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झिझिया : मनोरञ्जन, आत्मसबलीकरण
झिझिया आइकाल्हि ध्वनि-प्रदूषणक प्रमुख संवाहकसन भऽ गेल अछि। संस्कृति जखन समाजसँ उठैत बजारक सामग्री बनि जाइत अछि तँ अतिरञ्जना ओकर…
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जितिया: आम लोकक विशेष पावनि
सांस्कृतिक सम्पदासभक खानि भेल मिथिलामे अनेक पावनि-तिहारसभ मनुष्य तथा प्रकृति बीचमे सम्बन्ध–सेतु बनि जीवन्त अछि। अइ ठामक प्रायः आध्यात्मिक क्रियाकलापसभ…
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मोनक हमर शृङ्गार मैथिली : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
मोनक हमर शृङ्गार मैथिली बाँकी जग-व्यवहार बुझू अपन मैथिली माइक ममता आनक बोल दुलार बुझू।। आइ दिवस छै खास तहीसँ…
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निनिया रानी आबि जो… मैथिलीमे एकटा आओर सुन्दर गीत : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
सङ्गीतकार प्रवेशक परचम फहराएले छै, गायिका नेहा प्रियदर्शनीकेँ अपार जनसिनेह तथा लोकप्रयता भेटले छै आ गीतकार विद्यानन्द बेदर्दीक सक्रियता एवं…
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७०० साल पुरान मैथिली नाटयकृति: धूर्त्तसमागम
मिथिलाक सूरता-वीरतापूर्ण इतिहासकेँ अपन देश-परिवेशसँ बाहर जाएक फैलबाक वा व्यापकता एवं विस्तृति पएबाक अवसर नइँ भेटल छै। मिथिलाक इतिहासमे वीरता…
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अप्पन गीत गबै छी, तेँ निज भास चाही : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
— गजल जीबऽ लेल अपनहि सीनामे श्वास चाहीअप्पन गीत गबै छी, तेँ निज भास चाही शब्दक उन्नत बीजकेँ जनमऽ पलऽ…
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गौरवमय परम्पराक धरोहर ‘छठि’ पावनि
धीरेन्द्र प्रेमर्षि लोकआस्थाक महापर्व- छठि। सूर्यषष्ठीसँ अपभ्रंस होइत षष्ठी आ छठि बनल एक विशिष्ट पावनि, जे प्राचीन तिरहुत/मिथिलाक दोसर महत्त्वपूर्ण…
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मैथिली कविता ‘मीठ ऊखिक तीत बानि’ : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
मैथिली कविता धीरेन्द्र प्रेमर्षिद्वारा रचित प्रस्तुत अछि…बस आश्वासनके रसधारबड़ बैमनमा ई कुसियारउपजा छियै कि छै ई डण्डाआ कि रजनेतिक हथकण्डागर-माला…
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मैथिली कविता ‘सन्तोषक स्वाद’ : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
सन्तोष सेफपर प्रस्तुत अछि मैथिली कविता… मुख्य विजेता बनबा जोगर भलहि ने भेटलह ‘भोट’खुआक’ जगतक मूह मिठौलह मिथिलाकेर अमोटदेखि-सूनिक’ हमरोसभकेँ…
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जितिया : आम महिलाके खास पावनि
जितिया पावनि बड़ भारी धीयापुताकेँ ठोकि सुताबी अपने खाइ भरि थारी पावनि-तिहारक पथार लागल भूमि मिथिलामे आजुक दिन स्त्रीगणक एक…
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