ गेल छल । आब हमसभ मण्डन देउपुर ग्रामपालिकामे छलौँ । नेपालमे संघीयता आबैसँ पहिने ई दूटा अलग पालिका छलै–मण्डन आ देउपुर अर्थात देवपुर । एखन अइ दुनूकेँ जोड़ि कऽ एके बनादेल गेल छै । एखन ई पालिकाक केन्द्र कुन्तावेंसीकेँ बनाएल गेल छै । पालिकाक कार्यालय अइ ठाम छै । नेपाली भाषामे वेंसीक अर्थ पहाडक नीचामे रहल समथल भूमी होइत छै । आ से सत्ते ई क्षेत्र विशाल समथल मैदानी क्षेत्र छै । एतऽ धानक खेती नकि हौत छै । एतबए नइँ मण्डन क्षेत्रक बासमति धान वेस प्रसिद्ध छै । नगरकोटसँ १८ किलोमीटरक दूरीपर अवस्थित छै कुन्तावेसी । नगरकोटसँ कुन्तावेंसी होइत जीरो किलोमिटरधैरक यात्रा हमरा लेल पहिल छल ।

फोटो: AI द्वारा तैयार कएल गेल।

हमरा अइ रस्तामे पडऽबला दूटा जगह मण्डन आ कुन्तावेंसीक सम्बन्धमे बहुत पहिनेसँ जिज्ञासा रहए ।

मोनमे प्रश्न उठैत रहैत अछि, आखिर अइ जगहक नाम मण्डन आ कुन्तवेंसी किए पडलै ? हम अनेको स्थानीय, जानकार आ किछु अध्यतालोकनिकऽ सोझाँ सेहो अपन जिज्ञासा राखलियनि । जिज्ञासा एखनो अछि ।

ई आलेखऽक माध्यमसँ सेहो अछि । हमर जिज्ञासा मूलतः मण्डनक मादे रहैत अछि । मुदा हमरा स्पष्ट उत्तर एखनधरि नइँ प्राप्त भेलए । हम नामक आधारपर अइ जगहक कोनो सम्बन्ध महान विद्वान मिथिलाविभुति मण्डन मिश्रसँ अछि कि नइँ से बुझऽ चाहै छी । मुदा जवाफ नइँ भेटैए । अइ जगहक सम्बन्धमे कोनो ऐतिहासिक आ पुरातात्विक अनुसन्धान सेहो नइँ उपलब्ध छै । हम स्थानीयसँ बुझबाक प्रयत्न केलौँ, मुदा पुरान पुस्तऽक लोकऽक अभाव छै आब एतऽ । जे छथियो ओ एतऽ नइँ रहैत छथि आ नव पुस्तऽक लोकऽक रुचिक प्राथमिकतामे गाम, गामक नाम आ सभ्यता नै छै । ई बात एतहि नइँ आनोआन ठाम लागू होइत छै । हमरा बुझने मिथिलाक युवा सेहो अपवाद नइँ छथि । हुनकासभक कहब छनि, इतिहाससँ कि हेतै ? लोक तऽ वर्तमानमे ने जीवै छै । खायर एखन ई बहसमे किए ओझराएब ? आगाँ बढल जाए ।

हमसभ आब कुन्ताबेंसीमे छलौँ । साँझ पडऽ लागल छलै । करिब साढे़ चारि बाजि गेल छल । हमरा मोनमे एखनो अनेको प्रश्न अनुत्तरित अछि । कि मण्डन मिश्र कहिओ एतऽ आएल रहथि ? कि एतऽ हुनक आश्रम या पाठशाला रहनि ? मण्डनपत्नी भारतीक नैहर कतऽ रहनि ? कि भारतीसँ सम्बन्धित भऽ सकैए ई क्षेत्र ? मण्डन आ भारतीक पूर्व वंशावलीक जानकारी कते उपलब्ध अछि ? कि मण्डनक पुस्तैनी डीह महिषी छनि कि ओ मात्र माता ताराक उपासनाहतु ओतऽ बसल रहथि ? प्रचाीन मिथिलाक चोहद्दीकेँ विचार कएल जाए तँ मिथिलाक उत्तरी सीमान हिमालयक तलहट्टीमे बसल ई क्षेत्र मिथिलाक हिस्सा होबाक सम्भावना अछि कि नइँ ? कि मिथिलाक अनुसन्धानकर्मी हेतु ई क्षेत्र रुचिक विषय भऽ सकैए कि नइँ ? प्रश्न अनेक अछि । हमरा बुझने ई सब प्रश्नक उत्तर ताकल जेबाक चाही । जँ एकर उत्तर सकारात्मकरुपेँ भेटत तँ भऽ सकैए उपलब्ध तथ्यक सहयोगसँ मिथिलाक इतिहासऽक नव अध्ययन प्रारम्भ कएल जा सकत । ओना हमरा मोनमे एकटा प्रश्न कुन्ताबेंसीमादे सेहो अछि, कि एकर सम्बन्ध महाभारतक कुन्तीसँ भऽ सकैए ? जाधरि उत्तर नइँ भेटत ताधरि प्रश्नक अस्तित्व तँ स्वाभाविके ने । उत्तर प्राप्त भेलाक बाद उत्तरे महत्वपूर्ण भऽ जाइत छै आ प्रश्न गौण ।

हमसभ आगाँ बढ़ि रहल छलौँ । आब ५ किलोमिटरक दूरीपर जीरोकिलो आ ओतऽसँ १४ किलोमिटर वनदेउ (वनदेव) । वनदेउसँ चौतारा २४ किलोमिटर । ओना चौतारा हम करिब ११ वर्षक बाद जा रहल छलौँ । एहिसँ पहिने २०७२ सालक महाभूकम्पक तत्काल बाद हम ओतऽ गेल रही भुकम्पक त्रासदीक प्रभाव देखबा बुझबा लेल । जीरो किलोमिटर बादऽक रस्ता हमरालेल नव नइँ रहए । बहुतो पहाडी जगहक नाम मीलक पाथरमे अङ्कित अङ्कक आधारपर राखल जाइत अछि । जीरोकीलो सेहो एहन एक जगह छै । वनदेउ पहुँचऽसँ पहिने पडै़त छै दोलालघाट, जत मेलम्ची–मण्डनदिससँ आबऽबला नदी ईन्द्रावती आ तिव्वतदिससँ आबऽबला भोटेकोशी (सुनकोशी) नदी मिलै छै । ई नदी आगाँ जा सहायक नदीक रुपमे कोशीमे मिलिजाइत छै आ कोशीकेँ मिथिलासँ कि सम्बन्ध छै ताहिमादे बेसी कहब आवश्यक नइँ ।

एकटा जिज्ञासा आर, कि कोशीक किनारेकिनारे विगतमे आजुक मिथिलाक ताहि समयक लोकऽक एतऽधैरक आवाजाहीक सम्भावना भऽ सकै छै कि नइँ ?

  • धर्मेन्द्र विह्वल

*आइ लभ मिथिलाक भाषा सम्पादन शैली अनुसार अइ लेखके किछु ठाम सम्पादन कएल गेल।
*AI के प्रयोगसँ चित्रसभ बनाएल गेल अछि। 

धर्मेन्द्र विह्वल

धर्मेन्द्र झा, मुलत: साहित्यमे धर्मेन्द्र विह्वलके नामसँ परिचित छैथ। राससके कार्यकारी अध्यक्ष। हिनक एक शृष्टि एक कविता, एक समयक बात,व्योमक ओहि पार, धुआएल आकृतिसभ, शहरक भीडमे एसगर हम, मिथिला मिथक सहित विभिन्न पत्रकारिताक पोथीसभ लिखने छैथ । आइ लभ मिथिलाक अतिथि लेखक ।