Poem
-
मकर संक्रान्ति : चन्द्रशेखर राय ‘चमन’
मकर संक्रान्तिके मंगल दिन पर, अम्बरमे उदित अरुण प्रभात। घर-घर हलचल पावनि उत्सव, मंगलमय मंगलक छल प्रात ॥१ नर-नारी…
Read More » -
चन्द्रशेखर लाल शेखरक पाँचटा मैथिली कविता (भाग २)
१. खाली झोरी हर द्वार नेने खाली झोरी हम टहल लगेलौँ संसारक जा तेहन दर्द ने ओझरेलौँ अन्दाज रहल…
Read More » -
दानक टंटा (मैथिली कविता) : मुन्नी मधु
जँ आधुनिक बनबाक लौल अछिए तऽ कने एक डेग आर आगाँ बढू दहेजक विरोधे धरि नहि ठमकू।। बेटी सन्तानकेँ…
Read More » -
मैथिली कविता ‘प्रेम’ : अयोध्यानाथ चौधरी
प्रेम छै रवि-रश्मिक पहिल उपहार पाँज भरि समेटि ली मीत।। प्रेम छै सिहकैत सुरभित समीर पोर-पोरमे भरि ली मीत।।…
Read More » -
निज कर्तव्यक भान करह | मैथिली कविता | मालती मिश्रा
छल छद्म भरल मनुखक जिनगी चेतना विहीन सेहो भऽ जाइछ मुदा जागह आब… सुतारि लैह साकांक्ष भऽ अप्पन जिनगीके।।…
Read More » -
‘मंच पर’ आ ‘सहरजमीन पर’ (कविता) : नारायण झा
‘मंच पर’ लेल मास दू मास पहिनहिसँ बाजए लगैत अछि डिगडिगिया होअए लगैछ सोशल साइट पर घमर्थन किनको लेल…
Read More » -
हमर गुड़िया रानी : प्रयास प्रेमी मैथिल
अङ्गनाके हमर गुड़िया रानी आइ भऽ रहल विदाइ छै मायके करेजा फाटल नयना नीर बहाइ छै ।। रहैत…
Read More » -
मैथिली कविता ‘सत्ता आ साँप’ : डा. राजेन्द्र विमल
ई सत्ता हइ गहुमन, जे व्यवस्था परिवर्तनक नामपर बेर-बेर पोआ फेरैछ, मुदा, डर लगाबहिवला एकर थुथ्ना भितरमे विषदन्त यथावते…
Read More » -
मैथिली कविता ‘चम्चागिरी’ : राम अधिन सम्भव
चम्चागिरी (कविता) : राम अधिन सम्भ दुनियाँमे अनेक तरहक काज सब छैक जाहिमे एकटा चम्चागिरी सेहो अछि चम्चागिरी कएनाइ…
Read More » -
लवहरि कुशहरि (कविता) डा. महेन्द्र नारायण राम
मिथिला लोक मानस अपन माटि-पानि चिन्तन-परम्परा आचार-विचार व्यवहार केर भूमि विदेह भूमि विदेह जनक विदेह गरिमा वैदेही दर्शनक पूर्ण…
Read More »