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प्रदेश नं २ के मधेश नामाकरणसँ अन्य मधेशीके पहिचान कथि ?

नेपालक प्रदेश नं. २ क नामाकरण भेलापर दीयाबाती मात्र नइँ विरोधक स्वरसभ सेहो गुञ्जयमान भऽ रहल अछि।

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सामाजिक संजालपर किछु चर्चामे रहल अभिव्यक्ति देल गेल छै । एहि ठाम प्रस्तुत करै छी – –

कखन कतह के ककरा संगे सटिया जायत ,
कहि सकैय के ?
राजनीतिमे घोड़ा ,
चलैत अइछ टेँढ़ मेढ़ ,
एकरा इमानसँ मतलबे कोन !
एकटा आन्दोलनी उन्मादमे भले मधेश प्रदेश गर्वानुभूति दे, लेकिन दूरगामी दृष्टिसँ ई अपरिपक्व निर्णय अइ ।
जरुरत छल जे प्रदेशक वशिष्ट साॕस्कृतिक अन्तर्विरोधसबके समेटैत निर्णय कयल जाइत । ई आगामी दिनमे नव नव अन्तर्विरोध आ अस्थिर राजनीतिके कारक बनत ।
ओहुना मधेशकेन्द्रित राजनीति कोनो वैचारिक वा सैद्धान्तिक त अइ नइँ । २२ स ८ पर लचकिए गेल त कोन आश्चर्य ?
“सबहिँ नचाबत ‘राम’ गोसाँइँ, नाचत नर मरकट की नईँ”

रोशन जनकपुरी, वामपन्थी नेता एवं लेखक

आठ जिला बाहेेक लोक अपनाके कोना मधेशी कहत ?तइपर केन्द्रित करैत काशीन्द्र शर्मा कहै छथि…

आजदेखि मधेश प्रदेश नामाकरण भएको ८ जिल्ला बाहेकका नागरिक ‘मधेशी’ होईनन् । ?

काशीन्द्र शर्मा, युवा पत्रकार, न्यूज व्युरो (प्रधान सम्पादक)

आब मधेश माध्यमिकी परिक्रमा जल्दीए पारित कयल जाय सभासदजी ! जत’ जत’ मिथिला रहए ओत’ मधेश आबए । मैथिली संस्कृति जल्द स जल्द विस्थापित हुअए । निर्णय ठोकु जल्दीस ।

सुनिल मल्लिक

काल्हि पहिचानवादीक लेल कारी दिन अछि, जे जत  छी कोनो ने कोनो रूपें प्रकट करू । जय मिथिला ।
मिथिलाक ऐतिहासिकताक समाप्त कएल गेल अछि, अर्थात पाँच हजार वर्षक विदेह सभ्यताक अस्तित्वके अस्वीकार क देलक अछि ८० गोट प्रदेश सांसद ।

रमेश रञ्जन

झपसी लाधल आसमानमे
इन्द्रधनुष पनिसोखासन
रसमाधुरिमे मस्त जनकपुर
खाएसँ पूर्वक धोखासन

चाउरक रोटीपर चटनी की
स्वाद वा मानमे झूस रहै!
मगन छी तैयो पाबि बिहारी
नामक लिट्टी-चोखासन

झनझन करैत झुनझुन्नो होइ आत्महन्तकेर हथियारे
स्वाभिमानकेर नमरी भजबै
तेहने कोनो भजोखासन

– धीरेन्द्र प्रेमर्षि, साहित्यकार एवं संगीतज्ञ

आठ जिल्लाको मधेश प्रदेशको राजधानी जनकपुरधाम भएकोमा बधाई छ ।
प्रदेशको नामाकरणको सम्बन्धमा पुनः छलफल हुन जरुरी छ।

सुञ्जय साह सचेतक

गजेन्द्र नारायण सिंहके फोटो दिस संकेत करैत एकटा युवा लिखने अछि..

माफ करिह हौ बाबू.. ? तोरे बनाएल बाटपर चलैत पहिचानक सीमाकेँ घाटपर पहुँचा देलियऽ। माता जानकीसँ प्रार्थना जे तोहर सपनाक आकासमे फेरसँ नवशक्तिकेँ संगोर करैत भोर करबऽ। तु आ तोहर विचार हरेक युवा छातीमे धधरा बनि धधकि रहल छह। जय मातृभूमि !

सुशील यादव, विद्यार्थी युवा नेता

आइ २०७८ माघ ३ गते प्रदेश नं दूके प्रदेश सभामे दू तिहाइ मत स दूटा ऐतिहासिक निर्णय भेल अइछ।एकटा निर्णय स्वागतयोग्य अइछ,दोसर आपत्तिजनक।
             प्रदेश नं दूके हृदय- स्थल, सांस्कृतिक नगर आ प्राचीन मिथिलाक राजधानी जनकपुरधामके प्रदेश नं दूके स्थायी राजधानी घोषणा कएल गेल अइछ जे सर्वथा उचित अइछ।अहि पक्षमे मतदान कएनिहार प्रदेशक सब सांसदप्रति हार्दिक बधाई ज्ञापन करैत छी।
        प्रदेश नं दूके नामकरण ‘मधेश प्रदेश’ कएल गेल अइछ जे आपत्तिजनक अइछ।तीनू मधेश आन्दोलनमे मधेश सरकार आ स्वायत्त मधेश प्रदेशक नारा जरूर बुलन्द भेल छल। नेपाल सरकारसङ सम्झौता सेहो भेल छल मुदा बाइस जिल्लाक समुचा मधेशक लेल, मात्र एक टुकडा   लेल नइँ।  आठ जिल्लाके मधेश बनाबएके नइँ मधेश आन्दोलनक माङ छल आने कोनो विज्ञक प्रस्ताव।आठ जिल्लाक मधेश नामकरण मधेशक चौदह जिल्लाक अपमान अइछ।हजारो वर्षक मिथिलाक अस्मिता पर बलात्कार भेल अइछ! कोशी नदी स पच्छिम आ गण्डकी स पुरुबक भूभाग ऐतिहासिक रुप स विशुद्ध मिथिला रहल अइछ। मिथिलाक सभ्यता, भाषा, साहित्य,कला, संस्कृतिक सङसङ मिथिला आन्दोलनक पाँचो शहीदक अपमान भेल अइछ!तएँ ‘ मधेश प्रदेश’ नामक पक्षमे समर्थन कएनिहार कपूतसभक भर्त्सना करैत छी!
         मिथिला छल,अइछ आ सदैव रहत।एकर पहिचान मुगल शासक, अङ्ग्रेज, शाहवंश,राणा, पञ्चायत केओ नइँ मेटा सकल आ नइँ मेटा सकत।आइ ने काइल्ह मिथिलाके अपन मुकुट भेटबे करत से आशा आ दृढ विश्वास अइछ। मिथिलाक सपूतसब एक दिन कपूतसभ स हिसाब जरूर लेत। मिथिला प्रदेश –जिन्दावाद !!!

प्रेम विदेह ‘ललन’, अध्यक्ष, मैथिली साहित्यकार सभा, जनकपुरधाम

मिथिलाक लेल कारी दिन ।
२०* जिलाक मधेश ८ जिलामे संकुचित।
#ईतिहास एकरा माेन राखत आ मिथिला राज्यकलेल शहादत देनिहारक मनमे कुही हाेइत हएत ।

देवेन्द्र मिश्र, साहित्यकार

बाकी मधेशी जनताके शहादत कत गेल ? विषयमे..

पूरब बिराटनगर माेरङ आ पश्चिम् धनगडीके लोग नइँ हइ। मधेसके नामसँ सहिद भेल कि ओसभ अपना अइ आठू जिल्ला बलासभमे ज’नमे याल रहै आन्दोलन कर’ लेल ??

वीरेन्द्र सिंह कुशवाहा

. मेरो एकजना साथीलाई उसको हजुरबुवाले सोध्नुभाथ्यो, धेरै पढ्छौ भने भन त ‘सप्तरी जिल्लामा कति ओटा जिल्ला छ?’ त्यस्तै आज मधेश भित्र मधेश बनाएकाहरुलाई बधाई! 
 साथै,मेरा केहीँ साथिहरु बिरगंज लाई परास्त गर्दै जनकपुर राजधानी भएको भनेर ‘दीपावली मनाऔं’ भनि पोष्ट गरिराछन्।
साथी हो, जनकपुर मात्र नभई बिरगंज पनि हाम्रो लागि उत्तिकै महत्व राख्दछ। यसो त माग जाएज थिएन, तर बिरगंज आहत भएको बेला जनकपुरमा दीपावली मनाउनु र मधेशीको लासमाथि संविधान दिवसको दिन देशका एक समुदायले दीपावली मनाउनु उस्ता उस्तै हो।
प्रदेश  को नाम र स्थायी राजधानी पाएकोमा सम्पुर्णलाई बधाई!

– बिट्टू मिश्रा, युवा पत्रकार
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Alphabets’ के महत्त्व बेपत्ता आ ‘Paragraph’ के जयजयकार…! 3rd Magh; Black Day for Mithila

अशोक अमन, युवा कवि

. पहिचानके लेल भेल मधेश आन्दोलन प्रदेश नं २ बाहेककेँ “मधेशी” के परिचय छिन लेलक।
गौरवके दिन नइँ, दागके दिन छी। मधेशीके परिभाषा बदलू !

– गजेन्द्र गजुर,

मिथिलापर मधेश सबार,
मिथिलामे हिन्दीक हकार

अर्जुन प्रसाद गुप्ता दर्दिला, गीतकार

मधेस आठ जिल्ला सिर्फ नहीं हैं। माननीय लोग मधेसमे 22 जिल्ला परता हैं। नेपालका और इतिहासिक रुपसे तीन क्षेत्र तिरहुत ,थरुहट और अवध परन्तु प्रदेश 2 के माननिय लोग आप लोगने गोपाल बंशवाली अनुसारके भुमी कोसी से गन्डक तक तिरहुत था। उसका नाम मधेस कियेद,येह मधेस और तिरहुत दोनोके इतिहास भूगोल और क्षेत्रके बिपरित हैं ।।।

– सन्तोष तिरहुतिया, मिथिला अभियन्ता

प्रदेश न. २ कें राजधानी जनकपुर भेल  खबरसँ आनन्दित छी। यधपि प्रदेशक नाम मधेशसँ निमन मिथिला वा जानकी भऽ सकैत छलै…. माँ जानकी सदबुद्धि देथि सरोकारबला सभकेँ

विन्देश्वर ठाकुर, कवि एवं शिक्षक

काहे का दिवाली , कैसी मधेश प्रदेश ? कौन सी राजधानी ?.? संकल्प लो मधेश सरकार , लाओ संकल्प प्रस्ताब भित्री मधेश सहित के 24 जिले का समग्र मधेश प्रदेश निर्माण हेतु , माघ 5 के बलिदानी दिवस को समर्पित करें संकल्प प्रस्ताव समूचे मधेस का, समग्र मधेश प्रदेश निर्माण हेतु , अधूरी बिक्रीत सीमांकन कि मधेश नही, ताकि मधेश बिद्रोह के सभी आदरणीये सहिदों का सम्मान हो । पूरी समग्र मधेश..मधेस प्रदेश सभा जनकपुरधाम से समुचे मधेश हेतु संकल्प प्रस्ताव  पारित होवे , बर्ना बर्तमान अधूरी मधेश प्रदेश मुर्दाबाद .
जय मातृभूमी .. ?
जय मधेशी राष्ट्रीयता .. ?

रमन कुमार पाण्डे, लोसपा नेता

आइसँ एकटा पाठ पढ़ू
बाईसकेँ अहाँ आठ पढ़ू

ने ‘मिथिला’ आ ने पूर्ण ‘मधेश’ : ई केहेन प्रदेश ?

  …….. पहिचान सहितक संघियता सफल कोना ? ई खूशीयालीक दीवाली कोना ? मधेश आन्दोलनमे सहादत देनिहार रमेश महतो, दशन यादव, राजीव राउतसन हजारो सहीदक सपना पुर्ण कोना ? एकबेर सहीदक सारा लग जाकऽ वा धियापुता आ माएबाबूसँ जाकऽ पुछियौ ने कोन मुद्दापर ओसभ अपन प्राण गमेलनि। गजेन्द्र बाबूक शालिक आगू ठाढ़ भऽ पुछियौ ने, की इहए ‘चुरे सहितक मधेश’, ‘स्वायत मधेश, एक प्रदेश’ क परिकल्पना लेल खूनक टघार लगलै ? एकबेर अपनो आत्मासँ बुझियौ ने प्रदेश २ बाहेकके मधेशी काल्हि जाकऽ ‘मधेशी’ कहबेतै अपनाकेँ ? से गौरव त सेहो अहीँ छिन रहल छियै ने ? मधेशीक नामपर राज्यसत्ताद्वारा देल जाएवला सरकारी अधिकार त अहीँ काटि  रहल छी ने ? एतबेटा मधेशक ओतेटा सपना देखा भोटक लेल ललिपप चटेलियै ? आइ त विनु पएरक नाँचियो रहल छी, काल्हि गीतो बन्द आ पहिचानक नाटको समाप्त हएत। से सोचलियै ?

ने पूर्ण मिथिले आ ने पूर्ण मधेश। ई केहेन प्रदेश ? मिथिला लगायत १४ टा मधेशक हत्या त कएबे कएलौँ। बाँकी ८ टाक बहुभाषीक, बहुसाँस्कृतिक समृद्धी लेल माँ जानकी (मैथिली) सँ प्रार्थना आ अपनेकेँ अनन्त शुभकामना।

मिथिलो जितै आ स्वायत मधेशो जितै कर्मठ युवासभक छातीमे। जय स्वायत मधेश। जय मिथिला !
– विद्यानन्द वेदर्दी, मिथिला अभियन्ता एवं विद्यार्थी नेता
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मिथिला राजनीति होइन सभ्यता हो ..रहि रहने छ। सोमवार दुई तिहाई बहुमतबाट प्रदेश सभाले प्रदेश २ को नाम मधेस र राजधानी जनकपुरधाम तोकेको छ । जनकपुरवासीको हैसियतले खुसी छु । त्रेतायुगीन मिथिलाको राजधानीलाई पुन : राजधानीको मान्यता प्रदान गरिएकोमा । प्रदेश सांसदहरुलाई बधाई तथा प्रदेशवासीलाई शुभकामना । प्रदेशको नाम मधेस भएको छ । यसकालागी पनि प्रदेशवासीलाई वधाई । प्रस्तावको पक्षमा मतदान गर्ने ८० प्रदेशसांसदलाई विशेष वधाई ।  आफूलाई पहिचानवादी भन्दै पहिचानकै लागी सयौं होनहार युवायुवतीलाई शहिद बनाउने राजनीतिक दलहरुको पहिचान विषयमा जुन सोंच, समझ तथा दर्शन देखियो त्यो अत्यन्त सतही हो । चुरे पर्वत सृंखला भन्दा दक्षिण भारतको सीमासम्म पूर्व–पश्चिम फैलिएको भूगोल मधेस हो । यसमा २२ जिल्ला पर्दछ । २२ जिल्लाको मधेसलाई कोहि कसैले नकार्न सक्दैन । मधेस वर्तमान हो । मधेस राजनीति हो । शहिदहरुको आलो रगतसंग साटिएको सत्तापनि हो मधेस । तर ८ जिल्ला समाहित प्रदेश २मात्र मधेस हुन सक्दैन । यो विशुद्ध मिथिला हो । पछिल्लो पहिचानलाई समाहित गरौं भने मिथिला भोजपूरा हो । मधेस आन्दोलनमा नेपालगञ्ज, बिराटनगर, भैरहवा,कंचनपुरका मधेसीहरु शहिद भएका थिएनन ? मधेसी कोटामा यी जिल्लाका युवा युवतीहरु आरक्षण प्राप्त गर्दैनन ?  तर का पर करु सृंगार । पिया मोर आन्हर …..राजनीति अंकगणितको खेल पनि हो । राजनीति षडयन्त्र तथा लोभानि पापानि पनि हो । प्रदेशसभामा यी सम्पूर्ण षडयन्त्र देखियो । तर प्रदेशको नाम मधेस हुदैमा मिथिला सकिन्छ भन्नु ठुलो भूल हुनेछ । मिथिला भोजन, मैथिली लोकगीत,मैथिली गाथा,मैथिली पहिरन,मिथिला चित्रकला,भारोपेली भाषा समूहमै पहिलो गद्यग्रन्थ रचना भएको मैथिली भाषालाई कसैले चाहेर पनि समाप्त गर्न सक्दैन । मुसलमान शासकहरुले सकेन । एउटै राजा एउटै देश , एउटै भाषा एउटै भेष को जयघोष गर्ने शाही सत्ताले सकेन। मैथिली सोहर, समदाओन,बटगबनीको रुपमा यहाँका महिलाहरुको मुखमा टांसिई रह्यो । मिथिला चित्रकलाको रुपमा औलामा बसि रह्यो अनि लोकगाथाको रुपमा रामरतन दास र कमल मण्डलहरुको जिब्रोमा रहि रह्यो । राजनीति समाप्त हुन सक्छ । सभ्यता बांंची रहन्छ । फेरी राजधानी परिवर्तन हुदैन , नाम परिवर्तन पनि हुन सक्छ । पुरानो बम्बै आज मुम्बई भएको छ ।

श्यामसुन्दर शशी, साहित्यकार एवं प्राध्यापक

संकलन : विद्यानन्द वेदर्दी आ सूजित झा

गजेन्द्र गजुर

Gajendra Gajur [गजेन्द्र गजुर] is News Editor of Ilovemithila.com . Maithili Language Activist. He is Also Known for His Poetry. One of the Founder of Music Maithili App. गजेन्द्र गजुर एहि वेबसाइटक समाचार संयोजक छथि। कवि सेहो छथि। Email- [email protected],

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